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ग्रामीण सड़क बनाने में जुटी एजेंसियों पर भ्रष्टाचार के आरोप

ग्रामीण सड़क निर्माण की विभिन्न योजनाओं में काम कर रही एजेंसियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। इसकी फेहरिश्त लंबी-चौड़ी है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 01:33 PM (IST)Updated: Wed, 14 Feb 2018 01:34 PM (IST)
ग्रामीण सड़क बनाने में जुटी एजेंसियों पर भ्रष्टाचार के आरोप
ग्रामीण सड़क बनाने में जुटी एजेंसियों पर भ्रष्टाचार के आरोप

प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड के ग्रामीण इलाकों में परिवहन सेवा को सुचारू बनाने में जुटी राज्य सरकार को केंद्रीय एजेंसियां ही झटका दे रही हैं। आलम यह है कि ग्रामीण सड़क निर्माण की विभिन्न योजनाओं में काम कर रही एजेंसियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। इसकी फेहरिश्त लंबी-चौड़ी है। राज्य सरकार ने इनके भ्रष्ट कारनामों को देखते हुए नकेल कसने की तैयारी की है। इस कड़ी में सरकार ने 95 कार्य योजनाओं में मिली भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच कराने का निर्णय किया है। इसकी जांच की जिम्मेदारी एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को सौंपी गई है। जिन केंद्रीय एजेंसियों के कामकाज की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो करेगी उसमें नेशनल प्रोजेक्टस कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लि. (एनपीसीसी), नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी), हिंदुस्तान सेल्स प्रा. लि. (एचएसपीएल) और इरकान शामिल हैं।

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इन केंद्रीय एजेंसियों के कामकाज में ढिलाई को राज्य के विकास में बड़ी बाधा माना जा रहा है। इन एजेंसियों के खिलाफ शिकायत है कि इनके काम का स्तर घटिया है और समय पर ये परियोजनाओं को पूरा नहीं करतीं। इसके कारण योजनाओं की लागत बढ़ती है और घाटा राज्य सरकार को उठाना पड़ता है। इनके खिलाफ अधिकांश काम आउटसोर्स कराने समेत कार्य के निष्पादन में घोर उदासीनता बरतने का भी आरोप है। गुमला, पश्चिमी सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम में एक ही ठेकेदार को कई पैकेज आवंटित करने की भी शिकायतें मिली हैं। ठेका कंपनियां इस कदर लापरवाह हैं कि इनका काम छह वर्ष में भी पूरा नहीं हो पा रहा है। 1 

249 गांव पीएमजीएसवाई कोर नेटवर्क से छूटे

झारखंड में 249 गांव प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के कोर नेटवर्क से छूटे हुए हैं। इन्हें ग्रामीण सड़क नेटवर्क से जोड़ने की योजना अभी आरंभिक चरण में है। केंद्र सरकार ने राज्य को निर्देश दिया है कि छूटे हुए गांवों को जोड़ने के लिए डीपीआर प्रस्तुत करें।

विधायकों ने की बड़े पैमाने पर शिकायतें

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में अनियमितता की शिकायतें बड़े पैमाने पर राज्य के विधायकों ने की है। बोकारो के विधायक बिरंची नारायण ने भी इससे संबंधित सवाल उठाते हुए ग्रामीण विकास विभाग से जवाब मांगा। बहरागोड़ा के विधायक कुणाल षाडंगी के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में काम की गुणवत्ता एकदम खराब है। एजेंसियों ने काम छोड़ दिया। उसे किसी प्रकार राज्य सरकार पूरा करा रही है। पुरानी दर पर काम करने से ठेकेदार गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। सड़क का डीपीआर बनाने में भी अनियमितता होती है। केंद्र सरकार जीपीएस के जरिए सड़क का डीपीआर बनाती है और प्रति किलोमीटर 24 हजार रुपये चार्ज लेती है वहीं राज्य सरकार के विभाग एक किलोमीटर सड़क के डीपीआर के लिए सिर्फ 26 हजार रुपये लेते हैं।

ग्रामीण सड़क का लक्ष्य

कुल लंबाई 4500 किलोमीटर

कितना काम हुआ 2604 किलोमीटर

गांवों का दायरा 1700

जुड़े गांव 10401


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