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फ्लाइट इंजीनियर: करियर की उड़ान

एविएशन इंडस्ट्री सालाना लगभग 22 से 28 फीसदी की दर से आगे बढ़ रही है। इस इंडस्ट्री में अब पायलट और केबिन-कू्र के अलावा एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर, फ्लाइट या ग्राउंड इंस्ट्रक्टर, एविएशन साइकोलॉजिस्ट जैसे नए जॉब ऑप्शंस भी सामने आ रहे हैं। इसी में एक सेक्टर है

By deepali groverEdited By: Published: Wed, 26 Nov 2014 10:40 AM (IST)Updated: Wed, 26 Nov 2014 12:12 PM (IST)
फ्लाइट इंजीनियर: करियर की उड़ान

एविएशन इंडस्ट्री सालाना लगभग 22 से 28 फीसदी की दर से आगे बढ़ रही है। इस इंडस्ट्री में अब पायलट और केबिन-कू्र के अलावा एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर, फ्लाइट या ग्राउंड इंस्ट्रक्टर, एविएशन साइकोलॉजिस्ट जैसे नए जॉब ऑप्शंस भी सामने आ रहे हैं। इसी में एक सेक्टर है फ्लाइट इंजीनियरिंग का, जो युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

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वर्क प्रोफाइल

फ्लाइट इंजीनियर एयरक्राफ्ट सिस्टम और उपकरणों की मॉनिटरिंग करने के साथ-साथ उसे कंट्रोल करते हैं। मसलन, इंजन से लेकर एयरक्राफ्ट के विंग्स की देख-रेख का जिम्मा इनका होता है। ये पायलट्स के साथ तालमेल कर काम करते हैं। विमान के उड़ान भरते समय, क्लाइंब या क्रूज करने के दौरान इंजन की पावर को एडजस्ट करने से लेकर ईंधन पर निगरानी रखनी की जिम्मेदारी इनकी होती है। उड़ान से पहले, उड़ान के दौरान और बाद में विमान की तमाम प्रणालियों की जांच की जिम्मेदारी फ्लाइट इंजीनियर की होती है।

क्वालिफिकेशन

फ्लाइट इंजीनियर बनने के लिए सबसे पहले आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स के साथ हायर सेकंडरी करना होगा। इसके बाद मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल या एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करनी होगी। आप मैथ्स या फिजिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद भी इस फील्ड में आगे बढ़ सकते हैं। बशर्ते किसी रिकग्नाइज्ड एविएशन इंस्टीट्यूट से फ्लाइट इंजीनियर सर्टिफिकेट और आवश्यक मेडिकल टेस्ट उत्तीर्ण किया हो। देश में कई इंस्टीट्यूट्स फ्लाइट इंजीनियरिंग कोर्स चलाते हैं। इनमें एंट्रेंस एग्जाम के जरिये दाखिला मिलता है।

जॉब अपॉच्र्युनिटीज

ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2020 तक भारत तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट बन जाएगा। फिक्की-केपीएमजी की रिपोर्ट के अनुसार, एविएशन इंडस्ट्री में साल 2017 तक करीब सवा लाख रोगजार पैदा होंगे। फ्लाइट इंजीनियर प्राइवेट या पब्लिक सेक्टर की एयरलाइंस कंपनीज, हेलीकॉप्टर कॉरपोरेशन, फ्लाइंग क्लब, डिफेंस रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट लैब, नेशनल एयरोनॉटिक लैब, सिविल एविएशन डिपार्टमेंट में काम करने के अलावा, एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के साथ भी जुड़ सकते हैं। अगर आप एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स करते हैं, तो सॉफ्टवेयर कंपनीज से लेकर नासा तक में अपॉच्र्युनिटीज की कमी नहीं है।

सैलरी पैकेज

गवर्नमेंट सेक्टर में काम करने पर ऑफिशियल स्केल मिलता है, वहीं प्राइवेट सेक्टर में कंपनी मैनेजमेंट आपका स्केल तय करती है। औसतन एक फ्लाइट इंजीनियर को शुरुआत में चार लाख रुपये सालाना मिलते हैं। लेकिन कंपनी की प्रोफाइल और मार्केट स्टैंडर्ड को देखते हुए इसमें समय-समय पर इजाफा होता रहता है।

(जागरण फीचर)


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