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चारा घोटालाः वाहन का रजिस्ट्रेशन हुआ नहीं, पशु चारा की हो गई ढुलाई

लालू डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत में पेश हुए।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 19 Feb 2018 12:35 PM (IST)Updated: Mon, 19 Feb 2018 03:43 PM (IST)
चारा घोटालाः वाहन का रजिस्ट्रेशन हुआ नहीं, पशु चारा की हो गई ढुलाई
चारा घोटालाः वाहन का रजिस्ट्रेशन हुआ नहीं, पशु चारा की हो गई ढुलाई

जागरण संवाददाता, रांची। चारा घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव आज सीबीआइ कोर्ट में पेश हुए। डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में उनकी पेशी सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत में हुई। इस मामले में तमिलनाडु के 4 आरटीओ की गवाही अदालत में दर्ज की गई।

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गवाही में यह बात सामने आई कि दो वैसे वाहन जांच में पाए गए हैं, जिसका रजिस्ट्रेशन हुआ ही नहीं था। रजिस्ट्रेशन हुआ नहीं और उससे पशु चारे की धुलाई दिखाई गई। घोटाले के आरोपियों द्वारा इन वाहनों का नंबर चालान में भरकर पैसे की निकासी कर ली गई थी। एक ऐसे ट्रक से पशु चारा व उपकरण की ढुलाई दिखाया गया, जिसकी बाडी बनी ही नहीं थी। 

अदालत में तमिलनाडु के तिरुनुवली के आरटीओ जे शशि, करुर के आरटीओ के सुब्रमण्यम, चेन्नई ईस्ट के आरटीओ एन थिनाकरण व नकीपलयम जिला नवाकाल के आरटीओ आर वेंकटेशन ने गवाही दी। गवाही सीबीआइ के वरीय विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि सभी आरटीओ ने तत्कालीन आरटीओ और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर द्वारा सीबीआइ को लिखे गए पत्र की पहचान न्यायालय में की। इसमें सीबीआइ एसपी द्वारा वाहन का नंबर भेजकर विवरणी उपल्बध कराने को कहा था। गवाहों द्वारा विवरणी दिया गया था। बीएमपी सिंह ने बताया कि चारों गवाहों ने 11 वाहनों की विवरणी से संबंधित जानकारी न्यायालय को दी।

बताया कि दो वैसे वाहन का नंबर उन्हें पता चला, जिसका रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ था। एक ट्रक का ऐसा नंबर था जिसका बाडी ही नहीं बनी थी। तीन दो पहिया वाहन के नंबर हैं बाकी के सभी ट्रक थे। मामले में आपूर्तिकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने गवाहों से जिरह किया। राजनीतिक नेताओं के अधिवक्ताओं ने गवाह से जिरह करने का इंकार किया गया। कहा गया कि ये गवाह उनसे संबंधित नहीं हैं। लालू प्रसाद के अधिवक्ता भी गवाह से जिरह नहीं किए। लालू के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बताया कि गवाह उनसे संबंधित नहीं था इसलिए वे जिरह नहीं किए।

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