मोनो रेल पर अगले महीने रिपोर्ट सौंपेगी कंपनी
रांची : अगस्त तक साफ हो जाएगा कि राजधानी रांची में मोनो रेल चलेगी या मेट्रो। सबकुछ ठीकठाक रहा तो दिस
रांची : अगस्त तक साफ हो जाएगा कि राजधानी रांची में मोनो रेल चलेगी या मेट्रो। सबकुछ ठीकठाक रहा तो दिसंबर तक योजना का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार हो जायेगा। मार्च 2016 तक निविदा भी निकल जाएगी। मंगलवार को नगर विकास विभाग और कंसलटेंट एजेंसी आइडीएफसी के बीच प्रोजेक्ट बिल्डिंग में इस मसौदे पर एमओयू हुआ। सरकार की ओर से निदेशक शशि रंजन सिंह तथा आइडीएफसी की ओर से कार्यपालक उपाध्यक्ष अश्रि्वनी पराशर ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये।
अप्रैल से जून के बीच शहर का प्रारंभिक सर्वे कर चुकी कंसलटेंट एजेंसी अब शहरी परिवहन के उपयुक्त विकल्प के लिए 'टेक्नोलाजिकल आप्शन स्टडी' करेगी। इस क्रम में शहर की सघन आबादी, यातायात के अधिकतम दवाब वाले क्षेत्र, परियोजना क्षेत्र की मौजूद भौगालिक संरचना आदि का अध्ययन होगा। यह रिपोर्ट रांची की 30 वर्षो के बाद की आबादी को ध्यान में रखकर तैयार की जायेगी, जो शहरी परिवहन के अलावा राजधानी के समेकित विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन में काम आयेगी।
आइडीएफसी के कार्यपालक उपाध्यक्ष के अनुसार परियोजना से संबंधित रिपोर्ट 'नेशनल अर्बन ट्रांसपोर्ट प्लान' के आधार पर तैयार होगी। सामान्य तौर पर 10 से अधिक लाख की आबादी वाले क्षेत्र के लिए मोनो तथा 20 लाख से अधिक आबादी वाले क्षेत्र के लिए मेट्रो रेल की अनुशंसा की जाती है। आइडीएफसी के रीजनल हेड सुप्रतीक सरकार तथा नगर विकास विभाग के कई अधिकारी इस अवसर पर मौजूद थे।
बढ़ सकता है परियोजना का लागत मूल्य
नवंबर 2013 में कंपनी की ओर से दिए गए प्रजेंटेशन में परियोजना की कुल लागत 2011 के मूल्यों के आधार पर 1383 करोड़ 53 लाख रुपये आंकी गई थी। लागत में भूमि अधिग्रहण की राशि शामिल नहीं थी। धुर्वा से बीआइटी मेसरा तक कुल 17 स्टेशन बनाए जाने का प्रस्ताव कंपनी ने दिया था। योजना में विलंब होने से इसके लागत मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि की संभावना है।
प्रोजेक्ट पर एक नजर
- 180 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर होगा आधार मूल्य।
- भूमि अधिग्रहण की अनुमानित लागत 1,709 करोड़ रुपये।
- आपरेशनल कॉस्ट प्रति किलोमीटर लगभग सात करोड़ रुपये।
- परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए केंद्र व राज्य सरकार को देना होगा परियोजना मूल्य का 40 फीसद हिस्सा। शेष 60 फीसद राशि की भरपाई दो फीसद ब्याज के साफ्ट लोन से संभावित।
रांची के लिए लाइट रेल ट्रांजिट 'मोनो' ही विकल्प
शहरी विकास मंत्रालय ने तेजी से बढ़ते हुए जिन शहरों के लिए मोनो रेल की परिकल्पना की है, उनमें रांची भी शामिल है। मंत्रालय का मानना है कि रांची जैसे अनप्लांड शहर के लिए 'लाइट रेल ट्रांजिट' ही विकल्प है। सामान्य तौर पर ऐसे शहरों में निर्मित बड़ी-बड़ी इमारतों के साथ-साथ अन्य स्थाई संरचनाएं, तेजी से बढ़ती जनसंख्या और इसी के अनुपात में बढ़ती गाड़ियों की वजह से सड़कों पर अत्यधिक दवाब बढ़ रहा है। इससे जाम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। ऐसे में मोनो रेल, जहां कम समय में यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने में सहायक होगी, वहीं यातायात के अन्य साधनों की तुलना में इसका सफर सस्ता और सुरक्षित होगा।