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बिना बहस पास हुआ 80,200 करोड़ का बजट, सात दिन पूर्व सत्र खत्म

बजट पास होने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 30 Jan 2018 11:50 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jan 2018 07:26 PM (IST)
बिना बहस पास हुआ 80,200 करोड़ का बजट, सात दिन पूर्व सत्र खत्म
बिना बहस पास हुआ 80,200 करोड़ का बजट, सात दिन पूर्व सत्र खत्म

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड सरकार का वित्तीय वर्ष 2018-19 का 80,200 करोड़ रुपये का बजट मंगलवार को विधानसभा में बिना कोई बहस के मात्र 25 मिनट (दूसरी पाली में कार्यवाही शुरू होने से) में पास हो गया। विपक्ष खासकर झामुमो विधायकों के हंगामे, वेल में आने व नारेबाजी के बीच मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बजट पर सरकार का जवाब रखा। मुख्यमंत्री के जवाब के बीच में ही पूरे विपक्ष ने सदन का बहिष्कार कर दिया। अंत में विपक्ष की अनुपस्थिति में ही बजट पास करा लिया गया। झारखंड गठन के बाद यह पहला मौका था, जब मूल बजट व अन्य विभागों के बजट बगैर किसी चर्चा के गिलोटिन से पास कराए गए।

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सोमवार को कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार बजट पास होने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इससे सात दिन पहले ही विधानसभा का बजट सत्र खत्म हो गया। इससे पहले, प्रथम पाली में विपक्ष के गतिरोध के कारण बार-बार सदन स्थगित करने तथा दूसरी पाली में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी विधायकों ने मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, डीजीपी डीके पांडेय और एडीजीपी अनुराग गुप्ता को हटाने को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी।

स्पीकर डा. दिनेश उरांव ने विधायकों को मनाने और कटौती प्रस्ताव पर चर्चा कराने का असफल प्रयास किया। लेकिन विपक्ष द्वारा अधिकारियों को हटाए जाने को लेकर अड़े रहने तथा इसे लेकर हंगामे के बीच ही मुख्यमंत्री को सरकार का जवाब रखना पड़ा। इस बीच विपक्षी विधायक नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर निकल गए।

1058 प्रश्न में से महज दो का जवाब

विधानसभा के बजट सत्र के लिए कुल 1,058 प्रश्न स्वीकृत किए गए थे, जिनमें मात्र दो प्रश्नों के ही जैसे-तैसे उत्तर सदन में रखे जा सके। एक भी तारांकित प्रश्न सदन में नहीं लिया जा सका। इस सत्र में कुल 63 ध्यानाकर्षण की सूचनाएं प्राप्त हुई जिनमें 35 को सरकार के वक्तव्य के लिए स्वीकार तो किया गया लेकिन एक भी ध्यानाकर्षण सूचना को नहीं लिया जा सका।

एक भी विधेयक नहीं रखा जा सका

सदन के भीतर लगातार गतिरोध बने रहने के कारण इस बजट सत्र में एक भी विधेयक नहीं आ सका। विधेयक पास होना तो दूर, यह पटल पर रखा भी नहीं जा सका। बजट से संबंधित झारखंड विनियोग विधेयक ही पटल पर रखा गया और यह बिना बहस के पास हुआ। 

इससे पहले सुबह विधानसभा के बाहर भी विपक्ष के विधायकों ने जमकर प्रदर्शन किया। झाविमो विधायक प्रदीप यादव, इरफान अंसारी व विधायक साधु चरण महतो सदन के गेट पर धरने पर बैठ गए। प्रदीप यादव विधानसभा बजट सत्र में शिरकत करने साइकिल से पहुंचे।  

गौरतलब है कि सोमवार को भी विपक्ष के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी थी।

विधानसभा बजट सत्र में साइकिल से पहुंचे झाविमो विधायक प्रदीप यादव।

पिछली बार भी पहले ही खत्म हो गया था सत्र

विधानसभा का पिछला बजट सत्र भी तय समय से चार कार्य दिवस पूर्व ही खत्म हो गया था। विपक्ष के लगातार हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा की थी।

विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन के गेट पर धरने पर बैठे चांडिल विधायक साधु चरण महतो।

हम सदन चलाने के पक्षधर थे:

सदन भी सरकार की गिरफ्त में है। यहां विपक्ष की सुनी ही नहीं जाती। कार्यमंत्रणा में सदन की कार्यवाही स्थगित करने के निर्णय से मैं सहमत नहीं। सरकार सवालों के जवाब दे, हम सदन को चलाए जाने के पक्षधर थे।

-हेमंत सोरेन, नेता प्रतिपक्ष।

विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन के बाहर प्रदर्शन करते विपक्ष के विधायक।

बहुमत से स्थगन का फैसला:

झामुमो के रवैये के कारण ही सदन को इतना कठोर निर्णय लेना पड़ा। मौजूदा हालात में यह स्पष्ट दिख रहा था कि सदन चलाना संभव नहीं। कार्यमंत्रणा समिति में बहुमत इस पक्ष में था कि विधानसभा स्थगित कर दी जाए।

-राधाकृष्ण किशोर, सत्ताधारी दल के मुख्य सचेतक।

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