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आइटी व‌र्ल्ड के ब्राइट करियर

आप एमएससी, बीटेक, एमसीए या ऐसी ही कोई दूसरी डिग्री हासिल कर चुके हैं और आपको जॉब नहीं मिल पा रही है, तो मार्केट में ऐसे कई सारे जॉब ओरिएंटेड कोर्स हैं, जिन्हें करके आप आसानी से और अच्छे पैकेज पर जॉब पा सकते हैं। और हां, अगर आपने इंजीनियरिंग नहीं की है, तो भी सिंपल्

By Edited By: Published: Wed, 17 Sep 2014 11:47 AM (IST)Updated: Wed, 17 Sep 2014 11:47 AM (IST)
आइटी व‌र्ल्ड के ब्राइट करियर

आप एमएससी, बीटेक, एमसीए या ऐसी ही कोई दूसरी डिग्री हासिल कर चुके हैं और आपको जॉब नहीं मिल पा रही है, तो मार्केट में ऐसे कई सारे जॉब ओरिएंटेड कोर्स हैं, जिन्हें करके आप आसानी से और अच्छे पैकेज पर जॉब पा सकते हैं। और हां, अगर आपने इंजीनियरिंग नहीं की है, तो भी सिंपल ग्रेजुएशन करने के बाद भी ये कोर्स करके आइटी इंजीनियर बनने का सपना पूरा कर सकते हैं। टीजीसी, दिल्ली की नीतिका के अनुसार, आजकल का समय डिजिटल युग है। वेबसाइट्स का जमाना है। करियर के हिसाब से यह फील्ड बहुत तेजी से बढ़ रहा है। जॉब के ढेर सारे ऑप्शंस हर रोज बन रहे हैं और वैकेंसीज की तो भरमार है। बस मार्केट में स्किल्ड लोग नहीं मिल पा रहे हैं। इसलिए जरूरत है कि इस मौके को एनकैश किया जाए और जिन कोर्सेज की डिमांड है, उनका फायदा उठाकर अपना फ्यूचर सेक्योर किया जाए। आइए जानें, आज केसमय में कौन-कौन से शॉर्ट-टर्म हॉट कोर्स हैं, जो मार्केट में आपकी वैल्यू बढ़ा सकते हैं..

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एंड्रॉयड डेवलपमेंट: बनाएं मोबाइल एप्लीकेशंस

पिछले दो सालों में एंड्रॉयड एप्लीकेशन की डिमांड काफी बढ़ गई है। बीटेक या एमसीए करने के बाद यह कोर्स किया जा सकता है। इसमें ढाई-तीन महीने का एडवांस्ड ट्रेनिंग कोर्स चलाया जाता है। इसमें एंड्रॉएड पर यूज होने वाले मोबाइल एप्लीकेशंस बनाना सिखाया जाता है। यह कोर्स कर लेने के बाद आप विभिन्न कंपनियों में जिस तरह के जॉब हासिल कर सकते हैं, वे इस तरह से हैं ..

-एंड्रॉयड ऐप डेवलपर

-मोबाइल ऐप डेवलपमेंट कंसल्टेंट

-मोबाइल ऐप टेस्टर

-मोबाइल ऐप डेवलपमेंट डिबगिंग

पीएचपी : प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

हाइपरटेक्स्ट प्री-प्रोसेसर यानी पीएचपी सर्वर स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज है, जिसका इस्तेमाल वेब डेवलपमेंट के साथ आम प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में भी होता है। ओपन सोर्स होने की वजह से पीएचपी आज 24 करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स और 20 लाख वेब सर्वर्स का इस्तेमाल हो रहा है। हाई-स्पीड स्क्रिप्टिंग और ऑगमेंटेड कंपाइलिंग कोड प्लग-इंस जैसी खासियतों के चलते इस लैंग्वेज का फ्यूचर ब्राइट है। फेसबुक, विकीपीडिया और वर्डप्रेस जैसी हाई-प्रोफाइल साइट्स की पॉपुलरिटी के पीछे पीएचपी का ही हाथ है। पीएचपी से जुड़े कोर्स कर लेने के बाद आप वेब डिजाइनर औऱ वेब डेवलपर के जॉब ऑप्शंस में सर्च करके ब्राइट फ्यूचर बना सकते हैं।

जावा : स्क्रिप्टिंग कोडिंग

जावा स्क्रिप्ट असल में ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज है, जो जावा का हल्का वर्जन है। इसे क्लाइंट-साइड लैंग्वेज भी कहा जाता है, क्योंकि ईजी कमांड्स, ईजी कोड्स होने की वजह से यह क्लाइंट-साइड वेब ब्राउजर में इस्तेमाल की जाती है। आज जावा स्क्रिप्ट का इस्तेमाल वेब पेजेज में फॉ‌र्म्स ऑथेंटिकेशन, ब्राउजर डिटेक्शन और डिजाइन इंप्रूव करने में किया जा रहा है। आपके फेवरेट ब्राउजर क्रोम एक्सटेंशंस, एपल के सफारी एक्सटेंशंस, एडोब एक्रोबैट रीडर और एडोब क्रिएटिव सूट जैसी एप्लीकेशंस जावा स्क्रिप्ट कोडिंग के बिना अधूरी हैं। जावा कोर्स करके आप वेब डेवलपर, प्रोग्रामर जैसी जॉब के लिए ट्राई कर सकते हैं।

