Move to Jagran APP

जबरन धर्मांतरण के शिकार लोग माने जाएंगे पीड़ित

झारखंड में जबरन धर्मांतरण का शिकार हुए लोग पीड़ित माने जाएंगे।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 12 Dec 2017 04:36 PM (IST)Updated: Tue, 12 Dec 2017 04:37 PM (IST)
जबरन धर्मांतरण के शिकार लोग माने जाएंगे पीड़ित
जबरन धर्मांतरण के शिकार लोग माने जाएंगे पीड़ित

रांची, प्रदीप सिंह। झारखंड में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून के साथ-साथ अब इसका शिकार होने वाले लोगों अथवा परिवारों को सरकारी सहायता मिलेगी। इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने जबरन धर्मांतरण के शिकार लोगों को पीडि़त मानते हुए उन्हें झारखंड विक्टिम कंप्नसेशन स्कीम (झारखंड पीड़ित प्रतिकर स्कीम) 2016 से जोड़ने का प्रस्ताव तैयार किया है।

loksabha election banner

इसके तहत जबरन धर्मांतरण किए गए लोगों की शिकायत के आधार पर मुआवजा देने की कार्रवाई होगी। मुआवजे की राशि न्यूनतम 50 हजार रुपये होगी। इस बाबत विधानसभा में संशोधित प्रस्ताव लाया जाएगा। विधानसभा की सहमति मिलने के बाद यह झारखंड विक्टिम कंप्नसेशन स्कीम का हिस्सा बनेगा। इसमें मुआवजे की अधिकतम राशि दो लाख रुपये तक करने का प्रावधान है। गृह विभाग के इस प्रस्ताव को विधि विभाग की मंजूरी मिल चुकी है।

तेजाबी हमला, दुष्कर्म की शिकार को मिलता है इसी के तहत लाभ
झारखंड विक्टिम कंप्नसेशन स्कीम घृणित अपराध के पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने तैयार किया था। इसके तहत तेजाबी हमले और दुष्कर्म पीड़िता को न्यूनतम तीन लाख रुपये का प्रावधान है। इसके अलावा नाबालिग के शारीरिक शोषण, मानव तस्करी पीड़ित, यौन प्रताड़ना, हमले में स्थायी विकलांगता, आंशिक विकलांगता, शरीर का 25 प्रतिशत से अधिक जलना, भ्रूण हानि, प्रजनन क्षमता की हानि होने की स्थिति में पीड़ित को न्यूनतम दो लाख से लेकर 50 हजार रुपये तक की सहायता इस स्कीम में है।

न्यायालय की अनुशंसा पर जांच
इस स्कीम के तहत मिली शिकायतों में न्यायालय की अनुशंसा पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार जांच करेगा। प्राधिकार पीड़ित व्यक्ति को हुई हानि या क्षति तथा रिपोर्ट की गई आपराधिक गतिविधि से संबंधित दावे का सत्यापन करेगा। दावे के सत्यापन के बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकार आगे की कार्रवाई करेगा। इसमें दो माह के भीतर मुआवजे की राशि (प्रतिकर) देना है।

निश्चित अवधि में होगी शिकायत
इस स्कीम के अनुसार पीड़ित व्यक्ति को घटना के छह माह के भीतर दावा करना होगा। इसके बाद की अवधि में किए गए दावे पर विचार नहीं किया जाएगा। ऐसी स्थिति में जिला विधिक सेवा प्राधिकार की भूमिका अहम होगी। इसमें अपील का भी प्रावधान है। जिला विधिक सेवा प्राधिकार अगर प्रतिकर से इन्कार करे तो पीड़ित राज्य समिति के समक्ष दावेदारी कर सकता है। राज्य समिति को अपील में देरी को माफ करने का अधिकार है।

पीड़ितों को प्रतिकर का प्रावधान
झारखंड में जबरन धर्मांतरण का शिकार हुए लोग पीड़ित माने जाएंगे। इन्हें झारखंड विक्टिम कंप्नसेशन स्कीम के दायरे में लाया गया है। स्कीम के तहत पीड़ितों को प्रतिकर का प्रावधान है।
-प्रवास कुमार सिंह
विधि सचिव, राज्य सरकार

यह भी पढ़ेंः राष्ट्रपति ने धर्म स्वतंत्र विधेयक को दी स्वीकृति

 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.