धर्मातरण विरोधी बिल लाए सरकार : सरना समिति
रांची : केंद्रीय सरना समिति ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से अपनी धार्मिक सांस्कृतिक परंपरा को बचाने और स
रांची : केंद्रीय सरना समिति ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से अपनी धार्मिक सांस्कृतिक परंपरा को बचाने और सुरक्षा देने की मांग की है। इस मुद्दे पर फूलचंद तिर्की की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलकर ज्ञापन सौंपा। केंद्रीय सरना समिति ने जनगणना में अलग से सरना धर्म कोड शामिल करने की मांग की। इससे समाज को धार्मिक पहचान बचाने में मदद मिलेगी। प्रतिनिधिमंडल ने राज्य में आदिवासी समाज का धर्मातरण रोकने के लिए और सख्त कानून बनाने का अनुरोध किया। विधानसभा में धर्मातरण विरोधी बिल लाने की मांग की गई। समिति ने आदिवासी महिला और गैर आदिवासी पुरुष से उत्पन्न संतान को आदिवासी के लाभ से वंचित करने की वकालत की। गैर आदिवासी से शादी करने वाली महिला को भी लाभ से वंचित करने को कहा। फूलचंद तिर्की ने कहा कि जनजाति समाज के लिए संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। जिन लोगों ने धर्म बदल लिया है, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। सरकार धर्म बदलने वालों को आरक्षण के लाभ से वंचित करें। उन्होंने सरना स्थलों के अतिक्रमण का मुद्दा भी उठाया और मुक्त कराने की मांग की। सरना और मसना स्थल की घेराबंदी कराने और धुमकुड़िया बनाने के लिए समय सीमा निर्धारित करने का अनुरोध मुख्यमंत्री से किया। रघुवर दास ने केंद्रीय सरना समिति की मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया है। प्रतिनिधिमंडल में संदीप उराव, सुनील फकीरा कच्छप, मेघा उराव, बबलू मुंडा, शोभा कच्छप, भीख उराव, आकाश उराव, बिंदेश्वर उराव, कृष्णकात टोप्पो, कैलाश केशरी, विश्वास उराव, रामदास उराव आदि शामिल थे।
सरना धर्मकोड पर हो सकती है पहल
राज्य सरकार जनगणना फार्म में सरना धर्म के लिए अलग से कॉलम निर्धारित करने के लिए पहल कर सकती है। इसको लेकर संभावित विकल्प पर विचार चल रहा है। सरना समाज की मांग को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जा सकता है।