नाम नहीं पढ़ाई है महत्वपूर्ण
अगर आप प्रोफेशनल कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं, तो संस्थान की चकाचौंध में न फंसकर उसकी पढ़ाई और कैंपस फैकल्टी को देखकर एडमिशन लें, तो आपको विशेष समस्या नहीं आएगी। प्रोफेशनल कोर्स में एडमिशन के लिए किस तरह की सावधानी है जरूरी..
आर्थिक उदारीकरण के बाद युवाओं के पास नौकरी के बेहतर विकल्प मिल रहे हैं। यही कारण है कि समय के साथ-साथ लोगों की सोच में भी काफी परिवर्तन हुए हैं। बदली सोच का ही परिणाम है कि अब बारहवीं के बाद ही युवा कॅरियर निर्धारित करने लगे हैं। आज से कुछ वर्ष पहले तक यही सोच थी कि पहले पढाई कर लें, बाद में नौकरी के बारे में सोचेंगे। यह जुमला अब पूरी तरह गलत हो चुका है। अधिकतर स्टूडेंट्स के सामने सबसे बडा प्रश्न यही रहता है कि यदि परंपरागत प्रोफेशनल कोर्स जैसे इंजीनियरिंग, मेडिकल, सीए, सीएस आदि में एडमिशन नहीं मिल पाया तो उसके बाद प्रोफेशनल और एकेडमिक कोर्स में से क्या बेहतर होगा? कौन सा कॉलेज बेहतर है।
अपनी क्षमता पहचानें
प्रोफेशनल कोर्स में जाने से पहले आपको कुछ सवालों के जवाब खुद तलाशनें होंगे। क्या आपको अपनी परिस्थितियों और पारिवारिक समस्याओं के चलते जॉब की सख्त आवश्यकता है? क्या आपका परिवार आर्थिक रूप से इतना सक्षम है कि प्रोफेशनल शिक्षा के खर्च का वहन कर सके? अधिकतर स्टूडेंट्स पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं के चलते प्रोफेशनल कोर्स का चयन करते हैं, ताकि कुछ वर्षो की पढाई करने के बाद नौकरी का बेहतर विकल्प मिल सके। लेकिन कुछ कोर्स की फीस काफी अधिक होती है। इस कारण आपके लिए बेहतर होगा कि कोर्स चुनने से पहले उसकी फीस, कैंपस प्लेसमेंट और घर की आर्थिक स्थिति से भलीभांति अवगत हो जाएं।
सभी कोर्स होते हैं बेहतर
कोई भी कोर्स खराब नहीं होता है, क्योंकि सभी क्षेत्रों में सभी तरह के लोगों की मांग रहती है। इस कारण सबसे पहले अपना लक्ष्य निर्धारित करें कि हमें यह कोर्स करना है। कोर्स का चयन करते समय कुछ बातों को ध्यान रखेंगे, तो आप सही और बेहतर कोर्स चुनने में सफल हो सकते हैं। सही कॅरियर चुनने से पहले आप अपनी रुचि, आर्थिक स्थिति और आनेवाले समय में इनकी मांगों को अवश्य देखें। अब कॅरियर के क्षेत्र में मिलने वाले अवसरों का वर्गीकरण कुछ इस तरह से हो गया है कि हर किसी के पास अपनी क्षमताओं, रुचियों व रुझानों के मुताबिक कईतरह के कॅरियर ऑप्शन हैं। प्रोफेशनल कोर्स ने छात्रों को ढेरों विकल्प दिए हैं। इंजीनियरिंग, मेडिकल, कंप्यूटर जैसे कई क्षेत्रों में तीन से पांच साल के कोर्सेज को पूरा करके बढिया सैलरी वाली सरकारी व प्राइवेट नौकरी पाई जा सकती है। आज देश में नित नई ऊंचाईयां छूते पूंजीनिवेश व विश्व अर्थव्यवस्था में बढ रहे भारत के कद से बडे पैमाने पर सक्षम प्रोफेशनल्स की जरूरत पड रही है।
नाम नहीं, पढाई देखें
अक्सर स्टूडेंट्स किसी संस्थान में इस कारण एडमिशन ले लेते हैं कि उसका नाम काफी है। अन्य संस्थानों की अपेक्षा काफी पैसे भी देने के लिए राजी हो जाते हैं, लेकिन उन्हें पछतावा तब होता है, जब उस संस्थान में अपेक्षा के अनुरूप पढाई नहीं होती है। उस समय स्टूडेंट्स के पास कोई अन्य विकल्प नहीं होता है। आप यदि किसी संस्थान में किसी तरह का कोर्स करना चाहते हैं, तो सबसे पहले उस संस्थान के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें। जानकारी प्राप्त करने का बेहतर तरीका यह है कि आप उस संस्थान में पढ रहे स्टूडेंट्स से पढाई और फैकल्टी मेंबर्स के बारे में सही जानकारी लें। वहां के स्टूडेंट्स आपको सही बात बता देंगे। कुछ स्टूडेंट्स संस्थान के प्रोस्पेक्टस के आधार पर ही कैंपस प्लेसमेंट को सही मान लेते हैं। आपके लिए बेहतर होगा कि आप पिछले वर्ष पास किए गए स्टूडेंट्स की संख्या और नौकरी प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स को देखकर ही कोई निर्णय लें।
परखें संस्थान की असलियत
अधिकतर स्टूडेंट्स इसे नजरअंदाज कर देते हैं। समस्या तब आती है, जब कोर्स करने के बाद उन्हें नौकरी में समस्या आती है। उस समय उनके पास कोई विकल्प नहीं होता है। अगर आप भी इससे बचना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप पहले जिस संस्थान में एडमिशन ले रहे हैं, उसके बारे में अच्छी तरह से पता कर लें कि संबंधित संस्थान मान्यता प्राप्त है कि नहीं। पहले इस मामले में पूरी तरह आश्वस्त हो जाएं, तभी एडमिशन लें, तो आपके लिए बेहतर होगा।
जोश डेस्क