मुंडा के सीएम रहते भी आया था सीएनटी में संशोधन का प्रस्ताव
सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक के खिलाफ तल्ख तेवर अपनाए पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के समय भी सीएनटी के प्रावधानों में बदलाव की पहल टीएसी ने की थी।
राज्य ब्यूरो, रांची। रघुवर सरकार द्वारा विधानसभा में पारित सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक के खिलाफ तल्ख तेवर अपनाए पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के समय भी सीएनटी के प्रावधानों में बदलाव की पहल टीएसी ने की थी। तीसरी दफा राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद इस दिशा में कवायद हुई थी। इस इश्यू पर अभी तीखे तेवर अपनाए नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन अर्जुन मुंडा की कैबिनेट में डिप्टी सीएम थे। भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव एनएन पांडेय ने इस बाबत प्रस्ताव तैयार कर मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए भेजा था।
छह जून 2011 को भेजे गए प्रस्ताव को नीचे से लेकर ऊपर तक एक दिन में सहमति दे दी गई। प्रस्ताव में भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव एनएन पांडेय ने जिक्र किया कि सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 के अंतर्गत गैर कृषि उपयोग हेतु गैर कृषि लगान की वसूली करने के लिए आवश्यक संशोधन की स्वीकृति मंत्रिमंडल दे। प्रस्ताव पर विधि और वित्त विभाग की सहमति का भी उल्लेख है। उसी तिथि को तत्कालीन कैबिनेट सचिव आदित्य स्वरूप की अनुशंसा के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव एसके चौधरी ने स्वीकृत कर दिया था। हालांकि यह प्रस्ताव कैबिनेट के विचारार्थ नहीं आ पाया।
सीएनटी पर टकराए रघुवर दास व अर्जुन मुंडा
सीएनटी संशोधन का प्रस्ताव मैंने नकारा था : मुंडा
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा का कहना है कि उनके शासनकाल में टीएसी की अनुशंसा के बाद भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग का प्रस्ताव आया था कि सीएनटी में संशोधन किया जाए लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को सख्ती से नकार दिया था। मुंडा ने रविवार को रायपुर से फोन पर बातचीत करते हुए कहा कि प्रस्ताव आने का मतलब यह नहीं है कि मेरी उसमें सहमति थी। उन्होंने उस वक्त तमाम दलों की एक संयुक्त कमेटी भी बनाई थी।