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चारा घोटालाः सजल चक्रवर्ती को पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा

चारा घोटाले में जुर्माने की राशि नहीं देने पर सजल चक्रवर्ती को एक वर्ष की अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा काटनी होगी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 09:37 AM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 04:37 PM (IST)
चारा घोटालाः सजल चक्रवर्ती को पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा
चारा घोटालाः सजल चक्रवर्ती को पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा

जागरण संवाददाता, रांची। चारा घोटाले में अदालत ने आज झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव व चाईबासा के उपायुक्त रहे सजल चक्रवर्ती को पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, चार लाख रुपये जुर्माना किया गया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर सजल को एक वर्ष की अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा काटनी होगी। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शंभू लाल साव की अदालत ने सजा सुनाई।

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अधिवक्ता ने कहा, बहुत खराब है सजल का स्वास्थ 

इससे पहले अदालत में बचाव और सीबीआइ की ओर से बहस हुई। सजल के अधिवक्ता ने कोर्ट को उन्हें अस्वस्थ रहने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सजल का स्वास्थ बहुत खराब है। किडनी, मेंटल डिसऑर्डर और पेट की कई बीमारियों से ग्रसित हैं। 17 दवाएं रोज लेते हैं। कोर्ट के सामने डाक्टर का रिपोर्ट भी प्रस्तुत किया। कहा कि कम सजा दी जाए।

सजल का कुछ भी कहने से इंकार

कोर्ट ने सजल से पूछा आपको क्या कहना है। सजल ने कहा कि कुछ नहीं।

सीबीआइ ने कहा, सबक मिले

सीबीआइ की ओर से वरीय विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा सजा दी जाए। यह स्कैम का मामला है। उन्हें तो सबक मिले ही। समाज में भी सकारात्मक संदेश जाए।

इसलिए टल गई थी सुनवाई

सजल चक्रवर्ती के अधिवक्ता एके मित्रा ने बताया कि मंगलवार को सुनवाई में बचाव पक्ष ने बहस नहीं की, क्योंकि झारखंड के पूर्व मुख्य न्यायाधीश भगवती प्रसाद के निधन पर उनके सम्मान में रांची जिला बार एसोसिएशन की ओर से 11 बजे शोकसभा की गई। इसके बाद अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य स्थगन का निर्णय लिया। अदालत ने 14 नवंबर को सजल को दोषी ठहराए जाने के बाद सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 21 नवंबर की तिथि निर्धारित की थी।

झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश भगवती प्रसाद का निधन 19 नवंबर को अहमदाबाद में हुआ था। प्रसाद वर्तमान समय में गुजरात में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष थे। उनके सम्मान में रांची जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने शोकसभा की। शोकसभा में एसोसिएशन के अध्यक्ष शंभू प्रसाद अग्रवाल, महासचिव संजय कुमार विद्रोही सहित अन्य अधिवक्ता शामिल हुए।

जानिए, क्या है मामला

चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शंभू लाल साहू की अदालत में 14 नवंबर को सजल को दोषी ठहराया था। इस मामले में पूरक अभिलेख की सुनवाई चल रही थी। इसमें सजल अकेले आरोपी हैं। आरोपी लालू प्रसाद डॉ जगन्नाथ मिश्र सहित अन्य आरोपियों को वर्ष 2013 में ही सजा सुनाई जा चुकी है।

सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान बचाव के अधिवक्ता सजल के खिलाफ कम से कम सजा दिलाने की मांग न्यायालय से करनी थी। बचाव पक्ष सजल के स्वास्थ्य खराब का हवाला न्यायालय में देने की तैयारी में था, ताकि उन्हें कम सजा दी जाए। वहीं, सीबीआइ की ओर से विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह सजल चक्रवर्ती को अधिक से अधिक सजा दिलाने की मांग न्यायालय से करते। इनका मामना है कि एक लोक सेवक होते हुए सजल चक्रवर्ती ने बड़े मामले में संलिप्त रहे हैं।

सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि सजल के खिलाफ कोषागार से अवैध निकासी का नजरअंदाज करने आपूर्तिकर्ता से लैपटॉप लेने का आरोप था। धोखाधड़ी करने, सरकारी राशि गबन करने, जाली कागजात का इस्तेमाल करने व उसे व्यवहार में लाने, आपराधिक षड्यंत्र करने के मामले में सजल चक्रवर्ती को अदालत ने दोषी ठहराया है। सरकारी पद का दुरुपयोग करने व दूसरे से लाभ लेने के आरोप को भी न्यायालय ने सही पाया है।

सजल चक्रवर्ती वर्ष 1992 से 1995 के बीच चाईबासा के उपायुक्त थे। इस दौरान उनकी जानकारी में पशुपालन विभाग से अत्यधिक निकासी हुई। उन्होंने तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी बृज नंदन शर्मा एवं आपूर्तिकर्ताओं से मेलजोल कर इसे नजरअंदाज किया। इससे कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख 39 हजार 743 रुपए की निकासी कर ली गई। सजल चक्रवर्ती उपायुक्त होते हुए कोषागार से निकासी होने दी। उन्होंने एक आपूर्तिकर्ता से लैपटॉप में प्राप्त किया।

यह भी पढ़ेंः सजल चक्रवर्ती मामले में सुनवाई टली

 


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