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राम के समान विवेक जरूरी : गौरांग

By Edited By: Published: Tue, 08 Apr 2014 06:11 PM (IST)Updated: Tue, 08 Apr 2014 06:11 PM (IST)

राजमहल (साहिबगंज) : आज जिस तरह से भारत में पाश्चात्य संस्कृति अपनी जड़ जमा रही है उससे बाहर निकलना जरूरी है। भारतीयता की रक्षा के लिए भगवान राम के समान विवेक होना जरूरी है।

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उक्त बातें राजमहल स्थित कन्हाई नाट्यशाला में मंगलवार को चैतन्य महाप्रभु के यहां आगमन की 509वीं वर्षगांठ सह रामनवमी के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान मायापुर इस्कान से आए मीडिया प्रवक्ता रसिक गौरांग दास ने कहीं। दास ने कहा कि महाप्रभु चैतन्य का एकमात्र उद्देश्य लोगों को जोड़ना था। उन्होंने जाति-धर्म, संप्रदाय इत्यादि से ऊपर उठकर मनुष्य व मानवता को सबसे बड़ा धर्म बताया। श्री दास ने कहा कि भारत पुण्यात्माओं की जन्मभूमि व कर्मभूमि रही है लेकिन यहां स्वार्थपूर्ण राजनीति ने इतनी गहरी जड़े जमा ली है कि उन्हें निकालना काफी कठिन लग रहा है। हालांकि यह असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अब भी समय है कि भारतवासी अपने को समझें। श्री दास ने कहा कि जब पश्चिमी देश के लोग भारत के आध्यात्म और योग को अपनाकर अपने जीवन को शांतिपूर्ण बनाने का प्रयास कर रहे हैं तो हम भारतवासी क्यों पाश्चात्य संस्कृति के पीछे अंधी दौड़ लगा रहे हैं। इस दौरान मायापुर के भक्ति वेदांत शिक्षण प्रदान करने वाले शिक्षक आनंद व‌र्द्घन व राजमहल कन्हाई नाट्यशाला के संचालक प्राणजीवन चैतन्य दास भी मौजूद थे।


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