सताएगा मच्छर, मेडिकेटेड मच्छरदानी का पता नहीं
रांची : राज्य में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों को मेडिकेटेड मच्छरदानी वितरण की योजना फिलहाल फा
रांची : राज्य में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों को मेडिकेटेड मच्छरदानी वितरण की योजना फिलहाल फाइलों में लटकी है। इससे समय पर ऐसे परिवारों को राहत मिलने की गुंजाइश कम नजर आ रही है जिन्हें मेडिकेटेड मच्छरदानी की सख्त जरूरत है। राज्य में 11 लाख मच्छरदानी का वितरण होना है। इसकी स्वीकृति राज्य मंत्रिपरिषद से पूर्व में ही मिल चुकी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग फिलहाल यह बताने की स्थिति में नहीं है कि मेडिकेटेड मच्छरदानी का वितरण कब तक हो पाएगा?
स्वास्थ्य निदेशालय के मुताबिक मच्छरदानी खरीदने की प्रक्रिया अभी आरंभिक चरण में है। टेंडर की प्रक्रिया के तहत तकनीकी बिड हो चुका है। यह पहला मौका है जब राज्य सरकार को मेडिकेटेड मच्छरदानी खरीदने की जिम्मेदारी मिली है लेकिन मच्छरदानी की आपूर्ति और वितरण का डेडलाइन अभी बताया नहीं जा सकता। झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्यूरमेंट कारपोरेशन इस प्रक्रिया में लगा है।
गौरतलब है कि मेडिकेटेड मच्छरदानी राज्य में मच्छर जनित रोगों से प्रभावित जिलों में वितरित करना है। राज्य के 24 में से 18 जिले मलेरिया, डेंगू, जापानी इंसेफ्लाइटिस आदि मच्छर जनित रोगों की बहुलता वाले जिलों में शुमार हैं। पाच साल पूर्व राज्य में लगभग सात लाख मेडिकेटेड मच्छरदानी वितरित किये गये थे। उसका प्रभाव समाप्त हो चुका है। मेडिकेटेड मच्छरदानी अधिकतम चार वर्ष तक कारगर होता है। इसके बाद इसका उपयोग प्रभावी नहीं होता। मानसून के दौरान बारिश में मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप ज्यादा होता है। नेशनल वेक्टर बार्न डिजीज प्रोग्राम के तहत आई रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष राज्य भर में 37 हजार लोग मलेरिया से प्रभावित हुए थे। मच्छरदानी खरीदने की प्रक्रिया इतनी सुस्त है कि मानसून के बाद हीं अब इसके वितरण होने की संभावना नजर आ रही है।