अंतहीन दर्द : ..काश पप्पू का समय पर कराया होता इलाज
साहिबगंज : जिले में कुत्ता काटने के बाद रैबीज का शिकार होकर कई लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे दर्दनाक
साहिबगंज : जिले में कुत्ता काटने के बाद रैबीज का शिकार होकर कई लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे दर्दनाक दास्तां शहर के सकरूगढ़ मोहल्ला की है। इस हादसे को बीते दस वर्ष बीत गए, लेकिन परिजन आज भी इसे नहीं भूल पाए हैं।
तौजीब अंसारी का 30 वर्षीय पुत्र पप्पू अंसारी की दो पुत्रियां और एक पुत्र था। रिक्शा चलाकर पप्पू खुशी परिवार का जीवनयापन कर रहा था। तभी एक दिन अचानक उसे कुत्ते ने काट लिया। इसके बाद वह रैबीज का शिकार हो गया। इस बीमारी से आखिरकार दम तोड़ दिया, वही उसके परिजन का ¨जदगी में एक भूचाल सा आ गया। पप्पू की मौत के अंतहीन दर्द से अब तक परिवार उबर नहीं पाया है।
..और मौत के सदमे से बिखर गया परिवार : माता-पिता की मौत के बाद परिवार की परवरिश की जिम्मेदारी पप्पू के ही कंधे पर थी, लेकिन पप्पू की मौत के बाद उसका भरा-पूरा परिवार बिखर गया। पेट भरने की समस्या से उसकी पत्नी रोशन बीबी मजबूरन बच्चों के साथ मायके चली गई। बाद में पत्नी ने दूसरी शादी कर ली।
समय पर इलाज कराता तो बच जाती जान : उस घटना को याद कर पप्पू अंसारी के चाचा अबुल हसन व चाची जुलेखा खातून की आंखें भर आई। बताया कि लगभग 10 वर्ष पूर्व पप्पू अंसारी अपने ससुर से मिलने दिल्ली गया था। रात को सुप्तावस्था में पप्पू को किसी कुत्ते ने काट लिया। इसके बाद पप्पू ने जड़ी-बूटी से इलाज कराया। पप्पू फिर साहिबगंज लौट आया। 6-7 माह बाद अचानक एक दिन उसने सिर में चक्कर आने की शिकायत की। चाचा ने बताया कि उस दिन ईद थी। लोग खुशियां मना रहे थे। पप्पू ने बताया की पानी पिया नहीं जा रहा है। झाड़फूंक कराने वाले को दिखाया गया। झाड़फूंक करने के क्रम में ही पप्पू कुत्ते की तरह वहां मौजूद लोगों पर हमला करने लगा। इससे परेशान उसके परिजनों ने बाद उसे एक निजी चिकित्सक को दिखाया। चिकित्सक ने मामले को गंभीर बताते हुए भागलपुर रेफर कर दिया। इलाज के क्रम में 36 घंटे के भीतर तड़प-तड़प कर पप्पू की जान चली गई। चाचा ने कहा काश पप्पू ने लापरवाही नहीं बरती होती, उसकी जान बच सकती थी। जड़ी बूटी की जगह एंटी रैबीज वैक्सीन समय पर लगवाया होता तो वह आज ¨जदा होता।
मोहल्ले के लोगों ने मिलकर कराया था झाड़-फूंक : रैबीज की भयावहता से अंजान पप्पू ने ईद की नमाज के बाद मोहल्ला में खुशी खुशी सब को गले लगाया था। पप्पू को रैबीज होने की खबर मिलते ही मोहल्ला के सभी लोगों ने झाड़-फूंक कराया था। वह कुत्तों की तरह भौंकने लगा था। इससे घर व मोहल्ला में लोग डरने लगे थे। चाचा ने बताया कि चिकित्सक ने साफ-साफ बता दिया कि पप्पू को रैबीज हो चुका है। इससे संपर्क में आने से सभी को बचाना होगा। उसके हिंसक व्यवहार से मोहल्ला में दहशत का आलम था। बिगड़ती हालत के बीच पप्पू को जंजीरों से बांधकर घर के एक कमरे में मजबूरन बंद रखना पड़ा था। जहां रात भर पप्पू जगा रहता था। कभी कभी वो बेहोश भी हो जाता था। साथ ही पप्पू की तड़प के बीच घर के सभी सदस्य जगे रहते थे।
रैबीज पर गंभीर नहीं प्रशासन : कुत्ता काटने के बाद होने वाली बीमारी रैबीज पर प्रशासन गंभीर नहीं। पशु पालन विभाग के समक्ष सबसे बड़ी समस्या कुत्तों की पहचान करना है। नसबंदी या टीकाकरण के लिए कुत्ते की पहचान जरूरी है। वहीं इसके लिए नगर पर्षद को आवारा कुत्तों को पकड़ना होगा, लेकिन नगर पर्षद के पास कर्मी और जगह की कमी है। कभी-कभी इतने मामले आते हैं कि स्वास्थ्य विभाग के पास वैक्सीन की कमी हो जाती है। ऐसे में अगर किसी को कुत्ता काट ले तो इसकी गंभीरता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
डॉग कै¨चग दस्ता की जरूरत : जानकार बताते हैं कि पहले नगर पालिका के पास डॉग कै¨चग दस्ता मौजूद था। शहर के कुत्तों को पकड़ कर टीकाकरण कराया जाता था, लेकिन अब बदलते समय के साथ उक्त व्यवस्था बंद कर दी गई है। कई लोगों ने उक्त दस्ता को पुन: क्रियाशील करने पर जोर दिया है।