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चारा घोटालाः सजल चक्रवर्ती मामले में सुनवाई टली

चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में अदालत ने सजल चक्रवर्ती को दोषी ठहराया था।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 21 Nov 2017 09:20 AM (IST)Updated: Tue, 21 Nov 2017 04:13 PM (IST)
चारा घोटालाः सजल चक्रवर्ती मामले में सुनवाई टली

जागरण संवाददाता, रांची। झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव व चाईबासा के तत्कालीन उपायुक्त सजल चक्रवर्ती के खिलाफ चारा घोटाला मामले में सजा के बिंदु पर सुनवाई आज टल गई है। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शंभू लाल साव की अदालत ने सजल चक्रवर्ती के खिलाफ सजा की बिंदु पर सुनवाई अब बुधवार की तिथि निर्धारित की है।

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सजल चक्रवर्ती के अधिवक्ता एके मित्रा ने बताया कि सजा के बिंदु पर सुनवाई में बचाव पक्ष बहस नहीं कर सकेगा, क्योंकि झारखंड के पूर्व मुख्य न्यायाधीश भगवती प्रसाद की असामयिक निधन पर उनके सम्मान में रांची जिला बार एसोसिएशन की ओर से 11 बजे शोक सभा का आयोजन किया गया। इसके बाद अधिवक्ता न्यायिक कार्य स्थगन का निर्णय लिया है। ऐसे में अधिवक्ता न्यायिक कार्य में भाग नहीं लेंगे, इसलिए सजल के सजा की बिंदु पर सुनवाई आज नहीं हो सकेगी। 

उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश भगवती प्रसाद का निधन 19 नवंबर को अहमदाबाद में हुआ था, वह हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में 22 अगस्त 2010 से 12 मई 2011 तक रहे थे। वर्तमान समय में वे गुजरात में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष थे। उनके सम्मान में रांची जिला बार एसोसिएशन 11:00 बजे उनके सम्मान में शोक सभा की और उनकी आत्मा कि शांति के लिए प्रार्थना की। इसके बाद अधिवक्ता खुद को न्यायिक कार्य से दूर रहे।

चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शंभू लाल साहू की अदालत में 14 नवंबर को सजल को दोषी ठहराया था। इस मामले में पूरक अभिलेख की सुनवाई चल रही थी। इसमें सजल अकेले आरोपी हैं। आरोपी लालू प्रसाद डॉ जगन्नाथ मिश्र सहित अन्य आरोपियों को वर्ष 2013 में ही सजा सुनाई जा चुकी है।

सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान बचाव के अधिवक्ता सजल के खिलाफ कम से कम सजा दिलाने की मांग न्यायालय से करनी थी। बचाव पक्ष सजल के स्वास्थ्य खराब का हवाला न्यायालय में देने की तैयारी में था,  ताकि उन्हें कम सजा दी जाए। वहीं, सीबीआइ की ओर से विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह सजल चक्रवर्ती को अधिक से अधिक सजा दिलाने की मांग न्यायालय से करते। इनका मामना है कि एक लोक सेवक होते हुए सजल चक्रवर्ती ने बड़े मामले में संलिप्त रहे हैं।

सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि सजल के खिलाफ कोषागार से अवैध निकासी का नजरअंदाज करने आपूर्तिकर्ता से लैपटॉप लेने का आरोप था। धोखाधड़ी करने, सरकारी राशि गबन करने, जाली कागजात का इस्तेमाल करने व उसे व्यवहार में लाने, आपराधिक षड्यंत्र करने के मामले में सजल चक्रवर्ती को अदालत ने दोषी ठहराया है। सरकारी पद का दुरुपयोग करने व दूसरे से लाभ लेने के आरोप को भी न्यायालय ने सही पाया है।

सजल चक्रवर्ती वर्ष 1992 से 1995 के बीच चाईबासा के उपायुक्त थे। इस दौरान उनकी जानकारी में पशुपालन विभाग से अत्यधिक निकासी हुई। उन्होंने तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी बृज नंदन शर्मा एवं आपूर्तिकर्ताओं से मेलजोल कर इसे नजरअंदाज किया। इससे कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख 39 हजार 743 रुपए की निकासी कर ली गई। सजल चक्रवर्ती उपायुक्त होते हुए कोषागार से निकासी होने दी। उन्होंने एक आपूर्तिकर्ता से लैपटॉप में प्राप्त किया।

जेल में डॉक्टरों की देखरेख में हैं पूर्व मुख्य सचिव

चारा घोटाले के एक मामले में दोषी करार दिए जा चुके राज्य के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में हैं। उन्हें वीवीआइपी कैदियों संग रखा गया है। जिस सेल में उन्हें रखा गया है उसमें पूर्व विधायक सावना लकड़ा भी हैं। फिलहाल, जेल प्रशासन उनके स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता बरत रहा है।

डॉक्टर लगातार उनका चेकअप कर रहे हैं। इसकी वजह पूर्व मुख्य सचिव के स्वास्थ्य की बदतर स्थिति है। कई बीमारियों में जकड़े पूर्व सीएस रोजाना 40 से ज्यादा दवाइयां लेते हैं। उन्हें इंसुलिन का भी डोज लेना पड़ता है।

जानकारी के मुताबिक, न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद उन्होंने सारी दवाइयां जेल में मंगवाई। फिलहाल, उन्हें सोने के लिए चौकी मुहैया कराई गई है। अदालत 21 नवंबर को उनकी सजा तय करेगा।

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