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पानी-बिजली पर घिरी सरकार

रांची : राज्य में बिजली और पानी की बदतर स्थिति ने विधानसभा में सरकार की किरकिरी कराई। पानी और बिजली

By Edited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 01:31 AM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 01:31 AM (IST)
पानी-बिजली पर घिरी सरकार

रांची : राज्य में बिजली और पानी की बदतर स्थिति ने विधानसभा में सरकार की किरकिरी कराई। पानी और बिजली के मसले पर हुई बहस के दौरान विपक्ष से कहीं ज्यादा तल्ख तेवर सत्ता पक्ष के विधायकों में देखने को मिले। शुक्रवार को विधानसभा की पहली पाली में पानी और बिजली की खराब स्थिति पर झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव कार्य स्थगन प्रस्ताव लाए, जिसे स्पीकर दिनेश उरांव ने अमान्य कर दिया। हालांकि उन्होंने इसे महत्वपूर्ण विषय मानते हुए दूसरी पाली में बहस की अनुमति दी।

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दूसरी पाली में डेढ़ घंटे चली बहस के उपरांत सरकार ने बिजली और पानी पर स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की। नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने स्वीकार किया कि राज्य में बिजली और पानी की स्थिति अच्छी नहीं है। विश्वास दिलाया कि जल्द ही बिजली की स्थिति इतनी बेहतर होगी कि हम दूसरे राज्यों को बिजली मुहैया कराएंगे। सरकार एक-एक कदम आगे बढ़ा रही है। पानी पर कहा कि शहरी क्षेत्रों में 2017 तक सरकार प्रत्येक व्यक्ति के घर तक पानी पहुंचाएगी। इस मद में एपीएल से 4000 रुपये की राशि ली जाएगी जबकि बीपीएल को मुफ्त कनेक्शन मुहैया कराए जाएंगे। पेयजल मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने भी ग्रामीण पेयजल आपूर्ति दुरुस्त करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी सदन को दी। कहा, उपायुक्तों को निर्देश दिया गया है कि टास्क फोर्स बनाकर आने वाली स्थिति से निपटे। शिकायत के लिए जिलों से लेकर प्रदेश स्तर तक टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं। 660 मिनी जलापूर्ति योजनाएं बनकर तैयार है, जिन्हें जल्द शुरू किया जाएगा। उन्होंने विभाग में कर्मचारियों की कमी का रोना भी रोया।

सेंट्रल पूल से ली गई बिजली के एवज में राज्य ने अब तक 23,673 करोड़ रुपये खर्च किए। एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का खर्च छह हजार करोड़ रुपये होता है। इस लिहाज से हम चार हजार मेगावाट का खुद का प्लांट स्थापित कर चुके होते। लेकिन राज्य गठन के बाद से अब तक एक मेगावाट बिजली का उत्पादन नहीं कर सके।

राधाकृष्ण किशोर

मुख्य सचेतक, सत्ता पक्ष

झारखंड को 2210 मेगावाट की जरुरत है जबकि सप्लाई 1895 मेगावाट है। राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीय औसत से 66 प्रतिशत कम बिजली मिल रही है। ट्रांसफार्मर हैं नहीं, इंजीनियर की भी कमी है।

स्टीफन मरांडी, झामुमो विधायक

धनबाद में पानी की गंभीर समस्या है। एक ओर लोगों को पानी मुहैया नहीं है दूसरी तरफ बीसीसीएल लाखों गैलन पानी बर्बाद कर देती है। पूरे धनबाद में पेयजल की आपूर्ति करने वाले माडा के कर्मचारियों को 25-30 माह से वेतन नहीं मिला है। कोलियरी इलाकों में लोग नाली का गंदा पानी इस्तेमाल कर रहे हैं।

राज सिन्हा, भाजपा विधायक

हमारे क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं जहां के लोगों ने डीप बो¨रग मशीन तक नहीं देखी और सरकार ने चापाकल लगाने बंद कर दिए।

जगरनाथ महतो, झामुमो विधायक

पूरे संताल में महज सौ मेगावाट बिजली की सप्लाई हो रही है। इतनी आपूर्ति से संताल के शहरी क्षेत्रों की जरुरत ही पूरी नहीं होती, गांव की बात छोड़े दे। ग्रामीण क्षेत्रों में पंखे चलते नहीं हिलते हैं।

अशोक कुमार, भाजपा विधायक

बिना पैसे के राज्य में एक भी ट्रांसफार्मर नहीं लगता है। फ्रेंचायजी देने में भी बड़ा घालमेल है। पानी की स्थिति खराब है। यदि सरकार सब चापाकल नहीं ठीक करा सकती तो विधायकों से सूची मांग ले केवल उन्हीं को ठीक करा दे। ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं जो कम लागत में ठीक हो सकती हैं उन्हें दुरुस्त कराएं।

प्रदीप यादव, झाविमो विधायक

यदि आज राज्य को पर्याप्त बिजली मिल भी जाए तो भी जो आधारभूत संरचना है उसमें 60 प्रतिशत से ज्यादा लोड सहने की क्षमता नहीं है। जरुरत बिजली की आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने की है। राज्य में बिजली की स्थिति सुधारने के लिए सरकार को लांग टर्म और शार्ट टर्म योजना बनानी चाहिए। ट्रांसमिशन लॉस 44 प्रतिशत है, इसे कम करना होगा।

मनीष जायसवाल, भाजपा विधायक


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