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रघुवर सरकार के तीन साल: उपलब्धियां कई पर चुनौतियों की भरमार

आर्थिक-समाजिक विकास के पायदान में सरकार ने काफी कुछ हासिल किया है। जिसकी सराहना राष्ट्रीय स्तर पर हुई।

By BabitaEdited By: Published: Thu, 28 Dec 2017 10:51 AM (IST)Updated: Thu, 28 Dec 2017 10:51 AM (IST)
रघुवर सरकार के तीन साल: उपलब्धियां कई पर चुनौतियों की भरमार

रांची, राज्य ब्यूरो। आज रघुवर सरकार ने तीन साल पूरे कर लिए। पहली बार झारखंड में रघुवर दास के नेतृत्व में बनी बहुमत की सरकार ने तीन सालों में झारखंड में बहुत कुछ बदला है। कठोर और त्वरित निर्णय लिए जा रहे हैं। मोंमेटम झारखंड जैसे आयोजन से न्यू झारखंड की तरफ कदम बढ़े हैं। गरीब, किसान व आदिवासियों के हितों के लिए कदम उठाए गए हैं। हालांकि इन सबके बीच योजनाओं को त्वरित गति से जमीन पर न उतार पाना एक बड़ी चुनौती है। सीएनटीएसपीटी एक्ट में संशोधन बिल को वापस लेना पड़ा। भूमि अधिग्रहण बिल फिलहाल लटक गया है। विपक्ष का आरोप है कि रघुवर दास तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहे हैं और महत्वपूर्ण मसलों पर उनकी बात की अनदेखी की जाती है।

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आर्थिक-समाजिक विकास के पायदान में सरकार ने काफी कुछ हासिल किया है। जिसकी सराहना राष्ट्रीय स्तर पर हुई। झारखंड की विकास दर दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बनी। 8.6 फीसद की विकास दर हासिल करने वाला झारखंड गुजरात के बाद दूसरा राज्य बना। लंबे समय बाद झारखंड सरकार ने स्थानीय निवास नीति लागू कर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के दरवाजे खोले। झारखंड धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को भी मंजूरी मिली।

शिक्षा उपलब्धि:

नए स्कू लों के साथ-साथ 45 नए कालेज खुले। तीन नए विश्वविद्यालयों की स्थापना।

चुनौती: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के आड़े आ रही शिक्षकों की कमी। मैट्रिक एवं इंटरमीडियट के परीक्षा परिणाम सुधारने की चुनौती।

नगर विकास उपलब्धि:

राज्य के सभी शहर ओडीएफ। देश की पहली ग्रीन स्मार्ट सिटी होगी रांची। दर्जन भर कस्बे बने शहर। 

चुनौती: 81 फीसद शहरी घरों को पाइप लाइन से पानी मयस्सर नहीं। 18.30 प्रतिशत शहरी आबादी को ही मिल रही कचरा प्रबंधन की सेवाएं। 75 फीसद शहरी गलियों में नालियां नहीं।

कृषि उपलब्धि: 

कृषि क्षेत्र के विकास के लिए पेश किया गया अलग बजट। सिंचाई सुविधाओं में विस्तार के लिए बनाए गए 72 हजार डोभा।

चुनौती: अलग बजट के बावजूद कृषि बजट की पूरी राशि नहीं हो पा रही खर्च। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना बड़ी चुनौती।

कानून-व्यवस्था उपलब्धि: 

167 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, 558 नक्सली गिरफ्तार किए गए। नक्सलियों के प्रभाव क्षेत्रों को चिह्नित कर सुरक्षा कैंप लगाया, लगातार अभियान जारी।

चुनौतियां: अपराध रोकने की चुनौती। इसके लिए गिरोह चिह्नित कर अपराधियों पर सीसीए के तहत कार्रवाई, उनकी गिरफ्तारी और कांडों का सही अनुसंधान करना, ताकि अपराधी को सजा मिल सके।

खाद्य आपूर्ति उपलब्धि: 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में लाए गए 58.40 लाख परिवार। पीटीजी के लिए शुरू हुई डाकिया योजना, घर तक पहुंच रहा अनाज। आठ लाख से अधिक परिवारों को उज्ज्वला योजना से गया जोड़ा। 

चुनौती: किसानों से सीधे धान क्रय की योजना फ्लाप रही। किसान अब भी बिचौलियों के हाथ धान बेचने को मजबूर। 

उद्योग उपलब्धि: 

मोमेंटम झारखंड का आयोजन। 210 कंपनियों के साथ हुआ एमओयू, 3.10 लाख करोड़ रुपये के हुए करार।

चुनौती: एमओयू धरातल पर उतरना अभी भी बड़ी चुनौती। तीन आधारशिला समारोह में महज छह हजार करोड़ रुपये ही धरातल पर उतरते आ रहे नजर।

स्वास्थ्य उपलब्धि:

तीन नए मेडिकल कालेजों का शिलान्यास, देवघर में एम्स की स्वीकृति। 108 एंबुलेंस सेवा शुरू।

चुनौती: अस्पतालों में डाक्टरों विशेषकर स्पेशलिस्ट डाक्टरों की भारी कमी।

राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार उपलब्धि: 

महज एक रुपये में महिलाओं के लिए 50 लाख रुपये तक की संपत्ति की रजिस्ट्री। एक लाख भूमिहीनों को पांच एकड़ जमीन देने का निर्णय।

चुनौती: कमजोर कनेक्टिविटी और सर्वर के कारण बाधित हो रही रजिस्ट्री। एक रुपय में रजिस्ट्री से लगभग 45 फीसद गिरा राजस्व।

ग्रामीण विकास उपलब्धि: 

1.68 लाख बनाए गए डोभा। 1.10 लाख बना महिलाओं का स्वयं सहायता समूह। 6380 ग्रामीण पथों का हुआ निर्माण। 3890 पंचायत भवन बनकर तैयार।

चुनौती: कनेक्टिविटी की समस्या से जूझ रही हैं 65 फीसद पंचायतें। प्रखंड स्तर पर कर्मचारियों की 52 फीसद कमी से काम में बाधा।

विद्युत उपलब्धि: 

तीन सालों में 2777 गांवों में बिजली। सुदूर क्षेत्रों में सोलर पहुंचाने की योजना पर तेजी से काम। 

चुनौती: वर्ष 2018 तक हर घर तक बिजली पहुंचना बड़ी चुनौती। 257 सब स्टेशन और 60 ग्रिड का निर्माण तय समय में पूरा करना। 

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