अवैध निकासी के 15 रिमांइडर का राजबाला ने नहीं दिया जवाब
रांची : चारा घोटाला के नाम से चर्चित चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के जिस मामले में बिहार के तत्काल
रांची : चारा घोटाला के नाम से चर्चित चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के जिस मामले में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद सहित कई अन्य लोगों को सजा हो गई, उससे संबंधित 15 स्मार पत्रों का जवाब पथ निर्माण विभाग की वर्तमान प्रधान सचिव राजबाला वर्मा ने अंतत: नहीं ही दिया। इस कारण यह मामला लंबित पड़ा हुआ है। यह प्रकरण अप्रैल 1990 से दिसंबर 1991 के बीच का है। इस अवधि में राजबाला वर्मा पश्चिम सिंहभूम की उपायुक्त थीं। उस काल में भी पशुपालन मद में चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी हुई थी।
इस सबंध में राज्य के पूर्व मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने 24 मार्च 2014 को राजबाला वर्मा को पत्र लिखकर 15 दिन के अंदर जवाब देने के लिए कहा था। पत्र में उल्लेख किया गया है कि इस संबंध में 2003 से लेकर 2013 के बीच 14 बार रिमांइर-दर-रिमांइडर भेजकर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन राजबाला ने पूर्व की तरह मुख्य सचिव के पत्र को भी तवज्जो नहीं देते हुए कोई जवाब नहीं दिया और मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा।
तत्कालीन मुख्य सचिव ने राजबाला को प्रेषित अपने पत्र में लिखा था कि पश्चिम सिंहभूम का उपायुक्त रहने के दौरान आपने कोषागार का न तो निरीक्षण किया, न ही उसकी उचित निगरानी की। यहां तक कि कोषागार से भुगतान और व्यय की मासिक विवरणी भी महालेखाकार को नहीं भेजा। इस कारण कोषागार से गलत तरीके से निकासी हुई। इस प्रकरण की जांच के क्रम में सीबीआइ द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर आपसे 2003 से ही प्रतिक्रिया मांगी जा रही है लेकिन उसका जवाब नहीं मिल रहा है। इसलिए यह मामला लंबित है। इस संबंध में 'जागरण' की ओर से राजबाला वर्मा के सेलफोन पर संपर्क किया गया लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। उनके ह्वाट्सऐप कांटैक्ट पर संदेश देने का भी कोई उत्तर नहीं आया।