25 साल चला मुकदमा, रुपये 250 जुर्माना
रांची : कुछ मुकदमे जिद की लड़ाई में लंबे खिंचते हैं तो कुछ कानूनी पेंचीदगियों के कारण। पिसता हर वो इं
रांची : कुछ मुकदमे जिद की लड़ाई में लंबे खिंचते हैं तो कुछ कानूनी पेंचीदगियों के कारण। पिसता हर वो इंसान है, जो किसी न किसी कारण से ऐसे मामले में फंस जाए। ऐसे ही एक मामले में शनिवार को 25 साल बाद फैसला सुनाया गया। तीन लोगों को दोषी करार देते हुए जितने दिन कैद की सजा सुनाई गई उससे कहीं अधिक वो जेल में गुजार चुके हैं, सो अब जेल भी नहीं जाना पड़ेगा। हां, 25 वर्ष पहले 60 हजार की धोखाधड़ी के मुकदमे में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व डिप्टी कमांडेंट सीएनएस गौतम को 250 रुपये जुर्माना अदा करने का आदेश कोर्ट ने दिया। मामले के अन्य दो आरोपियों को मिलाकर 36 हजार रुपये जुर्माना किया गया है।
कहानी सिर्फ इतनी ही नहीं है। तीन आरोपियों में से एक राजस्थान से और एक तमिलनाडु से डेट पर आते थे। वकीलों के भुगतान को जोड़ लें तो लाखों का खर्च इस दौरान आराम से हो गया। 1990 में धोखाधड़ी करते हुए बीएसएफ को 60 हजार रुपये का घाटा पहुंचाने के तीन आरोपियों को शनिवार को तीन-तीन वर्ष की सजा सुनाई गई। लेकिन, इससे अधिक समय तीनों जेल में गुजार चुके थे। सो, अब जेल जाने की नौबत नहीं है। आरोपियों को जुर्माने के बाद छोड़ने का भी आदेश कोर्ट ने दिया है। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एके चतुर्वेदी की अदालत ने अभियुक्त बीएसएफ के पूर्व डिप्टी कमांडेंट सीएनएस गौतम को 250 रुपये जुर्माना, एसआइ क्लर्क केवी जैकब को 20 हजार रुपये व मेसर्स लिंकर्स के प्रोपराइटर प्रवीण कुमार को 16 हजार रुपये जुर्माना लगाया। मामले में एक अन्य आरोपी कमांडेंट ओपी धइया थे। अभियोजन स्वीकृति नहीं आने के कारण उनके खिलाफ चार्जशीट नहीं हो सकी। मामले में सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक राकेश प्रसाद ने 20 लोगों की गवाही दर्ज कराई। इनके खिलाफ मेसर्स लिंकर्स के प्रोपराइटर प्रवीण कुमार के साथ मिलकर ऊंचे दर पर घटिया किस्म की साल की बल्ली की सप्लाई बीएसएफ प्रशिक्षण केंद्र हजारीबाग में करने का आरोप था। इससे बीएसएफ को 60 हजार रुपये का घाटा हुआ। मामले को लेकर 31 मार्च 1990 को सीबीआइ कांड संख्या आरसी 3ए/90 आर के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अभियुक्तों के खिलाफ 22 मार्च 1993 को न्यायालय में चार्जशीट किया गया था।