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माननीयों ने सीखे सबक, लेकिन जमीन पर भी उतरें

रांची : राज्य के विधायकों के क्षमता संव‌र्द्धन के लिए विधानसभा अध्यक्ष द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्य

By Edited By: Published: Mon, 06 Jul 2015 01:29 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2015 01:29 AM (IST)

रांची : राज्य के विधायकों के क्षमता संव‌र्द्धन के लिए विधानसभा अध्यक्ष द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला विधानसभा सत्र से कहीं कम उपयोगी नहीं रही। अपने कई सकारात्मक पक्षों के साथ यह सवाल छोड़ गई कि दी गई जानकारियों का किस हद तक उपयोग हो पाता है।

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यह पहला मौका है, जब विधायकों के लिए कार्यशाला आयोजित की गई। पूर्व में भी दो विधानसभाध्यक्षों ने ऐसा करने को कहा था लेकिन वर्तमान अध्यक्ष दिनेश उरांव और संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय के प्रयासों को ही सफलता मिली। इसमें लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन जैसी हस्ती ने सदस्यों को विधायिका के कई पहलुओं की जानकारी दी। आठ बार की सांसद सुमित्रा महाजन ने सदस्यों को न सिर्फ संसदीय व्यवस्था का सबक पढ़ाया बल्कि उन्हें जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारियों का भी एहसास कराया। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप की उपस्थिति और उनका सदस्यों के साथ सीधा संवाद काफी कारगर रहा। विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने खुद मंत्रिपरिषद द्वारा विधानमंडल को सम्मान न देने जैसा गंभीर मसला उठाया। उन्होंने यह कहने में कोई संकोच नहीं की कि जब हम अपने दायित्वों में विफल होंगे तो न्यायपालिका का हस्तक्षेप बढ़ेगा ही। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने भी संसदीय प्रणाली में सिद्धांत और व्यवहार के विपरीत दिशा में जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए एक बहस छेड़ी तो संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने आश्वासनों के लंबित रहने पर चिंता व्यक्त की।

कार्यशाला के दूसरे दिन लोक वित्त प्रबंधन जैसे गंभीर विषय पर आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों ने अर्थ व्यवस्था के विभिन्न आयामों से अवगत कराया। समापन सत्र में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने तकरीबन यह स्पष्ट कर दिया कि सिर्फ केंद्रीय सहायता के बूते बहुत कुछ नहीं किया जा सकता। राज्यों को स्वावलंबी बनने की दिशा में पहल करनी होगी।

सदस्यों के क्षमता संव‌र्द्धन कार्यशाला में भले ही सभी विधायकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई लेकिन युवा विधायकों का इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना राज्य के लिए अच्छा संकेत है। प्राय: सभी दलों के युवा विधायकों ने न सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई बल्कि प्रश्नोत्तर सत्रों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने लोक वित्त प्रबंधन और बजटीय पेचीदगी जैसे गंभीर विषय पर बिना झिझक विशेषज्ञों से सीधा संवाद किया।


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