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च्वाइस को दें इंपॉर्टेस

एजुकेशन और च्वाइस में गहरा रिलेशन है। हम अक्सर उन कोर्सेज में एडमिशन ले लेते हैं, जिनमें हमारा इंट्रेस्ट नहींहोता है और बाद में हमें पछताना पड़ता है। इसलिए हमेशा अपनी च्वाइस को प्रिफरेंस दें। गुरुकूल में इस बार इंजीनियरिंग में सक्सेस के टिप्स दे रहे हैं दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के फाउंडर और वाइस चांसलर पीबी शर्मा.. जॉब ओरिएंटेड

By Edited By: Published: Tue, 10 Jun 2014 11:28 AM (IST)Updated: Tue, 10 Jun 2014 11:28 AM (IST)
च्वाइस को दें इंपॉर्टेस

एजुकेशन और च्वाइस में गहरा रिलेशन है। हम अक्सर उन कोर्सेज में एडमिशन ले लेते हैं, जिनमें हमारा इंट्रेस्ट नहींहोता है और बाद में हमें पछताना पड़ता है। इसलिए हमेशा अपनी च्वाइस को प्रिफरेंस दें। गुरुकूल में इस बार इंजीनियरिंग में सक्सेस के टिप्स दे रहे हैं दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के फाउंडर और वाइस चांसलर पीबी शर्मा..

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जॉब ओरिएंटेड फील्ड है इंजीनियरिंग

आज स्टूडेंट्स के सामने नौकरी मिलना एक बड़ा चैलेंज है, लेकिन इंजीनियरिंग एक जॉब ओरिएंटेड फील्ड है। इसमें बहुत स्कोप है। आने वाले समय में पॉलिमर साइंस, केमिकल टेक्नोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी जैसे स्ट्रीम्स में भी उज्जावल भविष्य बनाया जा सकता है। ऐसे में जो स्टूडेंट्स रेगुलर पढ़ाई, प्रैक्टिस और टेक्निकल नॉलेज से अपडेट रहते हैं, उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं होती है। उदाहरण के तौर पर डीटीयू के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को ही ले सकते हैं, जिन्हें हर साल मल्टीनेशनल कंपनीज से अच्छा पैकेज ऑफर आता है। डीटीयू के स्टूडेंट को एक करोड़ रुपये का सालाना पैकेज तक ऑफर किया किया जा चुका है।

क्रिएटिव है आज का यूथ

आज की युवा पीढ़ी हमारी जेनरेशन से कहीं ज्यादा क्रिएटिव है, इनोवेटिव है। उसके पास आइडियाज की कोई कमी नहीं है। बस जरूरत है उसे इंप्लीमेंट करने की। इंजीनियरिंग में क्रिएशन के बहुत चांस हैं। जिन स्टूडेंट्स को नए-नए आइडियाज पर काम करने का शौक है, उनके लिए इंजीनियरिंग से अच्छी और कोई फील्ड नहीं। अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेजेज में स्टूडेंट्स को इनोवेशन का पूरा मौका दिया जाता है।

मोरल वैल्यूज है सक्सेस की सीढ़ी

हर सक्सेसफुल इंसान के अपनेकुछ मोराल्स होते हैं, जिन्हें वह लाइफ में हमेशा फॉलो करता है। कॉलेज में उन्हीं स्टूडेंट्स को टीचर्स भी पसंद करते हैं, जो पढ़ाई के साथ-साथ एथिक्स को भी फॉलो करते हैं। ऐसे स्टूडेंट्स बहुत आगे जाते हैं। उन्हें सक्सेस हर कदम पर मिलती है। संस्थान की भी रिस्पॉन्सिबिलिटी होती है कि पढ़ाई के साथ-साथ स्टूडेंट्स में एथिक्स को डेवलप किया जाए।

च्वाइस को दें इंपॉर्र्टेस

अक्सर स्टूडेंट्स फैमिली प्रेशर या दूसरों को देखकर उन कोर्सेज में एडमिशन ले लेते हैं, जिनमें उनका इंट्रेस्ट नहींहोता है। ऐसा करने से स्टूडेंट्स की प्रॉपर ग्रोथ नहींहो पाती है। इंजीनियरिंग एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसे बिना इंट्रेस्ट के पढ़ना बेकार है। मेरी स्टूडेंट्स को यही सलाह है कि अगर लाइफ में कुछ करना चाहते हैं, तो अपनी च्वाइस को इंपॉर्टेंस दें। अगर पैरेंट्स की तरफ से किसी तरह का प्रेशर होता है, तो उनसे बिना झिझक बात करें और अपनी दिलचस्पी खुलकर उनके सामने रखें। अगर आपको अपने ऊपर कॉन्फिडेंस होगा, तो फैमिली भी पूरा सपोर्ट करेगी।

इनिशिएटिव लें

अक्सर हम दूसरों को क्रिटिसाइज करते हैं, लेकिन जब खुद आगे बढ़ कर काम करने की बारी आती है, तो कदम पीछे खींच लेते हैं। हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करें। क्लासरूम हो या ऑफिस, इनिशिएटिव लें। इससे आपके अंदर कॉन्फिडेंस आएगा और सीनियर्स की नजर में भी आगे आएंगे। अगर आपके अंदर किसी तरह की झिझक है, तो उसे दूर करें। बड़े इनिशिएटिव नहीं ले सकते, तो शुरुआत छोटे स्टेप से करें।

रिसर्च पर फोकस करें

आज की एजुकेशन रिसर्च बेस्ड हो गई है। मतलब थ्योरीटिकल के साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी बहुत जरूरी है। अक्सर स्टूडेंट्स पीएचडी और दूसरी तरह की रिसर्च सिर्फ जॉब पाने के लिए करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। हो सकता है कि डिग्री मिलने के बाद आपको जॉब मिल जाए, लेकिन आप अपने जूनियर्स को भी अच्छी एजुकेशन नहीं दे पाएंगे और आने वाली जेनरेशन पर इसका खराब असर पड़ेगा। इसलिए रिसर्च करना चाहते हैं, तो पूरी ईमानदारी के साथ करें।

Profile @ glance

प्रोफेसर पीबी शर्मा

-दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के फाउंडर और वाइस चांसलर

-फॉर्मर प्रोफेसर आइआइटी, दिल्ली

-वाइस चांसलर ऑफ राजीव गांधी टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी

-एक्स प्रेसिडेंट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस डिविजन ऑफ इंडियन साइंस कांग्रेस

-एक्स चेयरमैन ऑफ इंडियन सोसायटी ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स

-वाइस चेयरमैन ऑफ व‌र्ल्ड कॉन्फिडेरेशन ऑफ प्रोडक्टिविटी साइंसेस इंडिया।

-पीएचडी फ्रॉॅम यूनिवर्सिटी ऑफ बर्रि्मघम, यूके

-कंसल्टेंसी फॉर रिनाउंड ऑर्गेनाइजेशन जीटीआरई बेंगलुरु, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस, रॉल्स रॉएस, यूके

मो. रजा


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