झारखंड का हर चौथा बच्चा कुपोषित
नीरज अम्बष्ठ, रांची : झारखंड का हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है। ये बात चौंकाने वाली है। इसकी पुष्ट
नीरज अम्बष्ठ, रांची : झारखंड का हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है। ये बात चौंकाने वाली है। इसकी पुष्टि खुद झारखंड सरकार के अधिकारी कर रहे हैं, लेकिन इस तर्क के साथ कि राज्य में कुपोषण की समस्या में कमी आई है। अधिकारियों का दावा है कि झारखंड में 24.22 फीसद बच्चे ही कुपोषित रह गए हैं यानी अमूमन हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है।
बच्चों के पोषण के लिए जिम्मेदार ये अधिकारी राज्य सरकार द्वारा कराए गए हालिया सर्वे को आधार बनाते हुए यह दावा करते हैं। इनका कहना है कि बच्चे कुपोषित होने की बात एनएफएचएस-3 के आंकड़े पर आधारित है। भले ही यह रिपोर्ट 2008 में आई हो, लेकिन यह सर्वे वर्ष 2005-06 में ही हुआ था।
समाज कल्याण विभाग ने इसी साल मई में शून्य से पांच वर्ष के बच्चों के पोषण को लेकर सर्वे कराया था। इसके तहत राज्य के चौबीसों जिले में वजन पखवाड़ा आयोजित कर 30,08,904 बच्चों का वजन लिया था। वजन के हिसाब से 75.89 फीसद बच्चे पोषण में सामान्य पाए गए। 22.84 फीसद बच्चे अल्प कुपोषित, जबकि 1.38 फीसद बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित थे। इनका तुरंत उपचार जरूरी था।
अभी भी कम वजन के पैदा होते हैं 28 फीसद शिशु
दूसरी तरफ, केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़े (एनुअल हेल्थ सर्वे रिपोर्ट-2012-13) बताते हैं कि आज भी राज्य में पैदा होनेवाले 28.1 फीसद नवजात कम वजन (अंडर वेट) के होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोषण के लिहाज से स्वस्थ नवजात का मापदंड न्यूनतम 2.5 किलो तय किया है। लेकिन राज्य में अभी भी जन्म लेनेवाले 28.1 फीसद शिशु इससे कम वजन के होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार लोहरदगा, दुमका, धनबाद, गुमला तथा रांची में जन्म लेनेवाले अधिक शिशु अंडरवेट होते हैं। इसमें चतरा, गढ़वा, पलामू, हजारीबाग तथा चाईबासा की बेहतर स्थिति है। इस रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि राज्य में 47.7 प्रतिशत शिशुओं का जन्म के समय वजन ही नहीं किया जाता। ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह प्रतिशत 72.9 है। शहरी क्षेत्रों में 40.7 प्रतिशत शिशुओं का जन्म के बाद वजन नहीं होता।
इसके बावजूद भी यह स्थिति
-बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित आइसीडीएस कार्यक्रम के तहत बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में पूरक आहार दिया जाता है।
-ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस (वीएचएनडी) पर आंगनबाड़ी केंद्रों में आयरन गोली का वितरण, बच्चों का वजन व माप कर कुपोषित बच्चों का चयन व अधिक गंभीर स्थिति में कुपोषण उपचार केंद्रों में भर्ती कराया जाता है।
-राज्य में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत 85 कुपोषण उपचार केंद्र संचालित हैं।
सीएम ने भी जताई है चिंता
राज्य में कुपोषण की स्थिति पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी चिंता जताई है। इसके लिए उन्होंने झारखंड राज्य पोषण मिशन के गठन तथा बारह हजार पोषण सखियों की नियुक्ति की बात कही है। हालांकि उन्होंने पहली सितंबर तक ही यह सबकुछ करने की घोषणा की थी।
ऐसे मिले कुपोषण से निजात
-नवजातों को जन्म के पहले घंटे मां का दूध।
-छह माह तक केवल मां का दूध।
-सातवें माह से ऊपरी आहार के साथ मां का दूध।
-बच्चों को आयरन, विटामिन के साथ संतुलित आहार।
-स्वच्छता।