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दक्षिण कोरिया टेक्नोलॉजी का नया केन्द्र

टेक्नोलॉजी की बात हो और दक्षिण कोरिया का नाम न लिया जाए, यह संभव ही नहीं है। विकास की नई इबारत लिख रहा यह एशियाई देश टेक्नोलॉजी एजूकेशन के प्रमुख केन्द्र के रूप में सामने आया है ...

By Edited By: Published: Wed, 16 Nov 2011 11:05 AM (IST)Updated: Wed, 16 Nov 2011 12:00 AM (IST)
दक्षिण कोरिया टेक्नोलॉजी का नया केन्द्र

पिछले एक दशक के दौरान दक्षिण कोरिया ने अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में तेजी से उडान भरी है। वह विश्व की एक बडी अर्थशक्ति बन रहा है। इसमें अहम योगदान निभा रही है, वहां की टेक्नोलॉजी। दक्षिण कोरिया की इस प्रगति से प›िमी देशों सहित अनेक देश आ›र्यचकित हैं। एशिया के कई अन्य देशों की तुलना में यह आर्थिक रूप से तो कुछ महंगा है, लेकिन उच्चस्तरीय टेकिन्कल एजूकेशन के मामले में इसे आदर्श ही कहा जाएगा।

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शिक्षा से सरोकार

रिपब्लिक ऑफ कोरिया अथवा दक्षिण कोरिया के नागरिकों में आपको शायद ही कोई ऐसा मिले जो अपने देश के अतीत और संस्कृति से प्रेम न करता हो। उ”वल भविष्य की कामना को लेकर आगे बढने की ललक यहां छोटे-छोटे बच्चों में भी दिखाई दे जाएगी। पूर्व एशिया का यह चार हजार साल के गौरवशाली इतिहास वाला देश शिक्षा को हमेशा से जीवन का अनिवार्य अंग मानता रहा है। इसी का परिणाम हैकि आज इस महत्वपूर्ण एशियाईदेश की साक्षरता दर लगभग 99 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। यह देश शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए समय-समय पर कई कार्यक्रमों का संचालन करता रहा है। सिओल नेशनल यूनिवर्सिटी जैसे कई विश्वविद्यालयों ने अपनी गुणवत्ता में इजाफा किया है।

नजर फैकल्टी पर

विदेशी विद्यार्थियों की संख्या के नजरिए से दक्षिण कोरिया प›िमी देशों से अभी बहुत पीछे है। एशिया के कई देश भी उससे आगे हैं लेकिन यह अंतर अब दिनों दिन कम होता जा रहा है। इसके पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि अब दक्षिण कोरिया के विश्वविद्यालयों में विश्वस्तरीय टीचिंग फैकल्टी उपलब्ध कराई जा रही है। तकनीकी रूप से मजबूत इस देश का मुख्य ध्यान युवाओं को टेकिन्कल रूप से सक्षम बनाकर अपनी टेक्नोलॉजी को और विकसित करना है। इसमें शोधकार्यो को भी प्राथमिक सूची में रखा गया है।

सिओल है पहली पसंद

अच्छी शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थानों की वहां कोई कमी नहीं है। बहुत से ऐसे शिक्षण संस्थान हैं जहां से आप विश्वस्तरीय शिक्षा हासिल कर सकते हैं। विदेशी विद्यार्थियों के नजरिए से देखा जाए तो अधिकतर छात्र वहां की राजधानी सिओल के विश्वविद्यालयों के चयन को ही वरीयता प्रदान करते हैं। सिओल का वैश्रि्वक माहौल, संस्कृति, कला, भवन निर्माण शली, लाइफस्टाइल, यातायात व्यवस्था आदि उसे विश्व के शीर्ष विकसित शहरों के समतुल्य ला देते हैं। सियोल के अधिकतर विश्वविद्यालय अपनी टेकिन्कल एजूकेशल के लिए अलग पहचान बना चुके हैं।

कुछ खर्चीला तो है

पढाई, रहने, खाने आदि के मामले में दक्षिण कोरिया सस्ता देश नहीं है। अगर आप अध्ययन के लिए राजधानी सिओल को चुनेंगे तो नि›ित रूप से अधिकतर चीजों में आपको वहां के अन्य शहरों की तुलना में अधिक धन खर्च करना होगा। दक्षिण कोरिया के विश्वविद्यालयों में एक ही सब्जेक्ट की टयूशन फीस में काफी विविधता देखने को मिलेगी। सरकारी विश्वविद्यालयों में प्राइवेट की तुलना में शिक्षण शुल्क कहीं कम है। इस देश में आने वाले अधिकतर विदेशी विद्यार्थी डारमेट्री में ही रहना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें रहना कम खर्चीला होता है। अंग्रेजी भाषी लोगों के लिए इस देश के सभी प्रमुख शहरों में किसी भी तरह की कोईपरेशानी सामने नहीं आने वाली है। शहरों में रहने वाले अधिकतर लोग अंग्रेजी समझ और बोल लेते हैं। अपने पडोसी देशों की तुलना में दक्षिण कोरिया के नागरिक अधिक मॉडर्न, अंग्रेजी के जानकार और वैश्रि्वक सोच वाले हैं।

स्टूडेंट वीजा

दक्षिण कोरिया में शक्षिक सत्र की शुरुआत आमतौर पर मार्च या सितंबर माह से होती है। जो विद्यार्थी इस देश में पढना चाहते हैं उन्हें स्टूडेंट वीजा लेना होगा। वीजा के नियम देशों के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन करते समय छात्र को अपना एडमीशन लेटर, समस्त शक्षिक योग्यताओं के प्रमाण, वहां शिक्षा के दौरान खर्च होने वाले धन के वहन की योग्यता का प्रमाण आदि प्रस्तुत करना होगा। विद्यार्थी के पास वैध पासपोर्ट, हाल ही में खिंचाई गई फोटोग्राफ भी होनी चाहिए। वहां की वीजा प्रक्रिया आसान है और इसमें अधिक समय नहीं लगता है। तकनीकी शिक्षा में कोरिया यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड एजूकेशन सर्वप्रमुख संस्थान है। इंजीनियरिंग शिक्षा के लिए विख्यात इस विश्वविद्यालय का प्लेसमेंट शतप्रतिशत रहता है।

प्रमुख विश्वविद्यालय

ajou university

asia united theological university

busan national university of education

korea baptist theological university

korea university of sciene and technology

शरद अग्निहोत्री


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