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आदिवासी समाज के साथ सबसे अधिक अन्याय : अग्निवेश

रांची : आर्य समाज एवं बंधुआ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने कहा कि आज दलितों, मुस्लिमों के साथ अन्याय हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Aug 2017 07:36 PM (IST)Updated: Wed, 09 Aug 2017 07:36 PM (IST)
आदिवासी समाज के साथ सबसे अधिक अन्याय : अग्निवेश
आदिवासी समाज के साथ सबसे अधिक अन्याय : अग्निवेश

रांची : आर्य समाज एवं बंधुआ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने कहा कि आज दलितों, मुस्लिमों से भी अधिक अन्याय आदिवासियों के साथ हो रहा है। पूरे देश में यह स्थिति है। आदिवासी हितों की रक्षा के लिए पांचवीं अनुसूची के तहत काफी शक्तियां राज्यपालों को प्राप्त हैं, लेकिन किसी राज्यपाल ने इन शक्तियों का प्रयोग नहीं किया। उन्होंने बुधवार को राजभवन में राज्यपाल से मिलकर आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए संविधान प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग की मांग की। उन्होंने कहा, झारखंड में पेसा एक्ट, फारेस्ट राइट एक्ट व पांचवी अनुसूची का उल्लंघन हो रहा है।

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राजभवन से निकलकर मीडिया को इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड के तेरह जिले अनुसूचित क्षेत्र में आते हैं। कानून के अनुसार इन जिलों में पंचायतों का गठन नहीं हो सकता। लेकिन यहां तो पंचायत ही नहीं नगर निकाय तक गठित हो गए। यह आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के विपरीत है। उनके अनुसार, इसका परिणाम ही है कि आदिवासी उजाड़े जा रहे हैं। आदिवासी आज बंधुआ मजदूर हो गए हैं। ईट-भट्ठों, पत्थर खदानों में इनकी बेबसी देखी जा सकती है। कहा, इस समाज के राजनीतिक व्यक्ति विधायक, सांसद, मंत्री और मुख्यमंत्री तो बने, लेकिन आदिवासियों के लिए कभी नहीं बोले। उन्होंने राज्यपाल से मिलकर इन मुद्दों को उठाने की मांग की। बकौल अग्निवेश, राज्यपाल ने इसका आश्वासन भी दिया। पेसा एक्ट की बारीकियों को समझने के लिए राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी आयोजित करने की बात भी कही है। उन्होंने राज्यपाल से इन मुद्दों पर देश का नेतृत्व करने का अनुरोध भी किया।

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झारखंड में भी हो शराबबंदी

स्वामी अग्निवेश ने बिहार की तरह झारखंड में भी शराबबंदी पर जोर दिया। कहा, इससे सरकार को राजस्व तो मिलता है लेकिन घर-परिवार भी उजड़ते हैं। यहां तो उलटे सरकार ही शराब बेच रही है। उनके अनुसार, इसपर भी राज्यपाल से चर्चा हुई। अग्निवेश ने झारखंड में शराबबंदी को लेकर आंदोलन शुरू करने की बात कही। धर्मातरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि प्रकृति ही आदिवासियों का धर्म है। उनका अपना धर्म ही श्रेष्ठ है। कोई दूसरा धर्म उनपर थोपा नहीं जाना चाहिए।


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