Move to Jagran APP

टैलेंट को दें नेचुरल ग्रोथ...

अपने देश के बच्चे कई सारे फील्ड में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। चाहे वह स्टडी हो या स्पोट्र्स या फिर सिंगिंग से लेकर एक्टिंग का मामला ही क्यों न हो, लेकिन सवा अरब की आबादी वाले देश के लिए सिर्फ इतना ही पर्याप्त नहीं कहा जा सकता।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 11 Nov 2014 11:24 AM (IST)Updated: Tue, 11 Nov 2014 11:26 AM (IST)
टैलेंट को दें नेचुरल ग्रोथ...

अपने देश के बच्चे कई सारे फील्ड में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। चाहे वह स्टडी हो या स्पोट्र्स या फिर सिंगिंग से लेकर एक्टिंग का मामला ही क्यों न हो, लेकिन सवा अरब की आबादी वाले देश के लिए सिर्फ इतना ही पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। महानगरों से लेकर छोटे-बड़े शहरों और यहां तक कि कस्बों और गांवों तक बाल प्रतिभाएं हर जगह हैं, पर गार्जियंस में जागरूकता की कमी और बुनियादी सुविधाएं न होने से इन प्रतिभाओं को आगे बढऩे की सही दिशा नहीं मिल पाती। इसका खामियाजा यह होता है कि बचपन में ही ज्यादातर बच्चों के ख्वाब बिखर जाते हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन पर हम हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाकर रस्म अदायगी तो कर लेते हैं, लेकिन क्या हम सभी ने कभी यह सोचने की जहमत उठाई है कि देश के ग्रामीण-शहरी सभी बच्चों के स्वाभाविक विकास के लिए कितने कारगर कदम उठाये गए? क्या सभी बच्चों को स्कूल की सुविधा मिल पा रही है? और जिनको मिल भी रही है, क्या वहां उनके नेचुरल टैलेंट को पहचानने और निखारने की कोई कोशिश की जाती है?

loksabha election banner

ज्यादातर स्कूलों में उन्हें तोता-रटन्त शिक्षा ही दी जाती है और जब कोई बच्चा बहुत-कुछ रट लेता है, तो दूसरों के सामने उसका प्रदर्शन कराकर गार्जियन खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। पर क्या उन्होंने और स्कूल-टीचर्स ने कभी यह सोचा है कि इससे उस बच्चे के नेचुरल टैलेंट का कितना भला हो रहा है? कितने पेरेंट्स और टीचर्स ऐसे होंगे, जो बच्चों की पसंद-नापसंद जानने और फिर उसके मुताबिक उन्हें निखारने-संवारने की कोशिश करते हैं? खोजने पर ऐसे गिने-चुने ही मिलेंगे, जो वास्तव में उनके इंट्रेस्ट को समझकर उसके मुताबिक उन्हें सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं। ज्यादातर पेरेंट्स तो पड़ोसी या किसी रिश्तेदार की संतान की कामयाबी का हवाला देते हुए अपने बच्चे को भी उसी की राह पर चलने का प्रेशर डालते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि या तो बच्चा अपने भविष्य को लेकर कन्फ्यूज हो जाता है या फिर कोई उल्टा-सीधा कदम उठाकर बिखर जाता है। चाहे माता-पिता हों या टीचर, सभी को यह समझना चाहिए कि कोई भी बच्चा उसी क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकता है, जिसमें उसकी स्वाभाविक रुचि होगी। जरूरत उसकी इसी रुचि को पहचानने और समझने की है। अगर आपका बच्चा अपनी पसंद के किसी खेल, म्यूजिक, आर्ट, डांस, राइटिंग में लाजवाब प्रदर्शन करता है, तो क्या इससे आपका नाम रोशन नहीं होगा? तो फिर क्यों बच्चे पर अपनी पसंद थोपकर या दूसरों की तरह बनने का दबाव डालकर खुद उसके बचपन को खत्म करने पर आमादा हैं। उसकी खुशी को समझ कर ही कदम बढ़ाएं, ताकि आप भी हमेशा खुश रह सकें...

संपादक

दिलीप अवस्थी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.