इंडिया कैन मेक वर्ल्ड क्लास Scientists
इंडियन स्टूडेंट्स में टैलेंट के साथ साइंटिफिक टेम्परामेंट भी है, जरूरत है तो सिर्फ उन्हें गाइड और एनकरेज करने की। यह मानना है डब्ल्यूएचओ के फर्स्ट को-ऑर्डिनेटर और रेडिएशन एक्सपर्ट माइकल रेपचोली का..
रिसर्च को मिले बढावा
इंडिया में रिसोर्सेज कम होने के कारण साइंस के प्रति स्टूडेंट्स का रुझान कम है। इसके लिए इंडियन गवर्नमेंट को आगे आना चाहिए। गवर्नमेंट अगर कुछ मिलियन डॉलर साइंस की एजुकेशन और रिसर्च सेंटर पर खर्च करे, तो यहां से काफी संख्या में साइंटिस्ट निकल सकते हैं और स्टूडेंट्स को दूसरी कंट्रीज में जाकर रिसर्च नहींकरनी पडेगी। बहुत सी डेवलप्ड कंट्रीज इंडिया के क्रीमीलेयर स्टूडेंट्स को ज्यादा बडा ऑफर देकर अपने यहां रिसर्च के लिए ले जाते हैं।
एनकरेजमेंट है जरूरी
स्टूडेंट्स का रुझान बढाने के लिए उन्हें एनकरेज करते रहना चाहिए। अगर कोई स्टूडेंट साइंस की फील्ड में अच्छा करता है, तो उसकी रिसर्च पब्लिश करानी चाहिए। इससे स्टूडेंट्स में आगे बढने का हौसला डेवलप होता है। इंस्टीट्यूशन को भी ऐसे स्टूडेंट्स पर फोकस करना चाहिए।
मेरिट की खोज
गवर्नमेंट को उन स्टूडेंट्स पर खास ध्यान देना चाहिए, जो स्टूडेंट्स गरीब लेकिन मैरिटोरियस हैं। इंडिया में बहुत से टैलेंटेड स्टूडेंट्स सिर्फ पैसों की तंगी के कारण आगे नहीं बढ पाते। गवर्नमेंट को ऐसे स्टूडेंट्स के लिए स्पेशल स्कॉलरशिप प्रोग्राम चलाना चाहिए, लेकिन स्टूडेंट्स को इसके बाद भी किसी तरह की हेल्प नहीं मिल पाती है, तो भी उसे अपने हार्ड वर्क में कोई कमी नहीं करनी चाहिए। हमेशा हार्ड वर्क से ही सक्सेस का रास्ता निकलता है।
फोकस ऑन अदर फील्ड्स
इंडिया आज आइटी सेक्टर में दूसरी कंट्रीज के मुकाबले काफी आगे है। हर साल यहां से बहुत से आइटी एक्सपर्ट निकलते हैं। आइटी के अलावा दूसरी फील्ड पर भी फोकस करना चाहिए, ताकि दूसरी फील्ड में ही कंट्री आगे बढे। दूसरे सेक्टर से भी जब स्टूडेंट्स निकलकर आगे आएंगे, तभी देश का सही विकास संभव हो पाएगा।
खुद पर कॉन्फिडेंस
स्टूडेंट को उसका खुद का स्ट्रगल ही आगे बढाता है। दूसरे की हेल्प से आप कुछ कदम आगे तो बढ सकते हैं, लेकिन फाइनली सब कुछ आपकी मेहनत पर ही डिपेंड करता है। अपनी रिस्पॉन्सिबिलिटी से पीछे नहीं हटना चाहिए। पहले आप जो कर सकते हैं, वह करने की कोशिश करें। उसके बाद ही दूसरों से किसी तरह की उम्मीद करें।
एजुकेशन से सक्सेस
एजुकेशन ही सक्सेस का सबसे बडा बेस है। बिना शिक्षा के इंसान में वह क्वालिटी डेवलप नहीं हो पाती है, जो होनी चाहिए। दुनिया के सभी बडे देशों में एजुकेशन को ही बेस बनाकर सक्सेस का रास्ता तैयार किया जाता है। डेवलप्ड कंट्रीज में एजुकेशन का रेशियो हमेशा हाई रहता है।
प्लान योर मिशन
सक्सेस के लिए प्लानिंग जरूरी है। बिना प्लानिंग के आगे बढना न सिर्फ मुश्किल है, बल्कि सक्सेस के भी चांसेज कम होते हैं। इंडियन स्टूडेंट्स के पास आगे बढने के काफी स्कोप हैं। सबसे इंपॉर्र्टेट इंडियन स्टूडेंट किसी भी काम को पूरे इंट्रेस्ट से करते हैं। हार नहींमानते और अंत तक गोल अचीव करने के लिए संघर्ष करते रहते हैं।
Profile : at a glance
प्रो. माइकल रेपचोली
फर्स्ट को-आर्डिनेटर ऑफ वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन रेडिएशन ऐंड हेल्थ यूनिट
-क्वॉलिफिकेशन: बीएससी इन फिजिक्स, वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया
-एमएससी इन रेडिएशन बायोलॉजी, लंदन यूनिवर्सिटी, यूके।
-पीएचडी इन बायोलॉजी, ओटावा यूनिवर्सिटी, कनाडा।
-ऑथर ऐंड को-ऑथर: 220 साइंटिफिक पब्लिकेशंस।
-प्रेसिडेंट ऑफ ऑस्ट्रेलियन रेडिएशन प्रोटेक्शन सोसायटी।
-प्रेसिडेंट ऑफ ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ फिजिक्स साइंस ऐंड इंजीनियरिंग इन मेडिसिन
-विजिटिंग प्रोफेसर ऑफ डिपार्टमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड टेलीकम्युनिकेशंस, यूनिवर्सिटी ऑफ रोम
-लाइफ मेंबरशिप इन इटेलियन रेडिएशन प्रोटेक्शन सोसायटी।
इंटरैक्शन : मो. रजा