खुद दिव्यांग पर हीमोफीलिया मरीजों के बने मसीहा
खुद की परेशानी को देख सौमित्र ने यह प्रण ले लिया कि इलाके में उन जैसे मरीजों के लिए वे संघर्ष करेंगे और मदद दिलाएंगे।
अमित तिवारी, जमशेदपुर। 47 वर्ष के सौमित्र हाजरा खुद दिव्यांग हैं, लेकिन पूर्वी सिंहभूम जिले में हीमोफीलिया मरीजों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं। खुद तो ठीक तरह से चल-फिर भी नहीं सकते, लेकिन गांव-गांव में मशहूर हो चुके हैं।
डंडे के सहारे चलकर गांव-गांव में भ्रमण करते हैं और हीमोफीलिया के मरीजों की सहायता करते हैं। इस क्षेत्र में हीमोफीलिया का आतंक है। मरीजों को समुचित इलाज दिलाने के लिए हाजरा ने अनेक कानूनी लड़ाइयां भी लड़ी हैं। उनके प्रयासों से अब यहां हालात बदल रहे हैं।
हीमोफीलिया के कारण बने दिव्यांग:
हाजरा कहते हैं कि वे जब छह माह के थे, तभी हीमोफीलिया से ग्रस्त हो गए। तब से अब तक की जिंदगी में इस रोग ने कई बार हावी होने का प्रयास किया, लेकिन कभी जीत नहीं पाया। खुद की परेशानी को देख उन्होंने यह प्रण ले लिया कि इलाके में उन जैसे मरीजों के लिए वे संघर्ष करेंगे और मदद दिलाएंगे।
17 साल से चला रहे सोसाइटी:
सौमित्र हाजरा हीमोफीलिया मरीजों को बेहतर उपचार मुहैया कराने की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2000 में जमशेदपुर हीमोफीलिया सोसाइटी का गठन किया। पूर्वी सिंहभूम जिले में अब तक 60 रोगी इससे जुड़ चुके हैं। इनमें से करीब 40 दिव्यांग हो चुके हैं। इनकी जिंदगी बेहद
नाजुक है। हल्की चोट लगते ही रक्तस्त्राव शुरू हो जाता है। इसे रोक पाना काफी मुश्किल होता है। इसका स्थायी इलाज अब तक नहीं है। सौमित्र समाज से चंदा जुटाकर इन दिव्यांगों व अन्य मरीजों का इलाज करा रहे हैं। ये बेहद पिछड़े गांव है, जहां सभी बेहद गरीब हैं। लोगों को न तो हीमोफीलिया के बारे में कोई जानकारी है, न ही इसके इलाज की।
सौमित्रा के संघर्ष की कहानी:
पहले हीमोफीलिया मरीजों को प्लाजमा, रक्त के लिए पैसे देने पड़ते थे। हाजरा के संघर्ष के बाद अब जमशेदपुर ब्लड बैंक से सब कुछ फ्री मिलता है। यही नहीं टिनप्लेट अस्पताल में ऐसे मरीजों को सिर्फ 150 रुपये में बेड उपलब्ध होने लगा है। उनके प्रयास से महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल जमशेदपुर को दवा के लिए 10 लाख का फंड झारखंड सरकार से मिल
चुका है।
जानिए, क्या है हीमोफीलिया
एमजीएम अस्पताल के चिकित्सक डॉ. बलराम झा के अनुसार, यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर में रक्तस्त्राव होता है। इन मरीजों को ब्रेन हैमरेज, लीवर, पेशाब, मुंह से खून आने की आशंका अधिक रहती है।