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मुझे रांची में फ्लाईओवर का प्लान बनाने वाले की काबिलियत पर शकः महेश

महेश पोद्दार ने फ्लाईओवर योजना तैयार करने वाली टीम की काबिलियत पर ही सवाल उठाया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 04 Dec 2017 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 04 Dec 2017 11:55 AM (IST)
मुझे रांची में फ्लाईओवर का प्लान बनाने वाले की काबिलियत पर शकः महेश
मुझे रांची में फ्लाईओवर का प्लान बनाने वाले की काबिलियत पर शकः महेश

रांची, जेएनएन। व्यवसाय जगत से सामाजिक क्षेत्र में पहुंचे और अब राज्यसभा सांसद बन चुके महेश पोद्दार रांची की समस्याओं को लेकर सदैव तत्पर रहे हैं। नगर निगम की गड़बड़ियों पर भी ये हल्ला बोल चुके हैं। अब जब शहर में फ्लाईओवर को लेकर हंगामा चल रहा है तो इन्होंने योजना तैयार करने वाली टीम की काबिलियत पर ही सवाल उठा दिया है। पोद्दार से विस्तृत बात की दैनिक जागरण के डिप्टी न्यूज एडिटर आशीष झा ने।

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शहरों में फ्लाईओवर की बड़ी कमी है। रांची में तो एक बनाने की तैयारी है लेकिन विरोध अधिक हो रहा है?

विरोध तो होगा ही। आखिर कब तक लोग अपनी जमीन गंवाते रहेंगे। ऐसी योजनाओं का क्या मतलब है जो आम लोगों की भावनाओं को दरकिनार कर बनाई जाएं। 80 फीट की सड़क के ऊपर महज 48 फीट का फ्लाईओवर हरमू में बन रहा है तो फिर जमीन अधिग्रहण की जरूरत तो समझ से ही परे है। लोग विरोध तो करेंगे ही। ऐसी योजनाएं क्यों बना रहे कि लोगों के सामने व्यवसाय ठप होने जैसी समस्या आ गई है। इसमें संशोधन कर पुल बनाना चाहिए। विरोध फ्लाईओवर का भी नहीं है। इसके मूल में स्मार्ट रोड है जिससे लोगों को परेशानी है। अब हरमू रोड में दोनों ओर 20-20 फीट चौड़ा फुटपाथ की क्या आवश्यकता है? जमीन अधिग्रहण तो इसी के लिए हो रहा है। आपको बिजली, पानी और टेलीफोन आदि के लाइन ले जाने हैं तो वर्टिकल ऑडर में क्यों नहीं इन्हें सजाते। जितनी सड़क है उसी में काम हो जाएगा। स्मार्ट रोड तो वहां बनाइए जहां स्मार्ट सिटी बना रहे हैं। सड़क पर दुकान है और आप दस-बीस फीट जमीन अधिग्रहण कर लेंगे तो व्यवसाय तो चौपट ही हो जाएगा। आप तो अधिक से अधिक जमीन की ही कीमत देंगे।

आप केंद्र में ऊर्जा विभाग की सलाहकार समिति के सदस्य हैं। इसका क्या लाभ झारखंड को मिलेगा?

लाभ मिलेगा लेकिन समय लगेगा। मेरा मानना है कि झारखंड जैसे राज्य में प्राइवेट सेक्टर के बगैर सबको बिजली पहुंचाना मुश्किल है। इसके पूर्व सरकारों ने गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा था जिसे अब घर-घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य कर दिया गया है। बड़ा अंतर है। ऐसे में प्राइवेट सेक्टर को बिजली उत्पादन से लेकर वितरण तक में जोड़ना होगा। इसके बगैर स्थिति में सुधार संभव नहीं है। केंद्र की बड़ी चिंता यह है कि झारखंड में अभी भी 50 फीसद घरों में बिजली नहीं है। गांव में बिजली भले पहुंच जाए, घर में बिजली पहुंचाना आसान नहीं होगा। इसके लिए सबको आगे आना होगा। खासकर प्राइवेट सेक्टर को।

आपकी नजर में नोटबंदी का क्या असर रहा। अब क्या हाल है?

कुछ दिनों तक परेशानी हो रही थी लेकिन सरकार ने सूझबूझ के साथ परेशानी दूर की। अब कहीं से न कोई परेशानी सामने आ रही और न ही कोई शिकायत। नोटबंदी का बाजार से असर खत्म हो रहा है। एक फायदा यह हुआ कि लोगों विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन के तरीकों को अपनाया और कैश की जरूरत ही बाजार से कम हो गई।

जीएसटी का असर कैसा है। आपको फीडबैक मिल रहा है क्या?

जीएसटी का असर अच्छा ही होना है। यह सिर्फ वैट नहीं बल्कि एक्साइज, सर्विस टैक्स आदि को भी एक ही छतरी के नीचे समावेश करता है, इसलिए लोगों को आसानी होगी। और देखिए अधिकतम 29 फीसद तक जो टैक्स दिया जाता था वह टैक्स अब 18 फीसद है। कुछ कठिनाइयां सामने आ रही थीं जिसे समय-समय पर केंद्र सरकार ने दूर किया है। इसमें फिलहाल कोई समस्या नहीं है।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय की स्थायी समिति के आप सदस्य भी हैं। नगर निगम की समस्याएं कैसे दूर होंगी?सरकार शहरीकरण के लिए फंड में कोई कमी नहीं कर रही। अब इसका बेहतर उपयोग करने की जिम्मेदारी नगर निकायों की है। नगर निकाय बेहतर योजना बनाकर उसे धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी उठाएं। समस्याओं का समाधान स्वत: होगा।

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