सरकारी स्कूलों में सिर्फ दिखावे को हैं प्रयोगशालाएं : सीपी
रांची : नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने बेबाकी से कहा है कि सरकारी स्कूलों में प्रयोगशालाएं दुरुस्त नह
रांची : नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने बेबाकी से कहा है कि सरकारी स्कूलों में प्रयोगशालाएं दुरुस्त नहीं हैं। जिन स्कूलों में प्रयोगशालाएं हैं वे भी सिर्फ दिखावे के लिए हैं। उन्होंने साइंस के विकास के लिए स्कूलों में पर्याप्त प्रयोगशालाएं होने तथा उनमें प्रैक्टिकल करने का बच्चों को पूरा अवसर दिए जाने की वकालत की। मंत्री सोमवार को जिला स्कूल परिसर में शुरू हुई दो दिवसीय 44वें जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित एवं प्रयोगशाला प्रदर्शनी-2017 के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सिर्फ प्रदर्शनी आयोजित करने से साइंस का विकास नहीं हो सकता। चिंतन करने की जरूरत है कि अधिकांश आविष्कार दूसरे देशों में क्यों हो रहे हैं? उन्होंने राज्य व देश में प्रतिभा की कमी नहीं होने की बात कहते हुए प्रतिभा के पलायन पर भी चिंता प्रकट की।
इससे पहले, एनसीईआरटी के समन्वयक एके श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए मौलिक सोच वाले मॉडल भेजने पर जोर दिया। कहा, कट-पेस्ट किए गए या खरीदे हुए मॉडल कदापि स्वीकृत न हों। जिन बच्चों के पास कॉन्सेप्ट या आइडिया है, लेकिन संसाधन के अभाव में उसे मूर्त रूप नहीं दे पाए हों, उनका भी चयन होना चाहिए। राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक मनीष रंजन ने बताया कि प्रतियोगिता का मुख्य विषय 'राष्ट्र निर्माण के लिए विज्ञान प्रावैद्यिकी एवं गणित' है, जिसमें छह सब टॉपिक पर प्रत्येक जिले से एक-एक मॉडल राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयनित हुए हैं। प्रदर्शनी में इन मॉडलों को ही शामिल किया गया है। इनमें से सभी सब टॉपिक से एक-एक मॉडल राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भेजे जाएंगे। चयनित मॉडलों की घोषणा मंगलवार को की जाएगी। मौके पर आरडीडीई अच्युतानंद ठाकुर, रांची डीईओ रतन कुमार महावर व जूरी सदस्यों में शामिल बीआइटी के शिक्षक उपस्थित थे।
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500 रुपये में बना दी वाशिंग मशीन :
प्रत्येक जिलों से चयनित साइंस मॉडलों में बच्चों की प्रतिभा और सोच दिख रही है। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की छात्राओं ने मात्र 500 रुपये की लागत से वाशिंग मशीन बना दी है। बड़ाजामदा हाई स्कूल, पश्चिम सिंहभूम के बच्चों ने मंदिरों में चढ़ाए गए फूल से इत्र, अगरबत्ती से लेकर रंग बनाने का मॉडल बनाकर पर्यावरण संरक्षण की सीख दी है। कस्तूरबा विद्यालय, तोपचांची-धनबाद की लड़कियों ने अपने मॉडल में दिखाया कि कैसे नीम, धतूरा, गाजर घास व गौमूत्र से जैविक खाद बना सकते हैं। केबी गर्ल्स हाई स्कूल, रातू रोड की बच्चियों ने जियो थर्मल इनर्जी से इलेक्ट्रिकल इनर्जी बनाने की प्रक्रिया प्रदर्शित की है तो संत मेरीज हाई स्कूल, सिमडेगा के एक बच्चे ने गणितीय उत्तर बताने वाली मशीन विकसित की है।
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