शिकंजे में मनरेगा के मुजरिम
झारखंड मेंं मनरेगा को धरातल पर उतारने में भ्रष्टाचार करने वाले अफसर तेजी से कार्रवाई की जद में आ रहे हैं। इन अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोपों को कार्मिक विभाग ने आरंभिक जांच में पूरी तरह सत्य पाया है। विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश दिया गया है।
प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड मेंं महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को धरातल पर उतारने में भ्रष्टाचार करने वाले अफसर तेजी से कार्रवाई की जद में आ रहे हैं। इन अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोपों को कार्मिक विभाग ने आरंभिक जांच में पूरी तरह सत्य पाया है। अब इनपर विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश दिया गया है। ऐसे अफसरों के खिलाफ मनरेगा के काम के आवंटन में गड़बड़ी, देरी से मजदूरी का भुगतान करने, बगैर जांच के अग्र्रिम (एडवांस) राशि का भुगतान करने समेत कई आरोप लगे हैं।
राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी महावीर प्रसाद सिंह ने बगोदर में प्रखंड विकास अधिकारी के पद पर तैनाती के दौरान गड़बड़ी की। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान मनरेगा की योजनाओं में न सिर्फ मजदूरों को भुगतान करने में देरी की बल्कि रॉयल्टी भी सरकारी कोष में जमा नहीं किया। उन्होंने सहायक अभियंता की जांच के बिना योजना मद की राशि का भुगतान कर दिया और पर्यवेक्षण तक करने में कोताही बरती। ग्र्रामीण विकास विभाग की राज्य मनरेगा कोषांग ने इस गड़बड़ी को पकड़ा और उनके खिलाफ जांच आरंभ की। प्रथमदृष्टया इनके खिलाफ लगाए गए सारे आरोप सही पाए गए हैं। राज्य सरकार अब गड़बड़ी के आरोपों के मद्देनजर विभागीय कार्यवाही आरंभ करेगी। आरोपी पदाधिकारी से अपने बचाव में लिखित बयान मांगा गया है।
बुंडू में 78 लाख का लगाया चूना
बुंडू के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी ललन कुमार ने तैनाती के दौरान गंभीर अनियमितता बरती। उनके खिलाफ 78 लाख रुपये से ज्यादा की राजस्व की क्षति करने का आरोप है। उपायुक्त सह जिला कार्यक्रम समन्वयक ने इस बाबत प्रतिवेदन कार्मिक विभाग को प्रेषित किया। इस आधार पर गठित प्रपत्र क में उनके खिलाफ लगाए गए सारे आरोप सही पाए गए हैं। राज्य सरकार अब विभागीय कार्यवाही संचालित करेगी।
जांच करने के लिए सेवानिवृत्त आइएएस एहतेशामुल हक को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है। इनसे 15 दिन के भीतर अपने ऊपर लगे आरोपों के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
लक्ष्य हो रहा बाधित
-ग्र्रामीण परिवारों को एक वर्ष में कम से कम 100 दिन का रोजगार देना।
-ग्र्राम स्तर पर स्थायी एवं आधारभूत संरचनाओं का निर्माण।
-राज्य से मजदूरों के पलायन पर रोक के लिए गांव के आसपास रोजगार का सृजन।
-विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा।