Move to Jagran APP

बगैर आरटीई मान्यता के चल रहे 149 निजी विद्यालय

जागरण संवाददाता, चाईबासा : निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधान

By Edited By: Published: Tue, 21 Feb 2017 02:46 AM (IST)Updated: Tue, 21 Feb 2017 02:46 AM (IST)
बगैर आरटीई मान्यता के चल रहे 149 निजी विद्यालय
बगैर आरटीई मान्यता के चल रहे 149 निजी विद्यालय

जागरण संवाददाता, चाईबासा : निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के आलोक में जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय से मान्यता नहीं लेने वाले निजी स्कूलों पर एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। शिक्षा विभाग की ओर से इन विद्यालयों को आरटीई की मान्यता के लिए 28 फरवरी तक आवेदन जमा करने का अंतिम मौका दिया गया है। इस तिथि के बाद स्कूलों से एक लाख रुपये जुर्माना तथा हर दिन के हिसाब से 10 हजार रुपये वसूले जाएंगे।

loksabha election banner

सोमवार को पिल्लई हाल में आयोजित निजी स्कूलों की बैठक में उपायुक्त डॉ. शांतनु कुमार अग्रहरि ने यह आदेश दिया है। जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में पता चला कि पश्चिमी ¨सहभूम में छोटे-बड़े कुल 170 निजी विद्यालय संचालित हैं। इसमें से 149 निजी विद्यालयों ने अब तक आरटीई के तहत निर्धारित मान्यता नहीं ली है।

विभागीय रिपोर्ट में पता चला कि निर्धारित प्रावधानों के तहत 21 विद्यालयों ने मान्यता प्राप्त कर ली है। उपायुक्त ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया कि राइट टू एजूकेशन के प्रावधानों का अक्षरश: पालन सुनिश्चित की जाए। तय मापदंडों के अनुसार निजी स्कूलों की प्रवेश कक्षा में कमजोर एवं अभिवंचित वर्ग के 25 फीसद छात्रों का नामांकन सुनिश्चित की जाए। इस छात्रों की शिक्षा पर आने वाले खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। सभी निजी स्कूलों से 25 फीसद तय सीटों पर लिए गए नामांकन का ब्यौरा देने को कहा गया। इसके अलावा स्कूलों को वार्षिक शुल्क का विवरण एवं स्कूलों का वार्षिक लेखाजोखा पेश करने को कहा गया।

आरटीई के प्रावधान

संविधान के 86वां संशोधन अधिनियम, 2002 ने भारत के संविधान में अंत: स्थापित अनुच्छेद 21-क के तहत राज्य कानून निर्धारण के अनुसार मौलिक अधिकार के रूप में छह से चौदह वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है। निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई) अधिनियम, 2009 को अनुच्छेद 21-क और आरटीई अधिनियम 1 अप्रैल, 2010 को लागू किया गया। इसके तहत छह से चौदह वर्ष के बच्चों को हर साल में स्कूल में दाखिला सुनिश्चित कराया जाना है। बच्चों के शारीरिक दंड पर रोक लगाने के साथ आरटीई के तहत नए सिर से स्कूलों को मान्यता लेने का प्रावधान किया गया है। नियम के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसद सीटों पर कमजोर एवं अभिवंचित वर्ग के बच्चों के दाखिले का प्रावधान किया गया है। जिला शिक्षा अधीक्षक को आरटीई का नोडल पदाधिकारी बनाया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.