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चारा घोटालाः लालू प्रसाद यादव ने तीन मामलों में लगाई हाजिरी

लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाले के तीन मामलों में सीबीआइ के तीन विशेष कोर्ट में हाजिरी लगाई।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 03 Nov 2017 10:02 AM (IST)Updated: Fri, 03 Nov 2017 03:15 PM (IST)
चारा घोटालाः लालू प्रसाद यादव ने तीन मामलों में लगाई हाजिरी
चारा घोटालाः लालू प्रसाद यादव ने तीन मामलों में लगाई हाजिरी

जागरण संवाददाता, रांची। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाले के तीन मामलों में आज सीबीआइ के तीन विशेष कोर्ट में हाजिरी लगाई।

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देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में लालू प्रसाद की सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में उपस्थित होकर हाजिरी लगाई। साथ ही कोर्ट में अधिवक्ता के माध्यम से आवेदन दाखिल कर कहा कि उनके बचाव में गवाही की प्रक्रिया समाप्त की जाए, अब वे इस मामले में गवाही नहीं कराना चाहते। अदालत में आवेदन को स्वीकार करते हुए लालू का बचाव साक्ष्य बंद कर दिया। 

जानकारी के अनुसार, डा. जगन्नाथ मिश्र की ओर से बचाव साक्ष्य प्रस्तुत किया जाना है। इसके बाद इस मामले में अभियोजन पक्ष की बहस के लिए तारीख मुकर्रर की जाएगी।

लालू प्रसाद ने डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत में उपस्थित होकर हाजिरी लगाई।

दवा दुकान से दो करोड़े में खरीदे थे किर्लोस्कर पंप व जनरेटर

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में वीरवार को कोर्ट में उपस्थित हुए। घोटाले के तीन मामलों में उन्होंने सीबीआइ की अलग-अलग तीन विशेष अदालतों में हाजिरी लगाई। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में लालू की उपस्थिति में बिहार के तत्कालीन डीजी विजिलेंस और पूर्व डीजीपी डीपी ओझा ने लालू के बचाव में गवाही दी।

अधिवक्ता के अनुसार, देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में गवाही के दौरान डीपी ओझा ने निगरानी से जुड़े दो मुकदमों के बारे में न्यायालय को बताया। उन्होंने कहा कि लालू ने कोई गड़बड़ी नहीं की है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन एमएलए रामेश्वर पासवान ने आरोप से संबंधित एक आवेदन देकर कहा था कि बिहार के पशुपालन विभाग की सेंट्रल परचेज कमेटी द्वारा किर्लोस्कर पंप, माइक्रोस्कोप, जनरेटर आदि की खरीद की गई थी। यह उपकरण अधिकृत डीलर से नहीं, बल्कि पटना स्थित एक दवा की दुकान से खरीदे गए थे।

इसमें दो करोड़ रुपये भुगतान की बात सामने आई थी, जो वास्तविक कीमत से अधिक पाई गई थी। आवेदन में पशुपालन विभाग से संबंधित कोई आरोप नहीं था। आवेदन के आलोक में इसकी प्रारंभिक जांच हुई। इसमें खरीदे गए उपकरणों में सात लाख रुपये का घोटाला सामने आया था। जांच कमेटी का मंतव्य भी आया था कि मामले में केस दर्ज कर जांच कराई जा सकती है।

पटना की निगरानी में कांड संख्या 34/90 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके बाद जांच शुरू की गई। इसमें निगरानी के विधि अधिकारी, एडवोकेट जनरल आदि ने भी परामर्श दिया था। स्वीकृति के लिए जब मामला विभाग को भेजा गया तो यह तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के पास भी पहुंचा। लालू ने इसे प्रभावित करने की कभी कोशिश नहीं की। उन्होंने निगरानी कांड संख्या 23/94 के बारे में भी बताया। कहा कि लालू प्रसाद ने इस मामले में भी कोई हस्तक्षेप या प्रभावित करने की कोशिश नहीं की थी।

लालू प्रसाद डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत में हाजिरी लगाई। डोरंडा, चाईबासा व देवघर कोषागार से जुड़े मामले की सुनवाई शुक्रवार को सीबीआइ की तीन विशेष अदालतों में होगी, जबकि दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को निर्धारित है। देवघर मामले में लालू को शुक्रवार को भी गवाह प्रस्तुत करने की तिथि अदालत ने निर्धारित की है।

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