लालू यादव बिहार में घिरे, झारखंड में पढ़ा रहे विपक्षी एका का पाठ
लालटेन की बुझती लौ को झारखंड में विपक्षी एका ही आधार दे सकती है।
राज्य ब्यूरो, रांची। अपने बेटे सह बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बिहार में जदयू के साथ महागठबंधन बचाने के जद्दोजहद में जुटे हैं। इससे इतर झारखंड में विपक्ष के शीर्ष नेताओं के साथ लगातार बैठकी कर विपक्षी एका का पाठ पढ़ा रहे है। चारा घोटाले के एक मामले में बीते दो महीने से लगभग हर हफ्ते रांची आ-जा रहे लालू झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत समेत मासस आदि नेताओं के संपर्क में हैं।
झारखंड में लालटेन की बुझती लौ को विपक्षी एका ही आधार दे सकती है, यह लालू भी जानते हैं। कमोबेश यही सोच झामुमो को छोड़ अन्य दलों की है। झारखंड गठन के समय जहां राजद के नौ विधायक हुआ करते थे, वहीं बाद के चुनाव में उनकी संख्या सात, फिर पांच में सिमट आई। पिछले चुनाव में उसका सुपड़ा ही साफ हो गया। ऐसे में राजद के जनाधार वाले क्षेत्र में अपनी साख फिर से स्थापित करना राजद के लिए चुनौती है।
इधर, झाविमो, कांग्रेस समेत अन्य दलों की स्थिति भी हाल के वर्षो में बदतर हुई है। हालांकि, झामुमो अपना अस्तित्व बनाए रखने में अबतक सफल रहा है, परंतु सत्ता के शीर्ष तक का सफर उसके लिए भी आसान नहीं दिख रहा। बहरहाल मौजूदा परिस्थितियों में लगभग सभी दल गठबंधन अथवा महागठबंधन के पक्ष में है, जिच है तो बस नेतृत्व को लेकर।
लालू के विगत दौरे की बात करें तो झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के साथ जहां उनकी तीन दौर की वार्ता हो चुकी है, वहीं हेमंत सोरेन से भी उन्होंने बंद कमरे में लंबी गुफ्तगू की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ-साथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता सह पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय से भी उनकी कई मुलाकातें हो चुकी हैं। ऐसे में देर सबेर ही सही, झारखंड में विपक्षी एका परवान चढ़ेगी, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।