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रांची स्टेशन को बनाया गया चाइल्ड फ्रेंडली

रांची : ट्रैफिकिंग रोकने एवं स्टेशन पर घूम रहे लावारिस और अनाथ बच्चों की मदद के लिए रांची रेलवे स्टे

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 01:02 AM (IST)
रांची स्टेशन को बनाया गया चाइल्ड फ्रेंडली

रांची : ट्रैफिकिंग रोकने एवं स्टेशन पर घूम रहे लावारिस और अनाथ बच्चों की मदद के लिए रांची रेलवे स्टेशन को चाइल्ड फ्रेंडली बनाया गया है। उनकी मदद के लिए एक कियोस्क की भी स्थापना स्टेशन पर की गई है, जहां जीआरपी, आरपीएफ और टीटी के सहयोग से बच्चों की मदद की जाएगी।

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कियोस्क पर बराबर दो लोगों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी, जो गुमशुदा बच्चों और उनकी तलाश कर रहे अभिभावकों की मदद एनाउंस करके करेंगे। साथ ही किसी अन्य स्टेशन से ट्रैफिकिंग की सूचना मिलते ही वह संबंधित ट्रेन के टीटी को इसकी सूचना दे देगा, जो मौके पर ट्रैफिकिंग करने वालों के पहचान पत्र की जांच करते हुए उसे आरपीएफ और जीआरपी के समक्ष हवाले कर सकता है। झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इसका नोडल एजेंसी बनाया गया है, जो कियोस्क का हर स्तर पर मॉनिट¨रग करेगा। हालांकि अनौपचारिक तौर पर इसकी शुरुआत एक जुलाई से कर दी गई है, लेकिन आयोग 14 जुलाई को कियोस्क का उद्घाटन करेगा।

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सात और स्टेशनों को चाइल्ड फ्रेंडली बनाने की है योजना :

चाइल्ड फ्रेंडली सुविधा देश के 20 स्टेशनों पर दी गई है, जिसमें रांची भी शामिल हो गया है। बाल संरक्षण आयोग ने प्रदेश के सात और स्टेशनों को चाइल्ड फ्रेंडली बनाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है, ताकि अन्य स्टेशनों पर बच्चों को परेशानी न हो। इन स्टेशनों में जसीडीह, धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर, डालटनगंज, चक्रधरपुर और कोडरमा शामिल हैं।

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चाइल्ड फ्रेंडली स्टेशन की सुविधा होने से ट्रैफिकिंग को रोकने में मदद मिलेगी। इसके लिए टीटी, आरपीएफ और जीआरपी को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। स्टेशन के डीआरएम के संग बैठक भी होगी, ताकि सुनियोजित तरीके से स्टेशन पर घूम रहे लावारिस और गुमशुदा बच्चों को मदद मिल सके।

- संजय कुमार मिश्र, सदस्य, झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग।

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संसाधनों के अभाव में आयोग को हो रही परेशानी

जासं, रांची : झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम, ट्रैफिकिंग पर रोक लगाने सहित अन्य दिशाओं में बेहतर कार्य किया है, पर संसाधनों के अभाव में कार्य करने में परेशानी हो रही है। इसकी जानकारी झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य मनोज कुमार ने दी।

समाहरणालय में आयोजित एक प्रेसवार्ता में उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों में आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को वेतन और टीए, डीए की भी सुविधा दी जाती है। सभी सदस्यों को अपने खर्च भी काम करना पड़ता है। आयोग के सदस्य ने बताया कि अन्य राज्यों की तरह उन्हें भी इसकी सुविधा मिलनी चाहिए। इस मौके पर सदस्य संजय कुमार मिश्र भी उपस्थित थे।

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