सरकारी तंत्र पर भारी माफिया, जहरीली शराब कांड में 20 लोगों की मौत की लीपापोती शुरू
जहरीली शराब से 20 लोगों की मौत की घटना के बाद मुख्यमंत्री के आदेश पर चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी।
दिलीप कुमार, रांची। शराब माफिया सब पर भारी, और सरकारी तंत्र उसके सामने बेबस है। इसका प्रमाण है रांची में जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की मौत हो जाने के बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न होना। प्रथमदृष्टया लापरवाही का दोषी मानकर मुख्यमंत्री रघुवर दास के आदेश से सहायक एक्साइज कमिश्नर उमाशंकर सिंह के निलंबन के एक माह के भीतर ही निलंबन वापसी की अनुशंसा कर दी गई। मुख्यमंत्री ने निलंबन के साथ-साथ विभागीय कार्रवाई का भी आदेश दिया था, मगर उसका भी कुछ अता-पता नहीं है। निलंबन वापसी की अनुशंसा एक्साइज विभाग के पूर्व सचिव अविनाश कुमार ने की है, जो स्थानांतरित होते-होते अपने जाने से पहले कर गए। उमाशंकर सिंह दिसंबर 2016 से दस जनवरी 2018 तक रांची में इस पद पर कार्यरत रहे। इसी दौरान यह घटना हुई।
जहरीली शराब से 20 लोगों की मौत की घटना के बाद मुख्यमंत्री के आदेश पर दक्षिणी छोटानागपुर के प्रमंडलीय आयुक्त दिनेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। समिति के तीन अन्य सदस्यों में तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर विनोद शंकर सिंह, रांची के सिटी एसपी अमन कुमार व तत्कालीन सदर एसडीओ एके सत्यजीत शामिल थे। चार सितंबर 2017 को रांची जिले में हुई जहरीली शराब से मौतों के बाद उक्त कमेटी गठित की गई थी।
तीन अक्टूबर को जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट दी थी, जिसके तथ्यों की समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री ने सहायक एक्साइज कमिश्नर को निलंबित करने और विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इसी निर्देश पर 19 दिसंबर 2017 को गृह विभाग ने एक्साइज सेक्रेटरी को आदेश दिया था कि उमाशंकर सिंह को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई शुरू करें। उमाशंकर सिंह पर लापरवाही का आरोप लगा था। यह रिपोर्ट कई दिनों तक विभाग में पड़ी रही। दैनिक जागरण ने तब भी इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। उसके बाद तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी अविनाश कुमार ने 10 जनवरी 2018 को उमाशंकर सिंह को निलंबित किया था।