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2300 करोड़ का एचईसी ने मांगा पुनर्वास पैकेज

एचईसी को उम्मीद है कि उन्हे पुनर्वास पैकेज मिलेगा और एचईसी के दिन अच्छे होंगे। वर्क ऑर्डर में भी बेहतर सुधार देखने को मिले हैं।

By Edited By: Published: Sun, 11 Feb 2018 10:30 PM (IST)Updated: Mon, 12 Feb 2018 02:03 PM (IST)
2300 करोड़ का एचईसी ने मांगा पुनर्वास पैकेज
2300 करोड़ का एचईसी ने मांगा पुनर्वास पैकेज

रांची, जेएनएन। एचईसी 2300 करोड़ रुपये का पुनर्वास पैकेज केद्र सरकार से मांगा है, ताकि कंपनी का पुनर्वास हो सके। इस मसले पर एचईसी के सीएमडी अविजीत घोष दिल्ली भी जाएंगे और मंत्रालय मे इस मसले पर चर्चा भी करेगे। करीब 1260 करोड़ का पैकेज सिर्फ मशीनो को आधुनिकीकरण करने मे खर्च होगे। जबकि शेष राशि कंपनी के अन्य मद मे खर्च किए जाएंगे, ताकि गुणवलाायुक्त उत्पादन के साथ-साथ अधिक से अधिक उत्पादन प्लांट मे हो सके। इससे एचईसी अपने घाटे को कम कर समय पर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सके। पहली बार पुनर्वास पैकेज के लिए केद्र सरकार मांगा गया है। अब तक सर्वाइवल पैकेज की मांगा जाता था।

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मंत्रालय मे जाकर सीएमडी नए वर्क ऑर्डर से भी अवगत कराएंगे। नीति आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट मे एचईसी के पुनर्वास पैकेज की बात का समर्थन किया था। वही, एचईसी को उम्मीद है कि उन्हे पुनर्वास पैकेज मिलेगा और एचईसी के दिन अच्छे होगे। वर्क ऑर्डर मे भी बेहतर सुधार देखने को मिले है। यही कारण है कि हाल के दिनो मे दो महत्वपूर्ण वर्क ऑर्डर को पूरा किया गया है। आज पांचो यूनियन की होगी संयुक्त बैठक एचईसी को विनिवेश और निजी हाथो मे सौपने के विरोध मे एचईसी के पांच यूनियनो की संयुक्त बैठक होगी। बैठक मे विनिवेश के साथ-साथ कामगारो से अधिक से अधिक उत्पादन करने पर चर्चा होगी। एचईसी से मान्यता प्राप्त यूनियन हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन, हटिया कामगार यूनियन सहित अन्य यूनियन हिस्सा लेगे। विनिवेश को लेकर ऊहापोह की स्थिति न बनाएं नागरिक परिषद के मुख्य सयोजक कैलाश यादव का कहना है कि एचईसी कर्मचारियो एव नगर परिसर मे रहने वाले लाखो लोगो के बीच एचईसी को विनिवेश करने की खबर को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। केद्र मे जबसे नरेद्र मोदी की सरकार बनी है, देश मे मजदूरो, किसानो एव नवजवानो की स्थिति दिन पर दिन खराब हो गई है। मोदी सरकार ने सोची समझी साजिश के तहत कुछ गिने-चुने उद्योगपतियो को फायदा पहुंचाने का काम कर रही है। सरकार गलत नीतियां अपना कर देश मे समुचित औद्योगिक घरानो की हालात को जानबूझकर बीमार बना दिया। एचईसी को विनिवेश मे धकेलने का मुख्य मकसद राजधानी राची स्थित एचईसी क्षेत्र मे स्मार्ट सिटी का निर्माण करना है। विनिवेश व निजी हाथो मे एचईसी को सौपने का किया विरोध एचईसी सप्लाई मजदूर संघर्ष समिति की बैठक हुई। बैठक मे एचईसी को निजी हाथो मे सौपने का विरोध किया गया। साथ ही समान वेतन, ग्रेच्यूटी, आंतरिक बहाली और आरटी/32/2015 को रद्द कराने की मांग भी की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समिति अध्यक्ष दिलीप सिंह ने कहा कि जबतक हमारी मांगे पूरी नही हो जाती, विनिवेश और निजीकरण का विरोध जारी रहेगा। समिति के महामंत्री जाबिर हुसैन ने कहा कि एचईसी का विनिवेश और निजीकरण एक राजनैतिक प्रोपगेडा है। इसकी सच्चाई का स्पष्टीकरण मंगलवार को हो जाएगा। उन्होने कहा कि एचईसी को बचाने के लिए हम सारी ताकत झोक देगे। बैठक मे उपस्थित लाल प्रेम प्रकाश नाथ शाहदेव ने कहा कि हमने अपनी जमीन झारखंड के विकास के लिए दी है ना कि इसे दूसरी कंपनियो को बेचने के लिए। किसी भी कीमत पर एचईसी को बिकने नही दिया जाएगा ौर खाली पड़ी जमीन पर खेती करेगे। इसके अलावा वाई त्रिपाठी, शैलेश कुमार, मनोज पाठक, और रमेश पांडे ने भी अपने भाषणों मे निजीकरण का विरोध किया और कहा कि एचईसी हमारी मां के समान है और मां को बेचना कदापि उचित नही है। भ्रम की स्थिति उत्पन्न न करे जनता मजदूर यूनियन के अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने कहा कि रांची के सांसद को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। अब तक कर्मियो मे भ्रम की स्थिति है और अपने भविष्य को लेकर चिंतित है।


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