चार साल में 12 नोटिस, फिर भी जवाब नहीं दे रहीं आइपीएस सुमन गुप्ता
गृह विभाग ने अनुशासनहीनता में भारतीय पुलिस सेवा की वरीय अधिकारी सुमन से कई बार नोटिस जारी कर जवाब मांगा, लेकिन ये कभी उत्तर नहीं देतीं।
प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड में नियम-कानून के रखवाले ही इसकी धज्जियां उड़ाते हैं। जिनसे बेहतर अनुशासन की अपेक्षा की जाती है, उन पर अनुशासनहीनता के आरोप लगते हैं। इसमें नोटिस जारी कर जवाब मांगे जाने पर भी आला अधिकारी उत्तर देने से गुरेज करते हैं। ताजा मामला है भारतीय पुलिस सेवा की वरीय अधिकारी सुमन गुप्ता का। गृह विभाग ने बीते चार साल में अनुशासनहीनता के आरोप में इनसे एक दर्जन बार नोटिस जारी कर जवाब मांगा, लेकिन ये कभी उत्तर नहीं देतीं। दरअसल, गृह विभाग के पास सुमन गुप्ता के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई आरंभ करने की अनुशंसा है और जवाब भी इसी संदर्भ में मांगा जा रहा है। यह अनुशंसा राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक गौरीशंकर रथ ने की थी।
जवाब नहीं मिलने के कारण गृह विभाग कार्रवाई की प्रक्रिया आऱंभ नहीं कर पा रहा है। पूर्व पुलिस महानिदेशक गौरीशंकर रथ ने 14 फरवरी 2013 को गृह विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव जेबी तुबिद को पत्र लिखकर सुमन गुप्ता के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की थी। इसकी वजह पूर्व में पुलिस मुख्यालय के स्तर से उनसे मांगे गए कई आरोपों पर स्पष्टीकरण नहीं देना था। अनुशंसा में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ने जिक्र किया है कि वरीय पुलिस अधिकारी होने के नाते उन्हें अनुकरणीय कार्य शैली विकसित कर उदाहरण के तौर पर पेश करना चाहिए था लेकिन उन्होंने अनुशासनहीनता की मिसाल पेश की। सुमन गुप्ता को उन्होंने हठधर्मिता, वरीय पदाधिकारियों के आदेश का अनुपालन करने की बजाय पत्राचार कर दिग्भ्रमित करने और पत्राचार में भाषा शैली का पद के अनुरूप ख्याल नहीं रखने और गलत टिप्पणी करने का दोषी पाया। रथ ने यह भी अनुशंसा की थी कि सुमन गुप्ता को भविष्य में किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं रखा जाए।
आरोपों की फेहरिश्त, सीनियर आफिसर्स के आदेश की अवहेलना
-देवघर में पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए पुलिस उप महानिरीक्षक के आदेश की अनदेखी। जिस थाना प्रभारी के खिलाफ कहा गया कार्रवाई को, उसके खिलाफ नहीं हुई कार्रवाई। पुलिस मुख्यालय ने जवाब मांगा पर नहीं सौंपा उत्तर।
-जैप (झारखंड सशस्त्र पुलिस)-6, जमशेदपुर में कमांडेंट पद पर तैनाती के दौरान आइजी की प्रतिनियुक्ति पर तीन माह के लिए रखे गए रसोइया मनोज कुमार यादव को अनावश्यक रूप से बिना जीवनयापन भत्ता के निलंबित रखते हुए व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का विषय बनाया।
-जैप-6 में बर्खास्त सिपाही राम कुमार राम ने बर्खास्त होने के बाद डीआइजी के समक्ष अपील की। डीआइजी ने उसे दो साल के लिए मूल वेतन पर रखने का दंड दिया। चार माह के बाद भी आदेश अनुपालन के संबंध में जानकारी नहीं दी गई। जबकि 24 घंटे के भीतर अनुपालन का प्रतिवेदन भेजना था।
-इंडिया रिजर्व बटालियन में ट्रेड रैंक (बढ़ई) सिपाही के पद पर चयनित बुधनाथ मुंडा की नियुक्ति में अपेक्षित ऊंचाई नहीं पाये जाने पर पुलिस मुख्यालय ने उंचाई की कमी को मार्जिन करते हुए बहाली का आदेश दिया। इस आदेश का अनुपालन नहीं हुआ।
-डीआइजी (प्रोविजन) ने आर्डिनेंस फैक्ट्री, जबलपुर से 9 एमएम कारतूस लाने के लिए मार्गरक्षी दल गठित करने को कहा लेकिन समादेष्टा के पद पर रहते हुए उन्होंने बल की कमी का हवाला दिया। जब डीआइजी ने उनसे उपलब्ध बल को लेकर विवरण मांगा तो उन्होंने आदेश पर अमल करने की बजाय यह टिप्पणी कर फाइल लौटा दी कि कनीय पदाधिकारी उन्हें दिग्भ्रमित नहीं कर सकता।
-बर्खास्त सिपाही मुकेश कुमार का मामला। डीआइजी के आदेश का अनुपालन नहीं। नहीं भेजा प्रतिवेदन।
जानिए, गृह विभाग ने कब-कब भेजा नोटिस
पत्र संख्या दिनांक
4259 22.08.2013
7532 20.12.2013
4995 24.07.2014
6289 18.09.2014
7614 19.11.2014
358 23.01.2015
3326 29.05.2015
5877 22.09.2015
253 28.01.2016
4178 29.07.2016
1131 23.02.2017
5259 22.09.2017
नहीं मिली प्रतिक्रिया
गृह विभाग की नोटिस और जवाब नहीं देने के आरोपों के संबंध में रेल आइजी सुमन गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल नंबर 94311-09156 आऊट आफ रीच और बंद पाया गया।