जानिए, धान लेकर क्यों घूम रहे किसान, क्या है परेशानी
किसान आते हैं, लेकिन केंद्रों पर ताला लटका रहने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ता है।
शक्ति सिंह, रांची। राजधानी रांची में ही धान खरीद की गति शर्मनाक है। पिछले एक माह की बात करें तो यहां के कुल 38 धान क्रय केंद्रों में दस ऐसे हैं, जहां एक छटांक भी धान की खरीदारी नहीं हुई, बचे 28 में सिर्फ दो फीसद ही धान की खरीदारी हुई। सरकार की नाक के नीचे धान खरीद की शर्मनाक स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं। इससे जिलों की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
खरीफ मौसम में 4.80 लाख क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य है, मगर एक माह में लक्ष्य के विरुद्ध सिर्फ दो फीसद धान की ही खरीद हो पाई। किसानों के संकट को देखते हुए ही मुख्यमंत्री ने धान खरीद पर राज्य सरकार की ओर से 150 रुपये प्रति क्विंटल बोनस का एलान किया था लेकिन इसका कोई फायदा धरातल पर नहीं दिख रहा। अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान 38 में से 13 क्रय केंद्रों में ताले लटके थे। हालात से प्रशासन को अवगत करा दिया है।
किसान आते हैं, लेकिन केंद्रों पर ताला लटका रहने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ता है। ऐसे में क्रय केंद्र और अफसरशाही राहत पहुंचाने की मुख्यमंत्री की मंशा और किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। इतनी शर्मनाक स्थिति के बाद भी प्रशासनिक स्तर पर कोई खास तैयारी नहीं दिख रही।
लक्ष्य 25 हजार, हुए 7 हजार किसान निबंधित
निबंधित किसानों से ही धान की खरीद होनी है। रांची के 25 हजार किसानों को निबंधित करने का लक्ष्य है। मगर अभी तक मात्र 7 हजार किसानों का ही निबंधन हो पाया है। किसान समय पर क्रय केंद्र पहुंच सकें इसके लिए एसएमएस की व्यवस्था का एलान किया गया था। अभी तक किसानों तक एसएमएस नहीं पहुंच रहा।
खतरनाक नतीजों के संकेत
किसानों को उपज का उचित मूल्य नहीं मिला तो आने वाले दिनों में उसके खतरनाक नतीजे दिख सकते हैं। पिछले दिनों भी कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं। प्रशासनिक तैयारी न होने का ही नतीजा है कि दिसंबर में सिर्फ 9618.72 क्विंटल धान की खरीद हुई है जबकि 31 मार्च तक खरीद का लक्ष्य 4.80 लाख क्विंटल है। यूं कहा जाए कि प्रतिदिन प्रत्येक केंद्र से 1.37 क्विंटल की धान की खरीदारी ही हो रही है जबकि लक्ष्य 200 क्विंटल का है।
जहां नहीं हुई एक छटांक भी खरीद:
रांची जिला में दस केंद्र ऐसे पाए गए हैं, जहां एक छटांक भी धान की खरीद नहीं हुई है। इनमें सिकिदरी लैंपस, अनगड़ा, राहे ब्लॉक गोदाम, पांचा लैंपस, नवाडीह लैंपस, तमाड़, नरकोपी लैंपस बेड़ो, मांडर लैंपस, लोआटा लैंपस सिल्ली, लापुंग, काकारिया लैंपस, लापुंग और बुकबुका लैंपस खलारी शामिल हैं।
और भी हैं परेशानियां
धान लेकर किसान भटक रहे हैं। एसएमएस से खरीद के लिए सूचना नहीं मिलती। सुदूर क्षेत्रों से वाहन पर माल केंद्र तक लाते हैं। केंद्र बंद रहने पर वापस लौटना पड़ता है। नमी बताकर भी खरीद करने वाली एजेंसियां वापस लौटा रही हैं या फिर ज्यादा धान देने को मजबूर कर रही हैं। ऐसे में किसानों को भाड़ा या अतिरिक्त अनाज के रूप में घर से चूना लग रहा है।
जारी है एजेंसी की लापरवाही
जिला प्रशासन के निर्देश बावजूद एनसीएमएल (एफसीआइ की एजेंसी) एजेंसी की लापरवाही निरंतर जारी है। कई केंद्रों का संचालन अब तक शुरू नहीं हो सका है। न ही एसएमएस जेनरेट किया गया है। परेशान हो रहे हैं तो किसान।
सही है कि निरीक्षण के दौरान कई धान क्रय केंद्र बंद मिले। कई केंद्रों पर खरीदारी शुरू ही नहीं हुई है। लक्ष्य के अनुरूप खरीदारी के लिए एनसीएमएल को सख्त निर्देश दिया गया है।
-नरेंद्र गुप्ता, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, रांची