बेंच-डेस्क नहीं, दरी-जमीन पर पढ़ रहे बच्चे
रांची : जिले के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को अब तक पूर्ण रूप से बेंच-डेस्क उपलब
रांची : जिले के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को अब तक पूर्ण रूप से बेंच-डेस्क उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। एक ओर सरकार निजी विद्यालयों से सरकारी विद्यालयों का तुलनात्मक आकलन कर रही है। इसके लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में बेंच-डेस्क लगाने की योजना है। झारखंड शिक्षा परियोजना की ओर से जिले को राशि भी आवंटित की जा चुकी है।
दो किस्तों में मिली है राशि
दो किस्तों में आठ करोड़ 14 लाख रुपये विभिन्न विद्यालयों की प्रबंधन समिति के बैंक खाते में उपलब्ध कराए गए हैं। इसके बावजूद शहर व ग्रामीण क्षेत्र के अधिसंख्य विद्यालयों में बेंच-डेस्क नहीं लगाए गए हैं। बच्चे आज भी जमीन व दरी पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। समय से पहले आने पर कुछ बच्चों बेंच मिल जाती है। देर होने पर दरी व जमीन ही नसीब होती है। एक ही कक्षा में कुछ बच्चे बेंच पर, तो कुछ जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं।
मानक के अनुरूप खरीदारी
बेंच-डेस्क लगाने में देरी का कारण प्रधानाध्यापकों की शिथिलता व स्थानीय कारीगरों की व्यस्तता मुख्य कारण माना जा रहा है। बेंच-डेस्क को मानक के अनुरूप खरीदा जाना है। विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की दलील है कि दूसरी किस्त में उन्हें राशि मिली है, कारीगरों को ऑर्डर किया गया है। जल्द लगा लिया जाएगा।
प्रबंधन समिति के खाते में राशि
जिला शिक्षा अधीक्षक शिवेंद्र कुमार ने बताया कि दो किस्तों में आठ करोड़ 14 लाख की राशि प्रबंधन समिति के खाते में भेज दी गई है। जिले के 2342 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में से 1713 विद्यालयों के लिए राशि निर्गत की गई है। विभिन्न प्रखंडों से प्राप्त आकड़ों के अनुसार 1416 विद्यालयों में बेंच-डेस्क लगा दिए गए हैं। अन्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को भी 31 मार्च तक बेंच-डेस्क लगाने का कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा 2 करोड़ 97 लाख रुपये की अतिरिक्त मांग की गई है, ताकि सभी विद्यालयों में बेंच-डेस्क की पूर्ण व्यवस्था की जा सके।
केस : एक
राजकीय मध्य विद्यालय करमटोली में बच्चे दरी व जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। हालांकि कुछ कक्षाओं में आधे बेंच-डेस्क लगे हैं। कक्षा में समय से प्रवेश करने पर बच्चों को बेंच नसीब होते हैं। विद्यालय देर से आने या प्रार्थना सभा के बाद कक्षा में प्रवेश करने पर उन्हें दरी व जमीन पर बैठना पड़ता है।
केस : दो
पब्लिक उर्दू माध्यमिक विद्यालय कांटाटोली में बेंच-डेस्क के अभाव में विद्यार्थी दरी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। यहां अब तक बेंच-डेस्क नहीं खरीदे गए हैं। राशि प्राप्त होते ही विद्यालय में बेंच-डेस्क लगाए जाने की बात कही गई, ताकि विद्यार्थियों को शिक्षण कार्य में सुविधा मिले।
'बेंच-डेस्क लगाने के लिए 31 मार्च अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। विद्यालय प्रबंधन समिति व प्रधानाध्यापक शीघ्र इसका अनुपालन करें। मानक के अनुरूप बेंच-डेस्क की खरीदारी करें। इसमें विचलन करने पर वे स्वयं जिम्मेदार होंगे।'
- शिवेंद्र कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक