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पांच साल तक केंद्रीय अनुदान से वंचित रहे 164 मदरसे

नीरज अम्बष्ठ, रांची : स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही से राज्य के 164 म

By Edited By: Published: Wed, 02 Dec 2015 01:48 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2015 01:48 AM (IST)

नीरज अम्बष्ठ, रांची : स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही से राज्य के 164 मदरसे लगातार पांच साल तक अनुदान से वंचित रहे। केंद्र सरकार 'स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा' (एसपीक्यूएम) योजना के तहत प्रत्येक वर्ष मान्यता प्राप्त मदरसों के अनुदान के लिए राज्य सरकारों को राशि उपलब्ध कराती है। राज्य को वर्ष 2009-10 में यह राशि मिली। इसके बाद पूरी राशि खर्च नहीं होने तथा समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र केंद्र को उपलब्ध नहीं कराने के कारण राज्य इस अनुदान से वंचित रहा। केंद्र यह अनुदान मदरसों के शिक्षकों के वेतन तथा आधारभूत संरचना के विकास के लिए देता है।

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इधर, चालू वित्तीय वर्ष के आठ माह बीत जाने के बाद भी अभी तक अनुदान की स्वीकृति केंद्र से नहीं मिली है। हालांकि विभाग ने इस वर्ष केंद्र से अनुदान प्राप्त करने का पहल करते हुए फरवरी में ही 2013-14 तथा 2014-15 के लिए 110 मदरसे (शेष विद्यालयों में संबंधित विषयों के शिक्षक नहीं हैं) के अनुदान के रिन्युअल का प्रस्ताव दिया था। केंद्र ने इस प्रस्ताव को 10 मार्च को हुई सेंट्रल ग्रांट इन एड कमेटी की बैठक में भी रखा, लेकिन इस बैठक में राज्य की ओर से कोई प्रतिनिधि शामिल ही नहीं हुआ। इस कारण कमेटी ने इस प्रस्ताव को लंबित रखा। बाद में विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए 110 मदरसों को अनुदान का प्रस्ताव रखा। इस बार केंद्रीय ग्रांट इन एड कमेटी ने इसे राज्य की ग्रांट इन एड कमेटी से पास कराकर भेजने को कहा है। विभाग के पदाधिकारियों को उम्मीद है कि देर से ही सही इस बार अनुदान पर केंद्र की स्वीकृति मिल जाएगी।

2009-10 में मिले थे 4.17 करोड़

केंद्र ने इस योजना के तहत 2009-10 में 4.17 करोड़ रुपये राज्य को दिए थे। इस राशि से 164 मदरसों के तीन-तीन शिक्षकों (गणित, विज्ञान व अंग्रेजी) का वेतन भुगतान होना था। केंद्र से राशि मिलने के बाद विभाग ने बिना मदरसों की जांच किए राशि आवंटित कर दी। बाद में पता चला कि 164 मदरसों में कुल 492 शिक्षकों को इससे वेतन भुगतान होना था, लेकिन मदरसों में 280 शिक्षक ही बहाल थे। कई मदरसों में शिक्षक नहीं होने से राशि खर्च ही नहीं हो सकी। साहिबगंज, गोड्डा व पाकुड़ जिले में ही राशि खर्च हुई।

केंद्र सरकार को चालू वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। इसपर केंद्र ने स्टेट ग्रांट इन एड कमेटी से पास कराकर भेजने का निर्देश दिया था। 26 नवंबर को ही इसकी बैठक कर दोबारा प्रस्ताव भेज दिया गया है। उम्मीद है शीघ्र ही इसपर केंद्र की स्वीकृति मिल जाएगी।

आराधना पटनायक, सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग।


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