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कोर्ट में हाजिर हुए लालू, दर्ज हुई गवाही

रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने बुधवार को देवघर, दुमका, डोरंडा और चाईबासा कोषागार

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 01:42 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 01:42 AM (IST)
कोर्ट में हाजिर हुए लालू, दर्ज हुई गवाही
कोर्ट में हाजिर हुए लालू, दर्ज हुई गवाही

रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने बुधवार को देवघर, दुमका, डोरंडा और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाले के चार मामलों में सीबीआइ की अलग-अलग अदालत में गुरुवार को उपस्थित होकर हाजिरी लगाई। दो मामलों में अपने बचाव में पटना सचिवालय अनुमंडल के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक (वर्ष 1997 में कार्यरत व वर्तमान एएसपी पद से सेवानिवृत्त) शशि भूषण शर्मा की गवाही दर्ज कराई। चारों मामलों में वे शुक्रवार व शनिवार को भी कोर्ट में हाजिर होंगे। दो मामलों में अपनी ओर से गवाहों की गवाही दर्ज कराएंगे।

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देवघर कोषागार से करीब 90 लाख रुपये की अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत और चाईबासा कोषागार से करीब 37 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत में शशि भूषण ने गवाही दी। गवाही के दौरान शशि भूषण ने न्यायालय को बताया कि वे पटना सचिवालय अनुमंडल थाना में वर्ष 1997 में पुलिस उपाधीक्षक के पद पर कार्यरत थे। लालू प्रसाद का सरकारी आवास उनके क्षेत्राधिकार में था। गवाही के लिए जारी समन में उन्हें 24 जुलाई 1997 से 31 जुलाई 1997 तक सचिवालय थाना की स्टेशन डायरी (केस डायरी) लेकर बुलाया गया था। इसके लिए वे थाने में आवेदन व समन लेकर गए थे, लेकिन उन्हें स्टेशन डायरी नहीं दी गई और न ही लिखित आवेदन लिया गया। बताया गया कि कोर्ट का आदेश आने पर थाना द्वारा खुद डायरी भेज दी जाएगी। 25 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद की गिरफ्तारी की सूचना पर एक अणे मार्ग स्थित सरकारी आवास की विधि व्यवस्था संभालने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति हुई थी। वे खुद (शशि भूषण) भी वहां मौजूद थे। वहां पता चला कि कोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक लगी है। लालू के खिलाफ कोई गिरफ्तारी वारंट भी प्राप्त नहीं था। लालू प्रसाद ने 30 जुलाई 1997 को 10 से 10:30 बजे के करीब स्वयं आत्मसमर्पण किया। उन्होंने कहा कि सचिवालय अनुमंडल थाने में पूरे बिहार के पशुपालन का केस दर्ज हुआ था। वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर सभी मामले सीबीआइ को सुपुर्द किए गए थे।

गवाह शशि भूषण से जिरह के दौरान सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक बीएम सिंह ने कई प्रश्न किए। उन्होंने पूछा कि सचिवालय थाना में आप पदस्थापित थे, यह कैसे माना जाए। इसका कोई प्रमाण है। इसके जवाब में शशि भूषण ने वर्तमान में कोई प्रमाण नहीं होने की बात कही। कहा कि नोटिफिकेशन उनके पास है, लेकिन यहां नहीं है।

लोक अभियोजक ने फिर कहा कि 24 जुलाई 1997 से 31 जुलाई 1997 तक की केस डायरी थाने से नहीं मिलने की बात आपने न्यायालय के समक्ष बताई- क्या थाने से लिखित देकर केस डायरी मांगी। इसके जबाब में उन्होंने कहा कि लिखित आवेदन दिया था, लेकिन थानेदार ने आवेदन नहीं लिया। समन भी दिखाया, लेकिन कोर्ट द्वारा डायरी मांगे जाने पर खुद भेजने की बात कही। थाने को लिखे आवेदन या उसकी कार्बन कॉपी को भी लोक अभियोजक ने न्यायलय के समक्ष प्रस्तुत करने की बात कही। इस पर उन्होंने कहा कि आवेदन यहां नहीं है और उसकी उन्होंने कोई कार्बन कॉपी भी नहीं की थी।

25 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद के सरकारी आवास पर किसके आदेश से गए थे? शशि भूषण ने बताया कि वे वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर वहां गए थे। लोक अभियोजक ने फिर कहा कि आप अतिरिक्त पुलिस बल के साथ सरकारी आवास पर मौजूद थे, इसका कोई प्रमाण है, तो उन्होंने कहा कि वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर वे वहां गए थे। वर्तमान में लिखित कोई प्रमाण नहीं है।

30 जुलाई 1997 को जब लालू प्रसाद ने आत्मसमर्पण किया तो उस समय आपने सीबीआइ की सुरक्षा व्यवस्था में लगे होने की बात न्यायालय को बताई, क्या आपकी मौजूदगी का प्रमाण है। इसपर उन्होंने कहा कि वर्तमान में नहीं है। इसके बाद विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि सीबीआइ पदाधिकारियों को सुरक्षा प्रदान की, तो पदाधिकारियों की संख्या बताएं। गवाह जब पदाधिकारियों की संख्या नहीं बता पाए तो विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि सीबीआइ अधिकारियों की सुरक्षा में लगने के बाद उनकी संख्या पता नहीं, तो कैसे और किसकी सुरक्षा प्रदान करेंगे।


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