झारखंड में भी वीआइपी कल्चर पर रोक
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लाल के साथ-साथ अफसरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली नीली बत्ती के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में वीआइपी कल्चर अब बीते दिनों की बात हो गई। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय कैबिनेट में बुधवार को लिए गए निर्णय के आलोक में एक कदम आगे बढ़ते हुए लाल के साथ-साथ अफसरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली नीली बत्ती के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है। राज्य में अब केवल एंबुलेंस, फायर बिग्रेड व पीसीआर वैन को ही बत्ती लगाने की इजाजत दी गई है।
मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों ने अपने सरकारी वाहन से हटवाई लाल बत्ती
झारखंड देश का पहला राज्य बना है जहां किसी भी तरह की बत्ती लगाने को प्रतिबंधित किया गया है। मुख्यमंत्री ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीआइपी कल्चर को समाप्त करने की सराहनीय पहल की है। बता दें कि राज्य में 500 से अधिक मंत्री, सांसद, विधायक, बोर्ड निगम के चेयरमैन और आइएएस-आइपीएस लाल और नीली बत्ती का प्रयोग करते हैं।
लालबत्ती और बिहार
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परिवहन विभाग ने जारी की अधिसूचना
राज्य सरकार के परिवहन विभाग ने इस बाबत आधिकारिक अधिसूचना गुरुवार की रात जारी कर दी। केंद्रीय मोटरवाहन नियमावली, 1989 के नियम-108 के आलोक में व्यक्तियों/पदाधिकारियों को ले जा रहे सरकारी वाहनों के ऊपर/आगे रंगीन बत्ती(लाल/नीला) के प्रयोग के अधिकार को निरस्त करते हुए सभी सरकारी वाहनों से रंगीन बत्ती को हटाने का आदेश दिया है। ड्यूटी के दौरान अपने अधिकार क्षेत्र में फायर बिग्रेड (फ्लैशर युक्त नीली बत्ती),पीसीआर वैन/पायलट वाहन (बहुरंगी-नीली, सफेद व लाल बत्ती), एंबुलेंस (बैंगनी ग्लास के साथ ब्लिंकर युक्तलाल बत्ती) लगाने का आदेश यथावत रहेगा।
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खुद हटाई लाल बत्ती
गुरुवार को भी कई मंत्रियों और अधिकारियों द्वारा खुद लाल बत्ती हटाने का सिलसिला जारी रहा। मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी, राज्य बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष राकेश प्रसाद ने अपनी गाडिय़ों से वीआइपी लाइट्स हटा दीं।