जैविक खेती से बढ़ेगी बंजर खेतों की ताकत
साहिबगंज : साहिबगंज जिले में कृषि विज्ञान केंद्र आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्लान तैयार करे
साहिबगंज : साहिबगंज जिले में कृषि विज्ञान केंद्र आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्लान तैयार करेगा। इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। जमीन पर जहरीले रसायन के गलत प्रयोग से किसानों को बचाया जाएगा। जैविक खाद से तैयार फसल की कीमत भी बाजार में सामान्य से दोगुनी मिलती है।
कृषि बहुल साहिबगंज जिले में आज भी बहुत बड़ी आबादी कृषि पर आश्रित है। बीते कुछ वर्षो में रासायनिक उर्वरक के बढ़ते प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है। अब जिला कृषि विज्ञान केंद्र जिले में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। केविके किसानों के मिट्टी की जांच भी कर रहा है। खरीफ सीजन में 887 व रबी सीजन में 261 किसानों ने मिट्टी जांच कराई है। जिले में अम्लीय, क्षरीय व उदासीन मिट्टी की बहुलता है।
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खेतों पर पड़ रहा रासायनिक खाद का असर
जिले में कुल कृषि योग्य भूमि 1 लाख 03 हजार 49 हेक्टेयर है। वर्तमान में जिले कुल खेती योग्य भूमि के 30 फीसद हिस्से में ही सिंचाई हो रही है। किसान खेती के दौरान धड़ल्ले से रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं, जिसके कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है। दूसरी ओर फसलों को कीटों से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर कीटनाशक का प्रयोग हो रहा है। जिसका प्रभाव किसानों के साथ-साथ आम लोगों की जिंदगी पर भी पड़ रहा है। कई प्रखंडों में फैले पहाड़ी क्षेत्रों की ऊपरी जमीन पर प्राय: अम्लीय मिट्टी पायी जाती है। जबकि गंगा किनारे की जमीन सबसे उत्तम होती है। इसे उदासीन मिट्टी कहा जाता है। इन जमीनों में ग्रामीण किसान जानकारी के अभाव में ज्यादा उपज के लिए मनमानी तरीके से रसायनिक खाद का प्रयोग करते हैं। इस कारण खेतों की मिट्टी की उर्वरता प्रभावित होती है। जिले के ऊपरी जमीन पर 62.2 फीसदी अम्लीय, मध्यम जमीन पर 22.5 फीसदी क्षारीय व 14.6 फीसदी उदासीन जमीन है। किसान खेतों में जैविक खाद का प्रयोग कर बेहतर उपज हासिल कर सकते हैं। गोबर, कंपोस्ट व वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी किसान बरकरार रख सकते हैं।
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क्या कहते हैं जिले के किसान
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साहिबगंज प्रखंड के किसान लक्ष्मण यादव, अरुण कुमार, सिद्धेश्वर मोहली बताते है कि फसल को कीटों से बचाने के लिए इंडो सल्फान कीटनाशक का स्प्रे करना पड़ता हैं। वे बताते हैं कि पहले खेती के दौरान फसल में इतनी संख्या में कीट नहीं लगते थे परंतु आज की स्थिति अलग है। बिना कीटनाशक का इस्तेमाल किये फसल को कीटों से बचाना कठिन हो जाता है। जिले के बरहड़वा, राजमहल, उधवा व साहिबगंज प्रखंड क्षेत्र के किसान जहां पैदावार बढ़ाने के लिए सबसे अधिक रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कर रहे हैं। फसल को कीटों से बचाने के लिए जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है, ऐसे में स्प्रे की सही विधि की जानकारी नहीं होने से कीटनाशक श्वसन के जरिये शरीर में चला जाता है।
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कोट
रासायनिक उर्वरकों के खेतों में सही मात्रा में प्रयोग नहीं होने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। आज भी किसानों को इसके प्रयोग की सही जानकारी नहंी है। इसलिए केविके आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्लान तैयार कर रहा है।
डा.अमृत कुमार झा, समन्वयक
कृषि विज्ञान केंद्र, साहिबगंज