महज 16 दिनों में ट्रेंड हो गए 40 हजार ग्रामीण युवा
रांची : सरकारी महकमों की सुस्ती की बनी बनाई इमेज से इतर कृषि विभाग ने योजना को हकीकत में बदलने में ज
रांची : सरकारी महकमों की सुस्ती की बनी बनाई इमेज से इतर कृषि विभाग ने योजना को हकीकत में बदलने में जो तेजी दिखाई है, उसने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। विभाग ने आर्या (एट्रैक्टिंग रूरल यूथ इन एग्रीकल्चर) योजना के तहत राज्य के 32 हजार से अधिक गांवों से 57 हजार युवाओं का चयन कर उनमें से 40 हजार को कृषि कार्य के लिए ट्रेंड कर दिया, वह भी महज 16 दिनों में। बात पचने वाली भले न लग रही हो लेकिन कृषि विभाग इन आंकड़ों पर कायम है। हाल ही में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के साथ हुई बैठक में इन आंकड़ों को विभाग के स्तर से प्रस्तुत किया गया।
ग्रामीण युवक एवं युवतियों को कृषि कार्य से जोड़कर कृषि विकास को गति देने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गत 17 जून को 'आर्या' योजना की घोषणा की थी। उससे पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने चार जून को बैठक कर योजना पर अमल का निर्देश दिया था। महज 16 दिनों बाद 20 जून को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई दूसरी बैठक में जो आंकड़े पेश किए वो चौकाने वाले थे। राज्य के 249 प्रखंडों के 28812 गांवों में कृषि कार्य में योगदान देने के लिए 57624 युवक एवं युवतियों का चयन कर लिया गया। इतना ही नहीं, इनमें से 39011 लोगों को ट्रेनिंग भी दे दी गई। 20 जून के बाद के आंकड़े अभी फाइनल नहीं किए गए हैं।
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आत्मा ने किया ग्रामीणों का चयन, केवीके ने दी ट्रेनिंग
आर्या के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में युवक एवं युवतियों का चयन कृषि विभाग के समेति निदेशालय के स्तर से आत्मा (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट) के तहत किया गया। इन्हें ट्रेनिंग जिलों में स्थापित केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र) के माध्यम से दी जा रही है। सवाल चयन से अधिक ट्रेनिंग को लेकर उठ रहा है। राज्य के 24 जिलों में 23 केवीके संचालित हैं। प्रत्येक केवीके में औसतन 4-5 कृषि वैज्ञानिक कार्यरत हैं। ट्रेनिंग का कार्य इन्हीं के सुपुर्द है। खूंटी जिले में केवीके नहीं है लेकिन वहां भी 1514 लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। बताया गया है कि वहां पड़ोस के जिले सिमडेगा से ट्रेनिंग की सुविधा मुहैया कराई गई।
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एक दिन में सौ-सौ लोगों के कई बैच को दी ट्रेनिंग : आरपी सिंह रतन
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार शिक्षा आरपी सिंह रतन, जिन पर केवीके के माध्यम से ट्रेनिंग दिलाने का दारोमदार है, दावा करते हैं कि ट्रेनिंग में कतई कोताही नहीं बरती गई। ग्रामीणों को एक दिन की ट्रेनिंग वैज्ञानिकों ने ब्लॉक में जाकर दी। एक-एक दिन में सौ-सौ के कई बैच को ट्रेनिंग दी गई।
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