करियर की सुरीली धुन
आजकल साउंड इफेक्ट्स फिल्मों और गानों के हिट का टेक्निकल फार्मूला बन गया है। देखा जाए, तो आज भारतीय साउंड इंजीनियर्स की मांग देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी बढती जा रही है। अगर आप साउंड इंजीनियरिंग से संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो करियर के कई विकल्प खुल जाते हैं।
प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन साउंड इंजीनियर अपना काम दो स्टेप में करते हैं-प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन लेवल पर। प्रोडक्शन लेवल पर साउंड इंजीनियर का काम मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस की मदद से तरह-तरह की आवाजें बनाना और उन्हें रिकॉर्ड करना होता है, जबकि पोस्ट प्रोडक्शन लेवल पर उनको एडिट और मिक्स करके एक नया साउंड बनाया जाता है। इस फील्ड को क्रिएटिविटी और टेक्नोलॉजी की जुगलबंदी कहा जा सकता है।
क्वालिफिकेशन -डिप्लोमा/सर्टिफिकेट कोर्स के लिए 10+2 -पीजी डिप्लोमा कोर्स के लिए किसी भी विषय में ग्रेजुएशन स्किल्स -म्यूजिक और साउंड के प्रति गहरी रुचि -इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल म्यूजिकल उपकरणों की समझ -अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स -धैर्य और एकाग्रता कोर्स की अवधि छह महीने से तीन वर्ष अपॉरचुनिटीज कोर्स कम्पलीट करने के बाद साउंड इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, साउंड एडिटर ऐंड मिक्सर, साउंड इफेक्ट एडिटर, म्यूजिक एडिटर, री-रिकॉर्डिग मिक्सर, स्टूडियो इंजीनियर, लोकेशन साउंड इंजीनियर आदि पदों पर काम कर सकते हैं।
अर्निग
-शुरुआत में 15 से 20 हजार रुपये प्रति माह
प्रमुख संस्थान
-फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया, पुणे
-सत्यजीत राय फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, कोलकाता
जागरण फीचर