आइएएस अफसरों के खिलाफ जांच की रफ्तार सुस्त
आइएएस अफसरों के खिलाफ राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच की रफ्तार सुस्त है। जांच का सिलसिला वर्षों से चल रहा है। कुछ अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए, फिर भी उनके विरुद्ध चल रही जांच पूरी नहीं हुई।
राज्य ब्यूरो, रांची। आइएएस अफसरों के खिलाफ राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच की रफ्तार सुस्त है। जांच का सिलसिला वर्षों से चल रहा है। कुछ अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए, फिर भी उनके विरुद्ध चल रही जांच पूरी नहीं हुई। हालांकि रिनपास के प्रभारी निदेशक रहे डॉ. अमूल रंजन के मामले में अपर मुख्य सचिव रैंक के अधिकारी बीके त्रिपाठी के खिलाफ एसीबी ने सरकार को रिपोर्ट भेज दी है। इस मामले में चार्जशीट बाकी है। रांची के डीसी रहते सुधीर प्रसाद पर रानी बगान, चेशायर होम रोड में जमीन पर लगी सीलिंग एक समय सीमा तक हटाने और इससे राजस्व का नुकसान होने के आरोप में 1998 में मामला दर्ज किया गया था। वे मुख्य सचिव रैंक से हाल ही में सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन जांच अब भी जारी है। इस मामले में आरोप है कि सीलिंग हटने से कई प्लाटों की बिक्री संभव हो सकी।
सजल पर दो मामले :
चर्चित आइएएस अधिकारी और प्रदेश के मुख्य सचिव रहे सजल चक्रवर्ती पर एसीबी में दो मामले दर्ज हैं। जवाहर योजना अंतर्गत सामाजिक सुरक्षा राशि के तहत दिए गए पैसे के दुरुपयोग के आरोप में एक मामला 1995 में उनके खिलाफ दर्ज हुआ था। फिर सर्ड में वित्तीय अनियमितता को लेकर 1995 में दूसरा मामला दर्ज हुआ था। चक्रवर्ती सेवानिवृत्त हो चुके हैं लेकिन जांच जारी है।
परमजीत पर आय से अधिक संपत्ति का मामला :
सेवानिवृत आइएएस अधिकारी परमजीत कौर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला एसीबी में 2010 से चल रहा है। छह वर्षों से जांच जारी है।
कुंगा की फाइल नहीं दे रही बिहार सरकार :
आदिवासी कल्याण आयुक्त रहते लियांग कुंगा पर पंप सेट की आपूर्ति में अनियमितता को लेकर 1999 में मामला दर्ज हुआ था। संबंधित फाइल के लिए कल्याण विभाग-बिहार से निगरानी ब्यूरो ने पत्राचार किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उनके खिलाफ भी जांच जारी है।