विवादों से रहा नाता, तीन माह में ही निपट गए ताला
अध्यक्ष बनने के साथ ही विवादों से घिरे ताला मरांडी की परिणति अंतत: विदाई के रूप में हुई। अपने जाने की पृष्ठभूमि ताला ने स्वयं तैयार की।
आनंद मिश्र, रांची। अध्यक्ष बनने के साथ ही विवादों से घिरे ताला मरांडी की परिणति अंतत: बुधवार को उनकी अधिकृत अध्यक्ष पर से विदाई के रूप में हुई। प्रदेश कार्यसमिति की घोषणा कर अपने जाने की पृष्ठभूमि ताला ने स्वयं तैयार की। बावजूद इसके पार्टी ने ताला की विदाई का सम्माजनक रास्ता निकालते हुए उनसे पहले इस्तीफा लिया और उसके 14 दिन बाद उसे स्वीकारा।
ताला मरांडी का प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर तीन माह कुछ दिन का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार रांची पहुंचे ताला ने बिना किसी औपचारिकता के स्वयं प्रभार ग्रहण कर लिया। जबकि संगठन की मर्यादा के अनुसार निवर्तमान अध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष को बकायदा कुर्सी सौंपते हैं, समारोह का भी आयोजन होता है। विवाद उठने पर वरीय नेताओं के हस्तक्षेप के बाद उनकी दोबारा ताजपोशी हुई।
प्रदेश भाजपा के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी अध्यक्ष ने दो बार प्रभार लेने की औपचारिकता पूरी की हो। सांगठनिक पेंच से उबरे तो निजी विवाद में उलझ कर रह गए।
एक नाबालिग स्कूली छात्रा से अपने बालिग बेटे की शादी ने उनके साथ-साथ पार्टी की खासी फजीहत कराई। केंद्रीय नेतृत्व ने तभी उन्हें हटाने का मन बना लिया था लेकिन कुछ खास नेताओं की पैरोकारी की वजह से उन पर कड़ा एक्शन नहीं लिया गया।
यह प्रकरण अभी पूरी तरह थमा भी नहीं था कि ताला मरांडी ने बिना किसी को विश्वास में लिए प्रदेश कार्यसमिति की घोषणा कर दी। तकरीबन पूरी तरह नए चेहरों को लेकर बनाई गई कार्यसमिति की घोषणा भी भाजपा प्रदेश कार्यालय के बजाए उनके निजी सचिव ने मोबाइल से की गई।
सबसे कम दिन अध्यक्ष बनने का रिकार्ड
ताला मरांडी अपने सीमित कार्यकाल के दौरान रिकार्ड भी बनाया है। वे प्रदेश भाजपा के इतिहास में सबसे कम दिन के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जाने जाएंगे। ताला मरांडी को 17 मई को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था और उनकी विदाई ठीक इसके तीन माह सात दिन बाद हुई।
कुछ ऐसे चला घटनाक्रम
- 7 अगस्त : प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी ने भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की घोषणा की। पहली बार भाजपा प्रदेश कार्यालय की जगह ताला के निजी सचिव ने जारी की कार्यसमिति की सूची। सूची में नए चेहरों को किया शामिल।
- 8 अगस्त : पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा ने उपाध्यक्ष पद स्वीकार करने से किया इन्कार। उपाध्यक्ष आदित्य साहू और महामंत्री अजयनाथ शाहदेव ने भी नहीं स्वीकारा पद।
- दिल्ली तक पहुंचा विरोध का स्वर। सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह ने मुख्यमंत्री रघुवर दास और प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी को दिल्ली बुलाया।
9 अगस्त : युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं को मनाने गए भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा भी कार्यसमिति में वरिष्ठों की उपेक्षा से हुए नाराज। स्थायी आमंत्रित सदस्य बनने से किया इन्कार। प्रशिक्षण प्रमुख गणेश मिश्र ने भी दिया इस्तीफा।
10 अगस्त : ताला मरांडी ने दिल्ली में अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा।
24 अगस्त : राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ताला मरांडी का इस्तीफा किया स्वीकार। लक्ष्मण गिलुवा बने प्रदेश अध्यक्ष।