आधार कार्ड की इस गड़बड़ी ने लाभुकों को रुलाया, जानिए
लाभुकों के खाते में पैसे तो भेज रहा है, मगर पैसा बैंक खाते में पहुंचने के बदले बाउंस हो जा रहे हैं।
रांची, शक्ति सिंह। आधार कार्ड की तकनीकी गड़बड़ी रांची के तीन प्रखंडों में डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर) योजना की हवा निकाल रही है। हजारों लोगों के खाते में डीबीटी के पैसे नहीं पहुंच रहे हैं। जिला प्रशासन विभिन्न योजनाओं के तहत लाभुकों के खाते में पैसे तो भेज रहा है, मगर पैसा बैंक खाते में पहुंचने के बदले बाउंस हो जा रहे हैं। मिस मैचिंग के कारण यह हो रहा है। नगड़ी प्रखंड में डीबीटी के तहत राशन के अनुदान की राशि लाभुकों के खाते में भेजने की योजना पूरे देश में बेहतर प्रयास को लेकर चर्चित हो रही है। दूसरे राज्यों के अधिकारी आकर पायलट प्रोजेक्ट का मुआयना कर रहे हैं। तो दूसरी तरफ रातू, बुढ़मू और मांडर प्रखंड में लाभुकों के खाते में पैसे न पहुंचने की बदनामी से प्रशासन परेशान है।
प्रशासन पीड़ित लाभुकों का आंकड़ा जुटाने में लग गया है। सिस्टम की कमी को दूर करने की कोशिश शुरू हो गई है ताकि बदनामी से बच सके। बीते सप्ताह रांची डीसी के साथ विकास योजनाओं से जुड़ी समीक्षा बैठक में एलडीएम (बैंकों के लीड डिस्ट्रिक्ट मैनेजर) ने इस समस्या को उठाया था। बताया कि रातू में सर्वाधिक 70 फीसद व मांडर और बुढ़मू में कुछ लोगों के पास दो-दो आधार कार्ड हैं। इस मामले का खुलाया बैंकों में आधार सीडिंग से जुड़े दस्तावेजों की जांच में पता चला कि आधार में गड़बड़ी है। बीडीओ और सीओ ने भी इस सूचना पर सहमति जताई। उन्होंने बताया कि विभिन्न योजनाओं की राशि डीबीटी के माध्यम से लाभुक के खाते में भेजी तो जाती है मगर लाभुक शिकायत कर रहे हैं कि उनके खाते में राशि नहीं पहुंच रही।
गड़बड़ी की वजह :
दरअसल यह गड़बड़ी 2011 में बने आधार कार्ड की वजह से है। विशेषकर रातू क्षेत्र में सर्वाधिक कार्ड का निर्माण 2011 के पूर्व हुआ था। ऑपरेटर के आधार कार्ड बनाने में की गई गड़बड़ी और सॉफ्टवेयर में की गई गड़बड़ी के कारण यहां काफी संख्या में आधार कार्ड रद किए गए। बाद में लोगों ने नया आधार कार्ड बनवाया। कई लाभुकों ने पुराने आधार संख्या के बदले नए आधार संख्या की बैंक से सीडिंग नहीं कराई। इसी कारण उनकी राशि बाउंस कर रही है। लाभुकों ने इसकी कई बार शिकायत की है।
समस्या का निदान होगा
इन प्रखंडों की समस्या के बारे में एलडीएम द्वारा अवगत कराया गया था। उन्होंने बताया कि 70 फीसद के करीब ऐसी समस्या देखने को मिल रही है। लेकिन, संख्या कुछ ज्यादा है। फिलहाल आंकड़ों की पड़ताल चल रही है। इसके बाद ही समस्या का निदान निकाला जा सकेगा।
-मनोज कुमार, उपायुक्त, रांची।
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