एचटीएमएल5 : स्मार्टफोन्स ने बढ़ाई डिमांड

एचटीएमएल को हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज कहा जाता है। यह व‌र्ल्ड वाइड वेब के किसी भी कंटेंट की स्ट्रक्चरिंग मार्कअप लैंग्वेज है और इंटरनेट की कोर टेक्नोलॉजी है। एचटीएमएल के जरिए किसी भी वेबसाइट की स्ट्रक्चरिंग की जाती है। इस लैंग्वेज के जरिए इमेजेज और ऑब्जेक्ट्स को इंटरैक्टिव डिजाइनिंग में कनवर्ट किया जाता है। एचटीमएल5 इसकी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है। यह एचटीमएल4, डौम (डी ओ एम) का हाईटेक वर्जन है। इसका इस्तेमाल एडवांस्ड टेक्नोलॉजी में किया जाता है। अमूमन एनिमेशन, ग्राफिक्स, म्यूजिक और मूवीज के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग कॉम्पि्लकेटेड वेब एप्लीकेशंस बनाने में भी किया जाता है। टैबलेट्स, स्मार्टफोंस और क्लाउड होस्टेड सर्विसेज की डिमांड बढ़ने से इसकी काफी डिमांड है। एचटीएमएल में कोर्स करने के बाद आप इन जॉब्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं..

वेब डेवलपर, ई-पब्लिशर, वेब सपोर्ट पर्सनल, ई-कॉमर्स साइट ओनर या सपोर्ट पर्सनल, वेबसाइट डिजाइनर, गेम डेवलपर।

एसइओ : डिजिटल मार्केटिंग

एसइओ यानी सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन किसी भी वेब पेज को गूगल, याहू जैसे सर्च इंजन से कितना सर्च किया गया या कितने लोगों ने वेबसाइट देखी, यह सब देखने की कला भी है और साइंस भी। दरअसल, यह डिजिटल मार्केटिंग का एक हिस्सा है। धीरे-धीरे इसका मार्केट बढ़ रहा है। मार्केटिंग पर होने वाला खर्च अखबार और टीवी से शिफ्ट होकर वेबसाइट और सोशल मीडिया की ओर बढ़ रहा है। इसीलिए एसइओ एक्सप‌र्ट्स की भी डिमांड बढ़ रही है। एसइओ एक्सप‌र्ट्स का यही काम होता है कि न केवल वह ज्यादा से ज्यादा ट्रैफिक को अट्रैक्ट करे, बल्कि उसे बिजनेस में भी बदले। अगर आप साइंस बैकग्राउंड के हैं और टेक्निकली स्किल्ड हैं, तो एसइओ आपके करियर को पंख लगा सकता है। इस फील्ड में फ्रेशर्स को शुरुआत में 2 से 4 लाख सालाना तक की सैलरी मिल सकती है। एसइओ में कोर्स करके आप इन कैटेगरीज में जॉब्स पा सकते हैं ..

एनालिटिक्स, बिजनेस मैनेजमेंट/डेवलपमेंट, लिंक बिल्डिंग, इवेंट मैनेजमेंट, सोशल मीडिया एनालिस्ट, वेब डेवलपमेंट मैनेजमेंट, वेब डिजाइन, ऑफलाइन माकर्ेंटिग, पब्लिक रिलेशन, रेपुटेशन मैनेजमेंट, पेड सर्च/पीपीसी मैनेजमेंट, राइटिंग/ब्लॉगिंग आदि।

ओरेकल : डाटा की साज-संभाल

ओरेकल डाटाबेस सॉफ्टवेयर है। इसकी मदद से ढेर सारे डाटा को न केवल सेव रखा जाता है, बल्कि कंपनी की जरूरत के मुताबिक उनमें से किसी एक एलिमेंट को सर्च कर सकते हैं और डाटा एनालिसिस आदि कर सकते हैं। ज्यादातर बैंकों में आजकल ओरेकल का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। किसी भी एकाउंट होल्डर के बारे में पूरी जानकारी इसी के जरिए संभाल कर रखी जाती है और एंक्वायरी करने पर बैंकएंड में काम करने वाले इंजीनियर यह जानकारी मुहैया कराते हैं। आजकल सिर्फ बैंकों ही नहीं, बल्कि तकरीबन हर कंपनी को डाटाबेस ऑपरेशंस के लिए इस तरह के स्किल्ड लोगों की जरूरत होती है। ओरेकल कोर्स करने के बाद आप बैंक या कई सारी दूसरी कंपनियों में जहां डाटाबेस रिजर्व करने का काम कर सकते हैं, वहीं आइटी इंजीनियर के रूप में भी जॉब पा सकते हैं।

सॉफ्टवेयर टेस्टिंग : जोखिमों से करे आगाह

किंजे ऐंड कंपनी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा तेजी, टैलेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर की आपूर्ति के दम पर भारतीय आइटी इंडस्ट्री का निर्यात कारोबार 2020 तक 178 अरब डॉलर का हो जाएगा। घरेलू कारोबार की हिस्सेदारी 2020 तक 50 अरब डॉलर की हो जाएगी। इसी तेजी से सॉफ्टवेयर टेस्टिंग का कारोबार भी इस साल के आखिर तक 60 अरब डॉलर होने की उम्मीद है। सॉफ्टवेयर टेस्टर को टेक्नोलॉजी के साथ-साथ बिजनेस की भी अच्छी समझ होनी चाहिए। टेस्टर के लिए सभी आवश्यकताओं का ठीक तरह से आकलन करना जरूरी होता है। इसके बाद टेस्टिंग की कार्ययोजना तैयार करना, उनका क्रियान्वयन करना, दोष व खतरे को तलाशना, उनकी रिपोर्ट तैयार करना टेस्टर की ही जिम्मेदारी होती है। इतना ही नहीं, एप्लिकेशन से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में आगाह करना भी टेस्टर का ही काम होता है।

(जागरण फीचर)


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