विकास परिषद में मर्ज होगा योजना पर्षद
रांची : नीति आयोग की तर्ज पर प्रस्तावित झारखंड विकास परिषद में राज्य योजना पर्षद के विलय का खाका तैय
रांची : नीति आयोग की तर्ज पर प्रस्तावित झारखंड विकास परिषद में राज्य योजना पर्षद के विलय का खाका तैयार हो चुका है। परिषद राज्य सरकार के लिए 'थिंक टैंक' के रूप में काम करेगी। जिलों की सहभागिता और विभागीय समन्वय के आधार पर राज्यस्तरीय नीति निर्धारण में परिषद की अहम भूमिका होगी। योजना एवं विकास विभाग ने इस आशय का प्रस्ताव तैयार किया है।
मुख्यमंत्री परिषद के अध्यक्ष, झारखंड सरकार द्वारा मनोनीत विशिष्ट व्यक्ति उपाध्यक्ष, जबकि योजना एवं विकास विभाग के सचिव इसके सदस्य सचिव होंगे। लोकसभा एवं राज्यसभा के राज्य के सभी सदस्य, मुख्य सचिव, विकास आयुक्त, वित्त सचिव परिषद के पदेन सदस्य होंगे। योजना एवं विकास, वित्त, लोक प्रशासन, मानव संसाधन विकास समेत अन्य सामाजिक क्षेत्रों के दस विशेषज्ञों की टोली भी परिषद के दायित्वों के निवर्हन में अपनी भूमिका निभाएगी।
योजना एवं विकास विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव के अनुसार परिषद का अपना सचिवालय होगा, जिसका मुख्यालय रांची होगा। परिषद की बैठक हर तीन महीने में होगी। आवश्यकता महसूस होने पर बैठक का आयोजन राज्य के अन्य हिस्से में किया जा सकेगा। योजना एवं विकास विभाग परिषद का प्रशासी विभाग होगा।
परिषद का दायित्व
-राज्य में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों, मानव संसाधनों तथा मानव विकास का आकलन।
-राज्य के लिए दीर्घकालीन एवं अल्पकालीन योजनाओं के चयन एवं कार्यान्वयन पर सरकार को परामर्श देना।
- राज्य एवं जिलों के बीच समन्वय के बिंदुओं पर सरकार से परस्पर संवाद।
- सुशासन, क्षमतावर्द्धन, आंतरिक परामर्श आदि बिंदुओं पर विचार -विमर्श।
- सरकारी कार्यक्रमों की मानिट¨रग, मूल्यांकन तथा अवरोधों की पहचान कर उसे दूर करने का उपाय बताना।