Move to Jagran APP

जेपी आंदोलनकारियों को मिले सम्मानः गुरु शरण प्रसाद

आंदोलनकारियों को धैर्य छोड़ने की जरूरत नहीं है और न ही भीख मांगने की जरूरत है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 26 Jun 2017 03:30 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 03:30 PM (IST)
जेपी आंदोलनकारियों को मिले सम्मानः गुरु शरण प्रसाद
जेपी आंदोलनकारियों को मिले सम्मानः गुरु शरण प्रसाद

जागरण संवाददाता, रांची। जयप्रकाश नारायण आंदोलन से जुड़े आंदोलनकारियों को सम्मान मिलना चाहिए। वे आंदोलन से जुड़कर आपातकाल के दौरान जेल में रहे। आंदोलन से जुड़कर सभी ने योद्धा का काम किया है। आपातकाल के दौरान दहशत का वातावरण था। आंदोलनकारियों ने आंदोलन के दौरान बहुत कष्ट झेलना पड़ा। आग में सोना की तरह तपकर निकले। इतिहास को ठीक से याद करना चाहिए। वह आंदोलन से जुड़े नहीं होते तो कुछ और होते। यह बातें सेवा भारती के राष्ट्रीय सह सचिव गुरु शरण प्रसाद ने कही।

loksabha election banner

वे सोमवार को आपातकाल विरोध दिवस के अवसर पर लोकतंत्र सेनानी संघ की ओर से आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन सह सम्मान समारोह में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। कार्यक्रम आरोग्य भवन स्थित वनवासी कल्याण केंद्र सभागार में आयोजित था। मौके पर लोकनायक को नमन एक स्मारिका का भी लोकार्पण किया गया।

मुख्य अतिथि विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि सम्मान मांगने से नहीं, ताकत से मिलता है। जयप्रकाश नारायण के आंदोलनकारियों.का सम्मान होना चाहिए। इतिहास में आंदोलनकारियों की गाथा लिखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को धैर्य छोड़ने की जरूरत नहीं है और न ही भीख मांगने की जरूरत है। आपातकाल के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नहीं होता तो देश नहीं बचता। संघ ने दो-दो आंदोलन झेले हैं। अब न्याय होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आपातकाल के संबंध में नई पीढ़ियों को बताना जरुरी है। आंदोलनकारी वर्तमान समय में प्रेरणा स्रोत है। आंदोलन में इनकी अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान जेल में रहे लोग अंडे व पावरोटी के लिए झगड़ते थे, वही आज मुख्यमंत्री बने हैं। उन्हें आंदोलनकारियों को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जेल में रहते हुए बहुत कुछ देखा है। जयप्रकाश नारायण के प्रति उनकी श्रद्धा है। कई लोग उन्हें विचारधारा भी कहने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि कोई भी बात कहने के पूर्व स्मरण रखें कि देश समाज आगे बढ़े। हमें कोई चाह नहीं होनी चाहिए। सरकार भीख देने का कार्य करती है आंदोलनकारी भीख नहीं मांगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सब कुछ नहीं कर सकती, समाज को भी आगे आना चाहिए। प्रधानमंत्री जिस बात का आह्वान करते हैं। उनकी पार्टी ही उसे नहीं कर रही है। बातें नहीं मान रही है। फोटो खिंचाने के लिए सिर्फ झाड़ू थाम लेते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार बलबीर दत्त ने कहा कि जेपी का आंदोलन सरकार बदलने का नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन का था। समाज की विकृतियों के खिलाफ था। आपातकाल के दौरान 253 पत्रकार गिरफ्तार किए गए थे। 50 पत्रकारों की मान्यता रद कर दी गई थी। 18 समाचार पत्रों का लाइसेंस रद कर दिया गया था। आपातकाल का आंदोलन त्याग व बलिदान के प्रतीक के रूप में माना जाता है। उन्होंने कहा कि सेंसरशिप आपातकाल का ब्रह्मास्त्र था।

न्यूज़ को भी सेंसर किया जाने लगा था। कई समाचार पत्रों ने आपातकाल के दौरान संपादकीय पन्ने को सादा छोड़ दिया था। इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाई थी वह एकदम ही अछम्य था। जनता ने इसकी सजा भी दी। उन्होंने यह भी कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि आने वाले समय में लोकतंत्र पर खतरा नहीं मंडरा रहा है।
कृपा सिंह ने कहां की आंदोलन भ्रष्टाचार के विरोध में शुरू हुआ था भ्रष्टाचार और तानाशाही के विरोध में हम लोग को हमेशा खड़ा रहना चाहिए कार्यक्रम में जेपी आंदोलन से जुड़े राधेश्याम अग्रवाल सूर्यमणि सिंह अशोक भगत बलबीर दत्त सहित अन्य लोगों ने विचार व्यक्त किए।

मौके पर जेपी आंदोलन से जुड़े आंदोलनकारियों को प्रशस्ति पत्र व साल देकर सम्मानित किया गया जिन आंदोलनकारियों का निधन हो चुका है, उनकी पत्नी को भी सम्मानित किया गया कार्यक्रम का आयोजन लोकतंत्र सेनानी संघ की ओर से आयोजित किया गया था।⁠⁠⁠⁠ 

 यह भी पढ़ेंः इश्क बना रहा अपराधी, एकतरफा प्यार में युवती बन रही निशाना

यह भी पढ़ेंः बच्ची के नाजुक अंग से युवक ने की छेड़छाड़, ऐसे खुला राज


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.